बाराबंकी में भारी मात्रा में पकड़ा गया कछुआ मांस
बाराबंकी : बाराबंकी पुलिस ने कछुआ मांस की तस्करी का राजफाश किया है। यह मांस उत्तराखंड ले जाया जा रहा था। पुलिस ने वन विभाग व वाइल्ड लाइफ क्राइम ब्यूरो दिल्ली को भी इसकी सूचना दे दी है। पुलिस अधीक्षक अरविंद चतुर्वेदी ने आज यहां कहा कि काफी दिनों से सूचना मिल रही थी कि कछुओं के मांस का अवैध व्यापार किया जा रहा है। सोमवार को मुखबिर की सूचना व इलेक्ट्रॉनिक सर्विलेंस के जरिए सूचना मिली की रायबरेली की ओर से बाराबंकी एक वाहन आ रहा है। वाहन को रोक कर तलाशी ली गई तो उसमें भारी मात्रा में कछुए का मांस बरामद हुआ।
पुलिस ने उत्तराखंड, रायबरेली, लखनऊ निवासी छह लोगों को गिरफ्तार कर 120 किलो मांस बरामद किया । वाहन के पीछे आ रही मोटरसायकिल सवार यह देखकर भागने लगा तो पुलिस ने उसे भी पकड़ लिया। तलाशी में थर्माकोल के डिब्बों में मछली और उसके नीचे कछुए का मांस बर्फ के साथ छिपा हुआ था। जानकारी होने पर वाइल्ड लाइफ क्राइम ब्यूरो (डब्ल्यूसीसीबी) के विशेषज्ञ एसपी ने इस संबंध में जांच पड़ताल शुरू कर दी। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इस बरामदगी की सूचना देश के सभी बड़ी जांच एजेंसियों से लेकर कछुओं पर काम करने वाली संस्था टीएसए सहित तमाम और संस्थाओं को दी गई है। यह उत्तर भारत में अपने-आप में पहला मामला है।
पकड़ा गया मुख्य आरोपी रामानंद भगत मूल रूप से बंगाल का निवासी है, जो उत्तराखंड के उधमसिंह नगर के किच्छा थाना क्षेत्र के कनकपुर में रहता है। उसके साथ रायबरेली के खीरों थाना क्षेत्र के सेमरी गांव निवासी गुड्डू, बरमनखेड़ा सेमरी निवासी कमलेश और लखनऊ के पीजीआई थाना क्षेत्र के ग्राम बाबूखेड़ा निवासी विशाल, राकेश और बरौली निवासी सलमान शामिल हैं। पुलिस अधीक्षक के अनुसार अभियुक्त अपने वाहन को सड़क से ना ले जाकर गांव के कच्चे रास्ते से बॉर्डर इलाके तक ले जाते थे। कछुओं की तस्करी तीन कारण से अधिक की जाती है। पहला मांस, दूसरा इसकी खोल का सूप बनाने और तीसरा घर में पालने के लिए। सूप का इस्तेमाल थाईलैंड, चीन, सिंगापुर, मलेशिया समेत अन्य देशों में किया जाता है। इतनी बड़ी कछुए मांस की बरामदगी उत्तर भारत में शायद पहली बार हुई है।