नई दिल्ली। यमन नागरिक की हत्या के लिए मौत की सजा का सामना कर रही बेटी को बचाने के लिए उसकी मां ने विदेश यात्रा की सुविधा उपलब्ध कराने की मांग को लेकर दिल्ली हाई काेर्ट का दरवाजा खटखटाया है। न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। केरल निवासी महिला ने याचिका में कहा है कि पीड़ित परिवार को आर्थिक मुआवजा (ब्लड-मनी) देने पर उसकी बेटी की मौत की सजा समाप्त हो सकती है, इसके लिए उसे विदेश यात्रा करने की सुविधा दी जाए।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता ने मामले पर निर्देश लेने की बात की। साथ ही यह भी कहा कि महिला को अधिकारी द्वारा यमन नहीं जाने की सलाह दी गई है क्योंकि यह उनके लिए जोखिम भरा हो सकता है।
यमन की शीर्ष अदालत ने 13 नवंबर को पश्चिम एशियाई देश में नर्स के रूप में काम करने वाली निमिषा प्रिया की सजा के खिलाफ अपील खारिज कर दी थी। प्रिया को तलाल अब्दो महदी की हत्या का दोषी ठहराया गया है। आरोप है कि प्रिया ने अपना पासपोर्ट वापस पाने के लिए तलाल आब्दो को नशीला इंजेक्शन दिया था, ताकि उसके बेहोश पर वह पासपोर्ट वापस ले सके, लेकिन इंजेक्शन में नशीला पदार्थ की मात्रा अधिक होने के कारण तलाल की जुलाई 2017 में मृत्यु हो गई थी।
याचिकाकर्ता ने पीठ को सूचित किया कि अपील खारिज होने के कारण महिला की बैटी को कभी भी फांसी हो सकती है। उन्होंने कहा कि वे सरकार से आर्थिक मुआवजा देेने की मांग नहीं कर रहे हैं, केवल यमन की यात्रा की अनुमति मांग रहा था। सुनवाई के दौरान केंद्र के वकील ने अदालत को बताया कि मध्य पूर्व में अस्थिर परिस्थितियों के कारण प्रिया की मां को यमन की यात्रा करने की अनुमति नहीं दी गई थी। वकील ने अदालत को बताया कि वर्तमान में यमन में कोई भारतीय कांसुलर सेवा उपलब्ध नहीं है।