अगरतला| तृणमूल कांग्रेस की युवा शाखा की प्रमुख सायोनी घोष को त्रिपुरा पुलिस ने रविवार को दंगा भड़काने के इरादे से हत्या के प्रयास और उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया था। उन्हें सोमवार को त्रिपुरा की एक अदालत ने जमानत दे दी। सायोनी को जमानत देते हुए पश्चिम त्रिपुरा जिले के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सौम्या विकास दास ने उन्हें उनके खिलाफ दर्ज मामले में पुलिस जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया। पुलिस ने सायोनी की दो दिन की हिरासत के लिए अदालत से आग्रह किया था, लेकिन उसकी याचिका खारिज कर दी गई।
बचाव पक्ष के वकील शंकर लोध ने कहा कि अदालत को पुलिस के दावे का समर्थन करने के लिए उचित सबूत नहीं मिले और न ही उसे घोष की गिरफ्तारी के लिए पर्याप्त कारण मिले। लोध ने अदालत परिसर में मीडिया से कहा, “20,000 रुपये के मुचलके और जमानत के आधार पर अदालत ने घोष को जमानत दे दी।”पश्चिम त्रिपुरा जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (शहरी) बी. जगदेश्वर रेड्डी ने पहले कहा था कि घोष के खिलाफ आईपीसी की पांच धाराएं लगाई गई हैं – 153 (दंगा भड़काने के इरादे से उकसाना), 153-ए (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) धर्म, नस्ल, जन्मस्थान, निवास, भाषा के आधार पर), 307 (हत्या का प्रयास), 506 (आपराधिक धमकी) और 120 (अपराध करने के लिए डिजाइन छुपाना)।
गिरफ्तारी पर टिप्पणी करते हुए तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने सोमवार को कहा कि सायोनी को केवल ‘खेला होबे’ (खेल होगा) का नारा लगाने के लिए गिरफ्तार किया गया था। बनर्जी ने मीडिया से कहा, “यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बंगाल में अपने विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान ‘खेला होबे’ नारे का इस्तेमाल किया था। इसलिए उन्हें भी गिरफ्तार किया जाना चाहिए था।”
इस बीच, तृणमूल सांसदों ने सायोनी घोष की गिरफ्तारी और त्रिपुरा में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ कथित हिंसा के विरोध में सोमवार को दिल्ली में गृह मंत्रालय के सामने प्रदर्शन किया।