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लंदन जाते वक्त टकराने से बाल-बाल बचा ट्रंप का विमान, सुरक्षा एजेंसियां सतर्क

न्ययॉर्क: न्यूयॉर्क के आसमान में गुरुवार को एक चौंकाने वाली घटना हुई। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का विशाल विमान लंदन के लिए रवाना था, जब अचानक स्पिरिट एयरलाइंस की फ्लाइट उसके बेहद करीब पहुंच गई। बताया गया कि दोनों विमान एक ही ऊंचाई और लगभग एक ही रास्ते पर उड़ रहे थे। यह केवल तकनीकी चूक नहीं, बल्कि सुरक्षा पर सीधा आक्रमण जैसा था।

डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप के विमान के पायलट ने तत्काल स्पिरिट फ्लाइट के पायलटों को चेतावनी दी। इसके बाद मार्ग बदला गया और संभावित हादसे को टाला गया। हालांकि दोनों विमानों के बीच 11 मील की दूरी थी और ट्रंप की आधिकारिक सुरक्षा सीमा से बाहर थे, लेकिन सवाल यही है कि इतनी संवेदनशील उड़ान के दौरान यह जोखिम क्यों हुआ। यह असहनीय है।

फ्लाइट रडार से मिले आंकड़े बताते हैं कि स्पिरिट फ्लाइट 1300 फोर्ट लॉडरडेल से बोस्टन जा रही थी और लॉन्ग आइलैंड के ऊपर ट्रंप का विमान भी उसी रूट पर गुजर रहा था। पहले आसमान को सुरक्षित माना जाता था, आज वही मार्ग मौत का खतरा बन सकता है। पहले बनाम आज का यह फर्क डर पैदा करता है।

सोशल मीडिया पर यह खबर सामने आते ही चर्चा शुरू हो गई। कई लोगों ने कहा कि यह अमेरिकी एयर ट्रैफिक कंट्रोल की बड़ी नाकामी है। “राष्ट्रपति का विमान अगर खतरे में आ सकता है, तो आम नागरिकों की सुरक्षा किस भरोसे है?” – यह सवाल हर नागरिक पूछ रहा है। यह सभ्यता का पतन है जब तकनीकी प्रगति भी जान बचाने की गारंटी नहीं दे पाती।

इस बीच, ट्रंप सुरक्षित लंदन पहुंचे और वहां उनका भव्य स्वागत हुआ। लेकिन विरोध भी उतना ही जोरदार रहा। ‘स्टॉप द ट्रंप कोएलिशन’ नाम से हजारों लोग सड़कों पर उतरे, जबकि 1600 पुलिस अधिकारियों को तैनात करना पड़ा। यह लोकतंत्र का विरोधाभास है – स्वागत बनाम विरोध।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने उम्मीद जताई है कि ट्रंप की यात्रा दोनों देशों के रिश्तों को नई दिशा देगी। आर्थिक संबंधों को गहराने, अरबों डॉलर के निवेश को सुरक्षित करने और यूक्रेन संकट पर चर्चा केंद्र में होगी। यदि इस तरह की कूटनीतिक यात्राओं में सुरक्षा ही लचर रही, तो रिश्तों की मजबूती भी एक झूठा सपना बन जाएगी।

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