Tokyo Olympics: प्री-क्वार्टर में हारी अंशु मलिक को रेपेचेज में जगह, कांस्य पदक जीतने का मौका
नई दिल्ली। भारतीय कुश्ती टीम ने बुधवार 4 अगस्त को देशवासियों को खुशी के पल दिए। 57 किलो भारवर्ग में रवि दहिया ने शानदार खेल दिखाते हुए फाइनल में जगह पक्की की। इसी भारवर्ग में भारतीय महिला पहलवान अंशु मलिक को पहले दौर में हार का सामना करना पड़ा था। अब उनके लिए खुशी खबर आई है कि वह रेपेचेज में खेलने उतरेंगी और जहां भारत की झोली में बॉन्ज मेडल डालने का मौका होगा।
भारत के लिए हमेशा से ही कुश्ती में रेपेचेज बेहद भाग्यशाली रहा है। ओलिंपिक इतिहास में अब तक तीन ब्रॉन्ज मेडल भारत को इसके जरिए मिल चुके हैं। चौथा मेडल हासिल करने का मौका अंशु के सामने आया है। प्री क्वार्टर फाइनल में उनको बुल्गारिया की इरियाना कुराचकिना से हार मिली थी। कुराचकिना ने शानदार खेल दिखाते हुए टोक्यो ओलिंपिक के फाइनल में जगह पक्की कर ली है।
इरियाना के फाइनल में पहुंचने का मतलब है कि अब अंशु को रेपचेज राउंड में प्रवेश मिल गया है। ब्रॉन्ज मेडल जीतने का मौका होगा। जिन पहलवानों को हराते हुए बुल्गेलिया की पहलवान ने फाइनल में जगह बनाई है अंशु को उन सभी से खेलते हुए जीत हासिल करना होगा। ऐसा करने में वह कामयाब हुई तो भारत की झोली में एक ब्रॉन्ज मेडल और आ जाएगा। रेपेचेज के पहले मैच में अंशु को रियो ओलिंपिक में सिल्वर मेडल जीतने वाली वलेरिया कोवलोवा के खिलाफ खेलना होगा।
ओलिंपिक में कुश्ती के ब्रॉन्ज मेडल का फैसला रेपेचेज राउंड के जरिए किया जाता है। फाइनल में पहुंचने वाले दो पहलवानों ने प्री- क्वार्टर फाइनल, क्वार्टर फाइनल और सेमीफाइनल में जिन खिलाड़ियों को हराया होता है उन सभी को रेपेचेज में में खेलने का मौका दिया जाता है। इस राउंड में जिस भी पहलवान को जीत मिलती है ब्रॉन्ज मेडल उसको दिया जाता है। भारत की तरफ से साल 2008 में सुशील कुमार, 2012 में योगेश्वर दत्त और 2016 में साक्षी मलिक ने रेपचेज रांउड में जीत हासिल कर ब्रॉन्ज मेडल जीता था।