जून तक 41.9 अरब डॉलर रहा व्यापार घाटा, चीनी वस्तुओं के आयात छोटे कारोबारी प्रभावित
नई दिल्ली : चीन से छाते, खिलौने, कुछ कपड़े और संगीत वाद्ययंत्र जैसे सामानों के बढ़ते आयात से देश के छोटे और मझोले कारोबारियों को भारी नुकसान हो रहा है। इनमें से कई उत्पाद घरेलू बाजारों में भी बनते हैं। जीटीआरआई रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी से जून 2024 के दौरान भारत ने केवल 8.5 अरब डॉलर का माल निर्यात किया। आयात 50.4 अरब डॉलर रहा। यानी 41.9 अरब डॉलर का व्यापार घाटा हुआ है।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने रविवार को जारी रिपोर्ट में कहा, कम निर्यात और ज्यादा आयात चीन को भारत का सबसे बड़ा व्यापार घाटे वाला भागीदार बनाता है। जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, भारत के औद्योगिक सामानों के आयात में चीन की हिस्सेदारी 29.8 फीसदी है। भारत को चीन से महत्वपूर्ण औद्योगिक उत्पादों के आयात पर निर्भरता कम करने के लिए गहन विनिर्माण में निवेश करना चाहिए।
उन्होंने कहा, सस्ते चीनी सामान के कारण छोटे एवं मझोले उद्योग (एमएसएमई) के लिए प्रतिस्पर्धा करना कठिन हो गया है। इनको अस्तित्व के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। इस वजह से कुछ एमएसएमई को परिचालन बंद करना पड़ा या कम करना पड़ा। कम लागत वाले चीनी उत्पादों तक आसान पहुंच के कारण उन्हें आगे बढ़ना मुश्किल हो गया। ये चुनौतियाँ भारत में रोजगार सृजन और आर्थिक विकास को प्रभावित करती हैं।
चीन भारत की 95.8 फीसदी छतरियां और धूप छाते (3.1 करोड़ डॉलर) और 91.9 फीसदी कृत्रिम फूल की आपूर्ति करता है। इसके अतिरिक्त, कांच के बर्तन (52.1 करोड़ डॉलर, 59.7 फीसदी), हैंडबैग सहित चमड़े के सामान (12 करोड़ डॉलर, 54.3 फीसदी ), और खिलौने (12 करोड़ डॉलर, 52.5 फीसदी) आपूर्ति कर रहा है। इससे घरेलू निर्माता गंभीर रूप से प्रभावित हो रहे हैं। इसके अलावा, भारतीय एमएसएमई फर्नीचर, बिस्तर और लैंप जैसे उद्योगों में भी चीन से प्रतिस्पर्धा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
अमेरिका, नीदरलैंड सहित 151 देशों में इस साल की पहली छमाही यानी जनवरी से जून के बीच भारत का कारोबार बढ़ गया है। दूसरी ओर, चीन और रुस समेत 75 देशों में व्यापार घाटे में कमी आई है। जीटीआरआई ने कहा, भारत को कच्चे तेल और कोयले के आयात से व्यापार घाटे के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के मुताबिक, जनवरी से जून 2024 के बीच 151 देशों को 55.8 फीसदी का निर्यात किया गया। आयात केवल 16.5 फीसदी था। सबसे अधिक ट्रेड सरप्लस अमेरिका (21 अरब डॉलर) और नीदरलैंड (11.6 अरब डॉलर) के साथ रहा। 75 देशों के साथ व्यापार घाटा था। इनको 44.2 फीसदी का निर्यात हुआ। आयात 83.5 फीसदी था। इसके चलते 185.4 अरब डॉलर का घाटा हुआ।
रविवार को जारी रिपोर्ट में कहा, भारत को विशेष रूप से चीन जैसे देशों से औद्योगिक वस्तुओं के आयात को कम करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, क्योंकि इससे भारत की आर्थिक संप्रभुता को खतरा हो सकता है। इस स्थिति से विशेष आयातों पर निर्भरता को कम करने और घरेलू उत्पादन को मजबूत करने की जरूरत है।
जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, भारत जिन देशों से मुख्य रूप से सोना, चांदी और हीरा का आयात करता है, उन्हें लेकर भी सजग रहना चाहिए। बजट में इन पर शुल्क को 15 फीसदी से घटाकर छह फीसदी कर दिया गया है। ऐसे देश का सबसे ज्यादा आयात बिल कच्चे तेल में होता है। दूसरी ओर, भारत ने चीन के सामानों पर डंपिंग ड्यूटी का इस्तेमाल कर आयात को कम करने का प्रयास जरूर किया है, लेकिन उसके बाद सबसे ज्यादा देश का आयात भी चीन से ही होता है।