उत्तराखंड

परिवहन आयुक्त ने “आटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन” को बताया महत्वपूर्ण, ”चक्का जाम” को लेकर बनायी रणनीति

देहरादून: आयुक्त परिवहन अरविन्द सिंह ह्याँकी द्वारा राज्य में स्थापित आटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन स्थापना के महत्व की परिकल्पना के संबंध में स्थिति स्पष्ट की गई है।
इस संबंध में परिवहन आयुक्त द्वारा इसकी स्थापना एवं परिकल्पना का उल्लेख करते हुए स्पष्ट किया है कि परिवहन यान का समय-समय पर फिटनेस टेस्ट आर.टी.ओ / ए.आर.टी.ओ. कार्यालयों में तैनात आर.आई. (टेक्निकल) के द्वारा भौतिक तरीके से करते हुए फिटनेस सर्टिफिकेट निर्गत किया जाता रहा है। इस पद्धति के अंतर्गत आर. आई. (टेक्निकल) की दक्षता के साथ-साथ परीक्षण सम्बन्धी उपयुक्त उपकरणों की अनुपलब्धता सम्बन्धी व्यावहारिक कठिनाइयां भी रही है।

उन्होंने बताया कि देश एवं प्रदेश के अंतर्गत यात्रियों, वाहन चालक एवं वाहन की सुरक्षा के साथ-साथ प्रदूषण नियंत्रण भी नित्य प्रति एक चिंता का विषय बनता जा रहा है। इस दृष्टि से वाहन का सही-सही परीक्षण करने हेतु तकनीक का प्रयोग अपरिहार्य हो गया है। वाहन के फिटनेस परीक्षण को बेहतर एवं त्रुटिरहित बनाये जाने के निमित्त ही भारत सरकार द्वारा ऑटोमेटेड टेस्टिंग सेंटर्स की स्थापना की परिकल्पना तैयार की गई और इस निमित्त ऐसे केन्द्रों की स्थापना हेतु सभी राज्य सरकारों से प्रस्ताव आमंत्रित किये गये, जिसके क्रम में राज्य सरकार द्वारा दो स्थानों पर ऑटोमेटेड टेस्टिंग सेंटर्स की स्थापना का प्रस्ताव भारत सरकार को प्रेषित किया गया। इसके अतिरिक्त निजी निवेश के माध्यम से भी ऐसे केन्द्रों की स्थापना हेतु दिनांक 23.09.2021 को दिशा-निर्देश निर्गत किये गये। भारत सरकार द्वारा निर्गत दिशा-निर्देशों में राज्य सरकारों के द्वारा अपने राज्यों में ऑटोमेटेड फिटनेस टेस्टिंग सेंटर्स की शीघ्र स्थापना की जानी थी। इस निमित्त भारत सरकार द्वारा समय-समय पर अनुश्रवण किया जाता रहा है।

परिवहन आयुक्त द्वारा यह भी स्पष्ट किया गया है कि भारत सरकार द्वारा फिटनेस टेस्टिंग की व्यवस्था को त्रुटिरहित बनाये जाने हेतु दिनांक 05.04.2022 को निर्गत अधिसूचना के माध्यम से जारी होने वाले परिवहन वाहनों के फिटनेस के प्रमाण पत्र का नवीनीकरण के संबंध में जो अवधि निर्धारित की गई है उसमें आठ साल तक के वाहनों के लिए दो साल और आठ साल से पुराने वाहनों के लिए एक साल की अवधि रखी गई है जबकि स्वचालित परीक्षण स्टेशन की मान्यता, विनियमन और नियंत्रण के लिए नियम 175 के अनुसार पंजीकृत स्वचालित परीक्षण स्टेशन के माध्यम से ही फिटनेस अनिवार्य रूप से की जाएगी। इस प्रकार 01 अप्रैल 2023 से प्रभावी भारी माल वाहनों/भारी यात्री मोटर वाहनों के लिए तथा मध्यम माल वाहनों/मध्यम यात्री मोटर वाहनों और हल्के मोटर वाहनों (परिवहन) के लिए 01 जून 2024 से यह व्यवस्था प्रभावी रहेगी। भारत सरकार द्वारा उक्तानुसार मोटर व्हीकल रूल में किये गये संशोधन के क्रम में राज्य सरकारों को संदर्भित नियम में निर्दिष्ट तिथि से पूर्व ऑटोमेटेड टेस्टिंग केन्द्रों की व्यवस्था करनी है।

उक्त पृष्ठभूमि में ही उत्तराखण्ड शासन द्वारा इस वर्ष जनपद ऊधमसिंहनगर तथा जनपद देहरादून में एक-एक ऑटोमेटेड फिटनेस टेस्टिंग सेंटर्स की स्थापना हेतु निजी व्यवसायियों को लाईसेंस दिया गया और उनके द्वारा भारत सरकार के मानकानुसार केन्द्र की स्थापना कर लिये जाने पर उन केन्द्रों में टेस्टिंग हेतु सम्बन्धित वाहन परिक्षेत्रों का चिन्हीकरण करते हुए तत्सम्बन्धी दिशा-निर्देश निर्गत किये गये। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि राज्य में टेस्टिंग स्टेशन की वर्तमान में उत्तराखण्ड राज्य में मात्र देहरादून एवं रुद्रपुर में ही निजी क्षेत्र में ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन की स्थापना की गई है जबकि अन्य जनपदों में वर्तमान में वाहनों की फिटनेस का कार्य पूर्ववत् परिवहन कार्यालयों में सम्पादित किया जाता रहेगा।

परिवहन आयुक्त द्वारा सभी जिलाधिकारियों, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों एवं संभागीय परिवहन अधिकारियों को जारी पत्र में टेस्टिंग स्टेशन की स्थापना के विरोध में प्रस्तावित चक्का जाम के दृष्टिगत स्थानीय स्तर पर अतिआवश्यक सेवाओं के वाहनों का संचालन बाधित न हो, इस हेतु समुचित उपाय किये जाने तथा ऐसे वाहन स्वामी जो अपने वाहनों का संचालन करना चाहते हैं, उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि यूनियन के सदस्यों द्वारा जबरन वाहनों के संचालन में बाधा उत्पन्न न की जाए। साथ ही आवश्यकता पड़ने पर उत्तराखण्ड परिवहन निगम से समन्वय करते हुए स्थानीय स्तर पर वाहनों की व्यवस्था की जाए। स्थानीय परिवहन व्यवसायियों के साथ संवाद करते हुए योजना की सही जानकारी उपलब्ध कराये जाने तथा उन्हें चक्काजाम में सम्मिलित न होने के लिए प्रेरित किये जाने की अपेक्षा भी उन्होंने की है।

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