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टैक्स चोरों पर कसेगा शिकंजा, दो महीने का विशेष अभियान शुरू; केंद्र व राज्य के अधिकारी करेंगे ये काम

नई दिल्ली : केंद्र और राज्य कर अधिकारियों ने भारत में माल और सेवा कर (GST) चोरी के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए दो महीने का विशेष अभियान शुरू किया है। वित्त वर्ष 2022-23 में जीएसटी चोरी एक लाख करोड़ रुपये से अधिक होने के बाद अधिकारियों ने फर्जी जीएसटी पंजीकरण की पहचान करने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला किया है।

जीएसटी पॉलिसी विंग ने हाल ही में केंद्रीय कर के प्रधान मुख्य आयुक्तों को वस्तुओं या सेवाओं की वास्तविक आपूर्ति के बिना चालान जारी करके इनपुट टैक्स क्रेडिट को धोखाधड़ी से पारित करने के लिए नकली या गैर-वास्तविक पंजीकरण के उपयोग के बारे में सतर्क किया था। माना जा रहा है कि इस तरह के क्रियाकलापों से सरकार के राजस्व को पर्याप्त नुकसान हो रहा है।

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBIC) ने समस्या की गंभीरता और इसमें शामिल धोखाधड़ी वाले लेनदेन की जटिल प्रकृति को देखते हुए विशेष अभियान शुरू किया है। इसके बाद अधिकारियों ने फर्जी पंजीकरण और फर्जी बिल जारी करने के खिलाफ व्यापक कार्रवाई शुरू कर दी है।

डेटा एनालिटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, नए पंजीकरण के लिए आधार-आधारित प्रमाणीकरण और चूक करने वाले व्यवसायों के केंद्रीकृत निलंबन के माध्यम से जीएसटी चोरी पर अंकुश लगाने के सरकार की कोशिशें के बावजूद, जीएसटी फर्जीवाड़े से जुड़े मामलों की संख्या बढ़ रही है। अकेले वित्त वर्ष 2022-23 में जीएसटी चोरी के लगभग 14,000 मामलों का पता चला, जिसमें लगभग 1.01 लाख करोड़ रुपये से अधिक टैक्स चोरी की गई।

जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (DGGI) ने इस दौरान 21,000 करोड़ रुपये की वसूली करने में कामयाबी हासिल की है। जीएसटी में हेराफेरी करने वालों पर लगाम लगाने के लिए 16 मई से 15 जुलाई तक एक विशेष अखिल भारतीय अभियान शुरू किया गया है। इस अवधि के दौरान कर अधिकारी संदिग्ध और नकली जीएसटी पहचान संख्या (GSTIN) का पता लगाने के लिए राज्य और केंद्रीय कर प्रशासन के अधिकारी आपसी तालमेल बिठकार काम करेंगे।

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