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आज बनेगी रणनीति: मोदी सरकार से नहीं मिला संदेश, किसान मोर्चा आंदोलन को देगा और धार

नई दिल्ली: संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि वार्ता के लिए गठित की गई किसान नेताओं की समिति को केंद्र सरकार से अभी तक कोई संदेश नहीं मिला है। जबकि मोर्चे ने 21 नवंबर को एमएसपी पर कानून बनाने सहित छह मांगों पर चर्चा करने के लिए प्रधानमंत्री को खुला पत्र लिखा था। संयुक्त किसान मोर्चा आज यानी मंगलवार को सिंघु बार्डर पर पूर्व कार्यक्रम के तहत आंदोलन तेज करने के लिए भविष्य की रणनीति बनाएगा।

संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने सोमवार को बैठक के बाद यह जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि एमएसपी की कानूनी गारंटी, देश भर में किसानों पर लगाए गए फर्जी मुकदमों को वापस लेने और मृतक किसानों के परिवार के पुनर्वास, लखीमपुर खीरी मामले में केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त करने आदि मांगों पर सरकार से बातचीत करने के लिए चार दिसंबर को पांच सदस्यीय समिति का गठन किया था। लेकिन सरकार की ओर से अभी तक वार्ता करने के लिए कोई संदेश नहीं आया है।

मोर्चा ने पहले ही तय किया था कि यदि सरकार की ओर से किसानों की मांगों पर आधिकारिक रूप से लिखित आश्वासन नहीं दिया जाता है तब तक किसान आंदोलन जारी रहेगा। सरकार को दो दिन का समय दिया गया था, लेकिन कोई पहल नहीं होते देख मोर्चा अब आंदोलन को तेज करने की रणनीति पर काम करेगा। मंगलवार को होने वाली बैठक में सर्वसम्मति से इस पर विचार किया जाएगा।

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि भाजपा नेताओं का बयान आ रहा है कि तीन कानूनों को वापस लेने के फैसले के बाद, आगामी विधानसभा चुनावों में किसान आंदोलन प्रभावशाली नहीं होगा। मोर्चा ने कहा कि एमएसपी की कानूनी गारंटी, बिजली संशोधन बिल की वापसी, वायु प्रदूषण बिल से किसानों के जुर्माने की धारा को हटाना, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी, किसानों पर लगाए गए फर्जी मुकदमों की वापसी और शहीद परिवारों का पुनर्वास, और शहीद स्मारक आदि जैसे मुद्दे अनसुलझे हैं। ये मुद्दे मिशन यूपी और उत्तराखंड को प्रभावित करेंगे।

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