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Tokyo Olympics: 41 साल बाद पुरुष हाकी टीम के पास पदक जीतने मौका, ब्रॉन्ज मेडल पर नजर

टोक्यो। सेमीफाइनल में मिली हार को भुलाते हुए भारतीय पुरुष हाकी टीम को 41 साल बाद ओलिंपिक में पदक जीतने का सपना पूरा करने के लिए गुरुवार को रियो ओलिंपिक की कांस्य पदक विजेता जर्मनी के खिलाफ तीसरे चौथे स्थान के प्लेआफ मुकाबले में अपने डिफेंस को मजबूत रखना होगा।

दुनिया की तीसरे नंबर की टीम भारत को सेमीफाइनल में विश्व चैंपियन बेल्जियम ने 5-2 से हराया। बेल्जियम का फोकस पेनाल्टी कार्नर बनाने पर था और टूर्नामेंट में सर्वाधिक गोल कर चुके एलेक्जेंडर हेंड्रिक्स ने हैट्रिक लगाई। भारत पर शुरू ही से दबाव बनाते हुए उन्होंने भारतीय रक्षण को भी छितर बितर कर दिया। पूरे मैच में भारत ने 14 पेनाल्टी कार्नर गंवाए जिनमें से आठ आखिरी क्वार्टर में गए।

आठ बार की चैंपियन भारतीय हाकी टीम ने ओलिंपिक में आखिरी पदक 1980 में मास्को में जीता था। भारतीय डिफेंडरों को अब जर्मनी के खिलाफ ऐसी गलती करने से बचना होगा जो उन्होंने बेल्जियम के खिलाफ की। टीम में चार विश्वस्तरीय ड्रैग फ्लिकर रूपिंदर पाल सिंह, उप कप्तान हरमनप्रीत सिंह, वरुण कुमार और अमित रोहिदास के होते हुए भी भारतीय टीम पांच में से एक ही पेनाल्टी कार्नर तब्दील कर सकी।

भारतीय टीम को सर्कल के अंदर अनावश्यक भिड़ंत से भी बचना होगा। कप्तान मनप्रीत सिंह को चौथे क्वार्टर में कार्ड मिला और बेल्जियम को दो पेनाल्टी कार्नर भी। रैंकिंग के आधार पर दोनों टीमों में ज्यादा फर्क नहीं है। भारत तीसरे और जर्मनी चौथे स्थान पर है, लेकिन जर्मनी को हराना भारत के लिए आसान नहीं होगा। सेमीफाइनल में आस्ट्रेलिया से हारी जर्मन टीम यहां खुद को साबित करने के इरादे से उतरेगी।

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