नई दिल्ली । रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (Anil Chauhan) चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) का पद आज संलालने जा रहे हैं। वह भारत सरकार के मिलिट्री ऑफ अफेयर्स के सचिव का भी पद संभालेंगे। केंद्र सरकार ने अनिल चौहान (Anil Chauhan) की नियुक्ति के बारे में नोटिफिकेशन पहले ही जारी कर दिया है। देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत (CDS General Bipin Rawat) की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत के बाद 10 माह से सैन्य बलों के प्रमुख का यह पद खाली था।
आपको बता दें कि देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत का पिछले साल 8 दिसंबर को एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में निधन होने के बाद केंद्र सरकार ने खाली पड़े इस पद पर नियुक्ति के लिए रक्षा बलों के नियमों में बड़ा बदलाव किया था। रक्षा मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया था कि 62 वर्ष से कम आयु का कोई भी सेवारत या सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल, एयर मार्शल और वाइस एडमिरल चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS के पद के लिए पात्र होंगे। इसीलिए नए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ CDS) की नियुक्ति के लिए केंद्र सरकार सेवारत और सेवानिवृत्त, दोनों तरह के सैन्य अधिकारियों के नाम पर विचार कर रही थी।
पिछले साल दिसंबर में पूर्व सीडीएस जनरल बिपिन रावत के हवाई दुर्घटना में निधन के बाद 10 माह तक चले मंथन के बाद आखिरकार आज देश को दूसरा चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) मिला गया। केंद्र सरकार ने सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान के नाम पर मुहर लगा दी। वह सैन्य मामलों के विभाग के सचिव के रूप में भी कार्य करेंगे। सीडीएस की नियुक्ति सैन्य मामलों के विभाग के सचिव के तौर पर होती है, जो वर्तमान में अतिरिक्त सचिव रैंक के तहत काम करता है। सीडीएस एकीकृत डिफेंस स्टाफ का अध्यक्ष भी होता है। सरकार ने सीडीएस को रक्षा कार्यक्रमों में ‘मेक इन इंडिया’ का प्रभारी भी बनाया है।
लेफ्टिनेंट जनरल चौहान Anil Chauhan ने सेना की उत्तरी कमान में महत्वपूर्ण बारामुला सेक्टर में एक इन्फैंट्री डिवीजन की कमान संभाली थी। बाद में लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में उन्होंने उत्तर पूर्व में एक कोर की कमान संभाली। इसके बाद सितंबर, 2019 से पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ बने और मई, 2021 में अपनी सेवानिवृत्ति तक पदभार संभाला। इससे पहले उन्होंने अंगोला में संयुक्त राष्ट्र मिशन के रूप में भी काम किया था। सेना में उनकी विशिष्ट और शानदार सेवा के लिए परम विशिष्ट सेवा पदक, उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, सेना पदक और विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया।
सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद भी उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक मामलों में योगदान देना जारी रखा। सेना में लगभग 40 वर्षों से अधिक के करियर में उन्हें जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्व भारत में आतंकवाद विरोधी अभियानों में व्यापक अनुभव है। 18 मई, 1961 को जन्मे लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान को 1981 में भारतीय सेना की 11 गोरखा राइफल्स में कमीशन दिया गया था। वह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवासला और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून के पूर्व छात्र हैं।