रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में कमेटी करेगी जांच, मंत्री को बर्खास्त करने की मांग
लखनऊ: लखीमपुर खीरी में हुई घटना की जांच के लिए योगी सरकार ने रिटायर्ड जज की अध्यक्षता कमेटी के गठन का एलान किया है। वहीं, मृतकों के परिजनों को 45-45 लाख रुपये व घायलों को 10-10 लाख रुपये देने की घोषणा की गई है। ये जानकारी एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने दी।
उन्होंने कहा कि मामले में जो भी दोषी होगा उसे बख्शा नहीं जाएगा। इस संबंध में किसान नेता राकेश टिकैत की प्रदेश सरकार के अधिकारियो से बंद कमरे में चर्चा हुई। राकेश टिकैत ने कहा मुआवजे के साथ मृतकों के परिजनों के एक सदस्य को सरकारी नौकरी, मृतकों के परिजनों को 45 लाख रुपये का मुआवजा के साथ ही मंत्री और उसके बेटे के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के अलावा, मंत्री पुत्र की गिरफ्तारी और मंत्री को बर्खास्त करने की मांग। इसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा की राकेश टिकैत ने एलान किया कि शव का पोस्टमार्टम होने दिया जाए। टिकैत ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर 10 घंटे में यह मांग पूरी न हुई तो बड़े आंदोलन की तैयारी की रूपरेखा तैयार की जाएगी।
गौरतलब है कि कृषि कानूनों और केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी की टिप्पणी का विरोध कर रहे किसानों और मंत्री के बेटे के बीच रविवार को हिंसक टकराव में आठ लोगों की मौत के बाद उत्तर प्रदेश में बवाल मचा हुआ है। सियासी उबाल के बीच कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी लखीमपुर के लिए रात में निकली लेकिन उन्हें सीतापुर के हरगांव में पुलिस ने हिरासत में ले लिया। अखिलेश यादव को भी लखनऊ में हिरासत में लिया गया है।
वहीं, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र ने कहा है कि न ही वो न ही उनका बेटा घटनास्थल पर मौजूद थे। मामले में जांच से सब सच सामने आ जाएगा। इस तरह की घटना से हमें फंसाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राकेश टिकैत अराजतकता फैलाने का प्रयास कर रहे हैं। किसानों के बीच में कुछ उपद्रवी घुस आए जिन्होंने पूरी घटना को अंजाम दिया। अजय मिश्र ने कहा कि हमारा कार्यक्रम स्थल और घटनास्थल तीन-चार किलोमीटर दूर थे। हमारे कार्यकर्ताओं को लाठी-डंडों से पीटा गया।
अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार किसान आंदोलन को दबाना चाहती है। समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता किसानों के साथ हैं। सपा सरकार बनी तो किसानों के साथ होने वाले हर जुल्म की कीमत वसूली जाएगी। मनमानी करने वाले अधिकारी हो या दूसरे लोग किसी को भी छोड़ा नहीं जाएगा। किसान शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार के लोग अब उनकी जान लेने पर तुले हुए हैं। कल की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। इसकी जितनी भी निंदा की जाए कम है। मुख्यमंत्री को नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देना चाहिए।