राजनीति

उमा भारती ने ब्यूरोक्रेसी वाले बयान पर सुनाया लालू यादव का एक किस्सा, नौकरशाहों से की खास अपील

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने अपने ब्यूरोक्रेसी वाले विवादित बयान पर एक बार फिर सफाई दी है. उमा भारती का कहना है कि सरकार बदलने के बाद अधिकारियों का बोलना, मिलना, चलना, तरीका बदल जाता है. उनका कहना है कि जब तक राज्य में सरकार होती है तबतक प्रशासनिक अधिकारी नौकर की तरह आगे पीछे घूमते हैं. इसको लेकर उन्होंने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव का एक किस्सा भी सुनाया है.

उमा भारती ने कहा, “साल 2000 में मैं जब केंद्र में अटल जी की सरकार में पर्यटन मंत्री थी तब बिहार में वहां की मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और उनके पति लालू यादव जी के साथ मेरा पटना से बोधगया हेलिकॉप्टर से जाने का दौरा हुआ. हेलिकॉप्टर में हमारे सामने की सीट पर बिहार राज्य के एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी भी बैठे हुए थे. लालू यादव जी ने मेरे ही सामने अपने पीकदान में ही थूका और उस वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के हाथ में थमाकर उसको खिड़की के बगल में नीचे रखने को कहा. उस अधिकारी ने ऐसा ही किया.”

पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने आगे कहा, “इसलिए 2005-06 में जब मुझे बिहार का प्रभारी बनाया गया और बिहार के पिछड़ेपन के साथ मैंने पीकदान को भी मुद्दा बनाया. पूरे बिहार के प्रशासनिक अधिकारियों से अपील की आज आप इनका पीकदान उठाते हो, कल हमारा भी उठाना पड़ेगा. अपनी गरिमा को ध्यान में रखो और पीकदान की जगह फाइल और कलमदान से चलो.”

उमा भारती ने कहा, “बिहार की सत्ता पलटी, नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री पद की शपथ के बाद मैं लौटी, मध्य प्रदेश में गौर जी मुख्यमंत्री थे लेकिन मेरे घर पर लगभग सभी अधिकारियों की भीड़ लगी रहती थी. इससे मुझे शर्मिंदगी होती थी. बिहार से आते ही मुझे पार्टी से निकाल दिया गया. गौर जी भी हट गए. फिर तो मुझे मध्य प्रदेश में किसी रेस्ट हाऊस में कमरा मिलना भी मुश्किल हो गया. प्रशासनिक अधिकारी तो मेरे छाया से भागने लगे. मेरे लिए तो यह हंसी और अचरज की बात थी क्योंकि तिरंगे के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ते ही मैं पूर्व मुख्यमंत्री हो गयी थी, लेकिन मेरे पार्टी से बाहर निकाले जाते ही अधिकारियों की रंगत ही बदल गयी. मुझे इससे भी कोई परेशानी नहीं थी क्योंकि ईश्वर और पब्लिक की कृपा मुझ पर हमेशा रही है. मैं तो हमेशा बादशाह हूं या हमेशा फकीर हूं.”

उमा भारती का कहना है कि उनका सब प्रकार के अधिकारियों से वास्ता पड़ा है. उन्होंने कहा, ‘ब्यूरोक्रेसी पर बोली असंयत भाषा पर मैंने आत्मग्लानि अनुभव की और उसे व्यक्त भी किया. लेकिन मेरे भाव बिलकुल सही थे.’ इसके बाद उमा भारती ने देश के सभी पुराने और नए ब्यूरोक्रेसी से अपील की.

उन्होंने ब्यूरोक्रेसी से अपील करते हुए कहा, ‘आपको अपने पूर्वजों, माता पिता, ईश्वर की कृपा और अपनी योग्यता से यह स्थान मिला है. भ्रष्ट अफसर और निक्कमे सत्तारूढ़ नेताओं के गठजोड़ से हमेशा दूर रहिए. आप शासन के अधिकारी, कर्मचारी हैं किन्तु किसी राजनीतिक दल के घरेलू नौकर नहीं हैं. देश के विकास और स्वस्थ लोकतंत्र के लिए गरीब आदमी तक पहुंचने के लिए आप इस जगह पर बैठे हैं. इस पर ध्यान रखिए. भारतीय लोकतंत्र में ब्यूरोक्रेसी का सम्मान, उपयोगिता और योगदान बना रहे, इस पर स्वयं ब्यूरोक्रेसी को सजग रहना होगा. राजनीतिक दल में काम करने वाले मेरे जैसे लोग ईमानदार और नियम के पालन में व्यावहारिक ब्यूरोक्रेसी का सम्मान करते रहेंगे.’

उमा भारती का एक वीडियो वायरल हो रहा है. जिसमें वे ब्यूरोक्रेसी को लेकर विवादास्पद बयान दे रही हैं. उन्होंने कहा, “आपको नहीं पता ब्यूरोक्रेसी (नौकरशाही) कुछ नहीं होती, चप्पल उठाने वाली होती है. चप्पल उठाती है हमारी. हम लोग ही राजी हो जाते हैं उसके लिए. आपको क्या लगता है कि ब्यूरोक्रेसी नेता को घुमाती है. नहीं, नहीं. पहले अकेले में बात हो जाती है और फिर ब्यूरोक्रेसी फाइल उठाकर लाती है. ग्यारह साल तक मैं (केंद्र में) मंत्री रही हूं, (मध्य प्रदेश की) मुख्यमंत्री भी रही हूं. पहले हमसे बात होती है, फिर फाइल प्रोसेस होती है. उसके बाद फाइल जाती है.”

उमा ने इस वीडियो में आगे कहा, “ये सब फालतू की बातें हैं कि ब्यूरोक्रेसी घुमाती है. ब्यूरोक्रेसी घुमा ही नहीं सकती. उनकी औकात क्या है? हम उनको तनख्वा दे रहे हैं. हम उनको पोस्टिंग दे रहे हैं. उनकी कोई औकात नहीं है. असली बात तो यह है कि हम ब्यूरोक्रेसी के बहाने अपनी राजनीति साधते हैं.”

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