अन्तर्राष्ट्रीय

यूक्रेन ने युद्ध में अपनायी हजारों साल पुरानी तकनीक, मछली पकड़ने वाले जाल से रोक रहे रूसी ड्रोन

कीव । यूक्रेन और रूस (Ukraine Russia War) के बीच जारी भीषण युद्ध में अब तकनीक और तरकीब की जंग भी देखने को मिल रही है। रूस के युद्ध में ड्रोन्स (Drones) के इस्तेमाल से यूक्रेन के लिए जब जमीन पर जंग मुश्किल होती जा रही है। यूक्रेन पहले ही हथियारों और सैनिकों (weapons and soldiers) की कमी से जूझ रहा है। रूसी हमले हर दिन और खतरनाक होते जा रहे हैं। ऐसे में यूक्रेनी सैनिक आधुनिक ड्रोन से बचाव के लिए हजारों साल पुरानी तकनीक मछली पकड़ने वाले जाल का सहारा ले रहे हैं।

सैनिकों की ‘लाइफलाइन’
कोस्त्यान्तिनिवका जैसे फ्रंटलाइन यूक्रेन शहरों में, जहां रूसी घेराबंदी का खतरा तेजी से बढ़ रहा है, सड़कों के किनारे खंभों पर बंधे ये जाल रूसी ड्रोन को फंसाने का काम कर रहे हैं। ड्रोन की रफ्तार और विस्फोटक क्षमता से मुकाबला करने में ये जाल कभी-कभी ही सफल होते हैं, लेकिन यूक्रेनी सैनिकों के लिए ये “लो-टेक डिफेंस” भी किसी उम्मीद से कम नहीं।

ड्रोन जाल में छेद और दुश्मन की चालाकी
स्थानीय लोग अपने जरूरी कामों के लिए इन जालों में से रास्ता बना लेते हैं, लेकिन जाल में छेद कई बार रूसी ड्रोन ऑपरेटरों द्वारा उपयोग किए जा रहे हैं। रूस की “सूदनी डे” नामक ड्रोन यूनिट ऐसे ही छेदों से घुसपैठ कर रही है और वीडियो पोस्ट कर रही है, जिनमें यूक्रेनी वाहनों को निशाना बनाते ड्रोन देखे जा सकते हैं।

पिछले एक हफ्ते में रूस की ओर से शहर पर भारी हमले हुए हैं। 4 नागरिक मारे गए और 31 घायल हुए हैं। बच्चों को पहले ही बाहर निकाल लिया गया है, लेकिन अब भी 8,000 से अधिक लोग शहर में फंसे हैं। सड़कों पर रूसी ड्रोन हमलों से क्षतिग्रस्त वाहन बिखरे पड़े हैं।

सैनिक थक चुके, लेकिन विकल्प नहीं
93वीं मैकेनाइज्ड ब्रिगेड के कमांडर वासिल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि 8 महीनों से उनके यूनिट में कोई नया सैनिक नहीं आया। पुराने सैनिक थक चुके हैं, लेकिन उन्हें बदलने वाला कोई नहीं। “युद्ध उनके लिए खत्म हो गया है।” उन्होंने कहा, जब वाहन आगे नहीं जा सकते, तब यूक्रेनी “वैम्पायर” क्वाडकॉप्टर ड्रोन 10 किलो तक जरूरी सामान फ्रंटलाइन पर पहुंचाते हैं। कभी-कभी मोर्टार टीमों को 30 किलो का बोझ उठाकर कई घंटे पैदल चलना पड़ता है ताकि उनकी स्थिति का पता ड्रोन से न चल सके।

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