नई दिल्ली: टूथपेस्ट से सिर्फ दांतों के कीटाणु ही नहीं बल्कि फेफड़ों से जुड़ी गंभीर बीमारियों का भी सफाया हो जाता है। जी हां, यह बात एक रिसर्च में बताई गई है। इसके मुताबिक टूथपेस्ट में पाया जाने वाला एक आम एंटीबैक्टिरियल तत्व दवा के साथ मिलने पर सिस्टिक फाइब्रोसिस (सीएफ) जैसी खतरनाक बीमारियों से लड़ सकता है।
इस शोध का प्रकाशन एंटीमाइक्रोबियल एजेंट्स व कीमोथेरेपी नाम की पत्रिका में किया गया है। शोध में पाया गया कि ट्राइक्लोसन जब एक जैव प्रतिरोधी (एक तरह का केमिकल कम्पाउंड, जो बीमारियों से बचाता है)से मिल जाता है तो इसे टोब्रामाइसिन कहा जाता है। ट्राइक्लोसन एक तत्व है, जो जीवाणु को बढ़ने से रोकता या घटाता है।
टोब्रामाइसिन सीएफ जीवाणु की रक्षा करने वाली कोशिकाओं को 99।9 फीसदी तक मारती है। सीएफ जीवाणु को स्यूडोमोनानास एरुजिनोसा के नाम से जानते हैं।
सीएफ एक आम आनुवांशिक बीमारी है, जो हर साल 2,500 से 3,500 लोगों में एक को होती है। इसकी पहचान शुरुआती अवस्था में हो जाती है। इसके परिणामस्वरूप फेफड़ों में म्यूकस की एक मोटी परत बन जाती है, जो जीवाणुओं के लिए चुंबक का काम करती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इन जीवाणुओं को मारना बेहद मुश्किल है, क्योंकि ये एक चिपचिपी सतह के जरिए संरक्षित हैं, जिसे बायोफिल्म नाम से जानते हैं, जो एंटीबायोटिक दवाओं से इलाज के दौरान भी बीमारी को बढाता है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि इन जीवाणुओं को मारना बेहद मुश्किल है, क्योंकि ये एक चिपचिपी सतह के जरिए संरक्षित हैं, जिसे बायोफिल्म नाम से जानते हैं, जो एंटीबायोटिक दवाओं से इलाज के दौरान भी बीमारी को बढ़ने देता है। मिशिगनन स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर क्रिस वाटर्स ने कहा, “इन बॉयोफिल्म को खत्म करने के तरीकों को खोजना ही समस्या का निदान है।”