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संसद चर्चा के लिए, कागज फाड़ने के लिए नहीं: केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर

नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र से पहले केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने गुरुवार को विपक्ष पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि संसद कागज फाड़ने के लिए नहीं, बल्कि चर्चा करने के लिए है। आजादी के ‘अमृत महोत्सव’ के मौके पर संसद और विधानसभाओं में आम लोगों से जुड़े 75 विषयों पर चर्चा कराई जानी चाहिए।

पीठासीन अधिकारियों के 82वें सम्मेलन के समापन समारोह में हिस्सा लेते हुए अनुराग ठाकुर ने विधायिकाओं में गुणवत्तापूर्ण बहस की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सदन में बहस को बेहतर बनाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए। इसके लिए उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल बढ़ाने का सुझाव दिया। संसद के पिछले सत्र में व्यवधान का जिक्र किए बगैर अनुराग ठाकुर ने कहा कि जब लोगों के पास तथ्य कम होते हैं तो वे टेबल पर चढ़कर और कागज फाड़कर सदन को शर्मसार करते हैं। कागज सड़कों पर भी फाड़े जा सकते हैं, संसद बहस के लिए है।

केंद्रीय मंत्री ने कानून बनने के बाद नियम बनने में देरी का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि कई बार कानून बन जाते हैं, पर उनसे जुड़े नियम तैयार होने में कई साल लग जाते हैं। इससे कानून बनाने का कोई फायदा नहीं होता है। दरअसल, कई कानूनों को बने हुए कई वर्ष गुजर चुके हैं, पर अभी तक उनसे जुड़े नियम नहीं तैयार हो पाए हैं। सूचना एवं प्रसारण मंत्री का इशारा इन कानूनों की तरफ था।

दिल्ली में प्रदूषण का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि राजधानी इन दिनों ‘गैस चैंबर’ बन गई है। वहीं, शिमला में रात में तारे गिने जा सकते हैं। अनुराग ठाकुर ने कहा कि कानून अच्छा होने के बावजूद उसे ढंग से लागू नहीं किया जाता है तो उसका लाभ नहीं मिलता। इसके उदाहरण के लिए उन्होंने निर्भया मामले का उल्लेख किया।

पीठासीन अधिकारियों से सदन में नए लोगों को संरक्षण देने का आग्रह करते हुए उन्होंने लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी का उदाहरण दिया। अनुराग ठाकुर ने कहा कि जब वह पहली बार संसद में बोलने के लिए खड़े हुए थे, तब तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष ने उन्हें पूरा संरक्षण दिया था। संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से शुरू होकर 23 दिसंबर तक चलेगा।

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