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सीजफायर में ट्रंप का रोल, तुर्की से रिश्ते और PAK की न्यूक्लियर धमकी… विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बेनकाब किया सच और झूठ

नई दिल्ली: विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार को विदेश मामलों की संसदीय स्थायी समिति के समक्ष ऑपरेशन सिंदूर और भारत-पाकिस्तान के बीच हाल के तनाव पर जानकारी दी। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने संसदीय समिति को बताया है कि दोनों देशों के बीच हुए सीजफायर में अमेरिका को कोई किरदार नहीं है। यह युद्धविराम भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ के बीच हुई बातचीत के बाद हुआ है। यह जानकारी संसदीय समिति की बैठक में दी है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार को संसदीय समिति को बताया कि भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम कराने में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी। उन्होंने बताया कि सैन्य कार्रवाई रोकने का फैसला दोनों देशों (भारत-पाकिस्तान) के बीच दो तरफा स्तर पर लिया गया था। विदेश सचिव ने दावों का खंडन करते हुए कहा कि भारत-पाकिस्तान युद्धविराम में किसी तीसरे पक्ष की भागीदारी नहीं थी। बल्कि यह समझौता डीजीएमओ के बीच हुई बातचीत के बाद हुआ है। दरअसल, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 10 मई को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लिखा था कि अमेरिका की मध्यस्थता में एक लंबी बातचीत के बाद मुझे यह ऐलान करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान पूर्ण और तत्काल युद्धविराम पर सहमत हो गए हैं। दोनों देशों को कॉमन सेंस और बुद्धिमत्ता का उपयोग करने के लिए बधाई। इस मामले पर आपके ध्यान के लिए धन्यवाद!’

इसके अलावा विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने यह भी दोहराया कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष पारंपरिक युद्ध की सीमा के भीतर ही रहा और इस्लामाबाद की तरफ से किसी भी तरह के परमाणु हमले या संकेत का कोई सबूत नहीं मिला। खबरों के मुताबिक इसी बैठक में विदेश मिस्त्री ने यह भी बताया कि भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया टकराव एक ‘पारंपरिक युद्ध’ था और इसमें चीन से मिले हथियारों का कोई खास असर नहीं पड़ा। उन्होंने साफ कहा,’हमें फर्क नहीं पड़ता कि उन्होंने चीनी HQ-9 मिसाइल डिफेंस सिस्टम लगाया था, क्योंकि हमने उनके एयरबेस पर सीधा और बड़ा हमला किया।

तुर्की से संबंधों पर बात करते हुए मिस्री ने कहा, ‘हमारे तुर्की से कभी बुरे रिश्ते नहीं रहे, लेकिन हम कभी करीबी साझेदार भी नहीं रहे। तुर्की के साथ किसी भी संघर्ष में व्यापार का कोई उल्लेख नहीं मिलता।’ संसद की स्थायी समिति ने सोमवार को विदेश सचिव विक्रम मिस्री और उनके परिवार पर हुए साइबर हमले की कड़ी निंदा करते हुए सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया। समिति ने इस साइबर हमले को अस्वीकार्य और दुर्भावनापूर्ण करार दिया।

उन्होंने कहा, “संयुक्त राष्ट्र की ओर से घोषित आतंकवादी पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहे हैं और भारत के खिलाफ लगातार हिंसा भड़काते हैं। पहलगाम हमले की जांच से पता चला है कि आतंकवादियों ने पाकिस्तान में बैठे आकाओं से संपर्क किया था। आतंकवाद के पनाहगाह के रूप में पाकिस्तान का पिछला रिकॉर्ड जगजाहिर है, जो ठोस तथ्यों और सबूतों पर आधारित है।” पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सेना ने सीमा पार आतंकी ठिकानों को निशाना बनाते हुए ऑपरेशन सिंदूर चलाया. भारत की जवाबी कार्रवाई के कारण भारत और पाकिस्तान के बीच कई दिनों तक तनाव का माहौल रहा। 10 मई को दोनों पक्षों के बीच सीजफायर की घोषणा हुई।

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