पशुधन फर्जीवाड़े में दो और गिरफ्तार, आरोपियों में एक है सर्राफा व्यापारी
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पशुधन विभाग में टेंडर दिलाने के नाम पर हुए करोड़ों के फर्जीवाड़े में पुलिस की कार्रवाई जारी है। शुक्रवार को स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने पशुधन घोटाला मामले में दो और लोगों की गिरफ्तारी की है। पुलिस ने पशुपालन विभाग में फर्जी टेण्डर के माध्यम से धोखाधड़ी कर नौ करोड़ रूपये से अधिक की ठगी करने वाले गैंग के इन दो सदस्यों को राजधानी लखनऊ के गोमती क्षेत्र से गिरफ्तार किया है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के पशुधन विभाग में फर्जी टेंडर दिलाने के मामले में अब तक कुल 9 लोगों की गिरफ्तारी हुई हैॆ। पशुधन विभाग में हुए फर्जीवाड़े की एफआईआर हजरतगंज कोतवाली में दर्ज कराई गई है। पुलिस द्वारा मिली जानकारी के अनुसार पकडे गए दोनों आरोपी थाना हजरतगंज, लखनऊ से उक्त मामले में वांछित थे। गिरफ्तार किये गए आरोपियों में गोरखपुर के खजनी क्षेत्र के कस्बा संग्रामपुर निवासी त्रिपुरेश पाण्डेय उर्फ रिन्कूू तथा लखनऊ के विभव खण्ड निवासी सचिन वर्मा शामिल है।
व्यापारी से इन दोनों ने ठगे थे 65 लाख
विभागीय कर्मियों के साथ मिलकर किये गए इस बड़े फर्जीवाड़े में एसटीएफ की टीम ने अब सर्राफा व्यापारी सचिन वर्मा और उसके साथी त्रिपुरेश पांडेय को गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल की है। आरोप है कि पशुधन विभाग में एमपी के कारोबारी से इन दोनों ने 65 लाख की ठगी की। कारोबारी से ठगी गई रकम को सचिन की फर्जी फर्म में खपाया गया। दोनों ने 65 लाख की रकम कारोबारी से 21 दिनों में जमा कराई।
बड़ों की भूमिका पर अब तक नहीं हुई कोई कार्रवाई
दूसरी ओर पशुधन विभाग की ठगी के इस मामले में बड़े लोगों का नाम आते ही जांच की रफ्तार सुस्त हो गई है। जिन लोगों की भूमिका पर एसटीएफ ने सवाल उठाया था और कार्रवाई की संस्तुति की थी, उसमें से किसी बड़े पर कार्रवाई का अब तक नंबर नहीं आया है। एसटीएफ ने पूरे मामले के खुलासे के बाद आगे की कार्रवाई के लिए एसीपी गोमतीनगर को जांच सौंप दी थी।
आईपीएस अधिकारियों का नाम आते ही कार्रवाई हुयी सुस्त
सूत्रों का कहना है कि जांच के दौरान आईएएस और आईपीएस अधिकारियों का नाम सामने आते ही पुलिस की कार्रवाई सुस्त हो गई। हाल के दिनों में यह पहला मौका है जब ठगी के मामले में किसी आईपीएस की भूमिका सामने आई हो। एफआईआर में जिस इंस्पेक्टर की भूमिका बताई गई थी, उसे पुलिस ने क्लीन चिट दे दी, लेकिन आईपीएस की भूमिका को लेकर अधिकारियों में संशय है कि इनके खिलाफ किस तरह की कार्रवाई की जाए।
एसटीएफ ने शासन को भेजी थी चिट्ठी
सूत्रों का यह भी कहना है कि जांच के दौरान जिन पुलिस अधिकारियों की भूमिका के बारे में जानकारी मिली थी, उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए एसटीएफ ने शासन को चिठ्ठी भेजी थी, उस पर भी अब तक कुछ नहीं हुआ। सूत्रों का दावा है कि इस केस में एक दो नहीं बल्कि आधा दर्जन से अधिक ऐसे अफसर शामिल हैं जो इन जालसाजों के संपर्क में किसी न किसी रूप में रहे हैं।
पुलिस इस मामले में फूंक-फूंक कर रख रही कदम
सूत्रों के अनुसार नोएडा में तैनात रहे अफसरों से लेकर लखनऊ और आजमगढ़ में तैनात रहे अफसर तक जालसाजों की कॉन्टैक्ट लिस्ट में शामिल हैं। ऐसे में अंदेशा इस बात का भी है कि एक के खिलाफ कार्रवाई होते ही नोएडा प्रकरण की तरह और परतें न उधड़ने लगें और सरकार को फजीहत का सामना करना पड़े। यही वजह है कि पुलिस इस मामले में फूंक-फूंक कर कदम रख रही है।