नई दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इंजीनियरिंग की शिक्षा को केवल डिग्री प्रदान करने तक सीमित नहीं रखने की जरूरत पर बल देते हुये कहा कि हमें अपने इंजीनियरिंग समुदाय की सीखने की प्रक्रिया और क्षमता निर्माण में भाषा बाधाओं को दूर करने की दिशा में सामूहिक रूप से काम करना चाहिए।
केंद्रीय मंत्री प्रधान देश के शीर्ष इंजीनियरों के इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) के 36वें भारतीय इंजीनियरिंग कांग्रेस शताब्दी समारोह के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग की शिक्षा केवल डिग्री देने तक सीमित नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स को अपने सदस्यों द्वारा नवाचार, ज्ञान साझा करने और रोजगार और उद्यमिता के नए प्रतिमान बनाने के द्वारा भारत की इंजीनियरिंग क्षमता को और मजबूत करने का प्रयास करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स को नवाचार और स्टार्टअप संस्कृति को और प्रोत्साहित करने, एमएसएमई-आधारित विनिर्माण के माध्यम से रोजगार सृजित करने, भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की ओर आगे बढ़ाने और भारत की इंजीनियरिंग क्षमताओं को मजबूत करने में बहुत बड़ी भूमिका है।
प्रधान ने तीन दिवसीय कार्यक्रम में प्रख्यात इंजीनियरों के शामिल होने पर खुशी जताते हुये देश की तकनीकी और आर्थिक उन्नति में इंजीनियरों के योगदान और एक आत्मानिर्भर भारत के निर्माण में आईईआई की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत वैज्ञानिक सोच और मजबूत इंजीनियरिंग क्षमताओं वाला देश है। हमारे सभ्यतागत इतिहास में संरचनात्मक इंजीनियरिंग, जल प्रबंधन, समुद्री इंजीनियरिंग आदि के वैज्ञानिक प्रमाण हैं।