एनबीआरआई में हर्बल ड्रग विकास पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी आज से
लखनऊ: एनबीआरआई, सोसायटी ऑफ फार्माकोग्नॉसी (भारत) और भारतीय फार्माकोपिया आयोग (आईपीसी) गाजियाबाद, के सहयोग से 22 से 23 फरवरी के दौरान ‘23वें नेशनल कन्वेंशन ऑफ सोसायटी ऑफ फार्माकोग्नोसी’ और “फार्मास्युटिकल ड्रग विकास में गुणवत्ता, सुरक्षा और जीएमपी के लिए नवयुगीन अवसर और चुनौतियां” विषय पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित कर रहा है. इस दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन वित्त-पोषक एजेंसियों जैसे साइंस फॉर इक्विटी एम्पावरमेंट एंड डेवलपमेंट विभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड, राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण और नाबार्ड के सहयोग के माध्यम से किया जा रहा है.
यह सम्मेलन विभिन्न क्षेत्रों जैसे कि पौधों की विविधता,जैव रसायन, जैवपूर्वेक्षण और फार्माकोग्नॉसी,हर्बल उत्पाद विकास, और गुणवत्ता नियंत्रण हेतु औद्योगिक रूप से महत्वपूर्ण औषधीय पौधों के कीमोप्रोफाइलिंग आदि को कवर करेगा. सम्मेलन में भारत और विदेश से 350 से अधिक स्नातक व स्नातकोत्तर छात्रों और शोधकर्ताओं सहित 500 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं. यह सम्मेलन उन्हें फार्माकोग्नॉसी विशेषज्ञों के साथ चिह्नित मुद्दों पर विचार-विमर्श करने और अपने अनुभव का आदान-प्रदान करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा. सम्मेलन में कुछ महत्वपूर्ण डोमेन क्षेत्रों जैसे औषधीय पौधों की गुणवत्ता का नियंत्रण, हर्बल दवा अनुसंधान में आधुनिक उपकरण और तकनीक, नीति नियामक मुद्दों, ग्रामीण उद्यमिता और हर्बल क्षेत्र में स्टार्ट-अप के अवसरों पर भी चर्चा होगी. आयुर्वेद, यूनानी, सिद्धा और होम्योपैथी सहित दवाओं की सभी पारंपरिक प्रणालियां काफी हद तक औषधीय पौधों पर निर्भर हैं. हर्बल उपचार के दुष्प्रभावों की कम संभावना को देखते हुए, औषधीय पौधों और संबंधित उत्पादों की मांग दुनिया भर में लगातार बढ़ रही है. भारत के पास अपने 6500 प्रलेखित औषधीय पौधों और कई पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों के साथ वैश्विक बाजार में अपने लिए एक विशेष जगह बनाने का यह एक अनूठा अवसर है.