ऐतिहासिक महाकुंभ में बने अनूठे रिकार्ड

गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड में शामिल हुए तीन नए रिकार्ड, सफाईकर्मी हुए सम्मानित
संगम की रेती पर महाकुंभ का मेला सदियों से जुटता आ रहा है लेकिन महाकुंभ 2025 ने नया कीर्तिमान बनाया। यह विश्व में अब तक किसी धार्मिक समागम में सबसे ज्यादा जुटने वाली भीड़ थी। महाकुंभ को दुनिया के इतिहास में सबसे बड़े आयोजन के रूप में दर्ज किया गया। 45 दिनों तक चलने वाले महाकुंभ में कोई 65 करोड़ से ज्यादा आबादी ने स्नान किया। हालांकि भीड़ का कोई रिकार्ड गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉड्र्स में दर्ज नहीं होता। चौंकाने वाली बात यह है कि भारत और चीन की कुल आबादी के बाद तीसरी सबसे बड़ी आबादी के बराबर लोग आध्यात्मिक आयोजन में प्रयागराज पहुंचे।
सबसे बड़ा सफाई अभियान
इस बार सीएम योगी सरकार ने प्रयागराज में महाकुंभ की ग्लोबल इमेज पर भी खासी मशक्कत की। 2019 में प्रयाग के अर्धकुंभ में 10,000 सफाईकर्मियों ने एकसाथ सफाई करके विश्व रिकार्ड बनाया था। अर्ध कुंभ में पहली बार ऐसा हुआ था जब पांच अलग-अलग जगहों पर इतनी संख्या में कर्मचारियों ने एक साथ मिलकर झाड़ू लगाया था। अर्ध कुंभ से पहले यह रिकार्ड बांग्लादेश के ढाका में एक स्थान पर 7000 लोगों ने सफाई के दौरान बना था। इस साल पुराने सारे रिकार्ड टूट गए। 2025 के महाकुंभ मेला क्षेत्र के 4 जोन्स में एक साथ 19 हजार सफाईकर्मियों ने सफाई करके, झाड़ू लगाकर एक नई मिसाल पेश की है। सफाईकर्मियों की इस पहल को वल्र्ड रिकार्ड में दर्ज करने के लिए गिनीज बुक की टीम भी मौजूद थी। इस कीर्तिमान के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी सफाईकर्मियों को एक मुश्त इंक्रीमेंट देकर सम्मानित किया।
नदी सफाई अभियान
मुख्यमंत्री के निर्देश पर सबसे बड़ी नदी सफाई अभियान के रिकॉड्र्स की स्थापना का लक्ष्य रखा गया था, जिसे पूरी प्रक्रिया के साथ पूर्ण किया गया। इसके तहत गंगा नदी पर बने तीन घाटों (राम घाट, भारद्वाज घाट और गंगेश्वर घाट) पर एक साथ गंगा सफाई अभियान चलाया गया। इस बार 329 लोगों ने एक साथ गंगाजी को साफ कर गिनीज बुक में नया रिकार्ड बनाया।
हैंड पेटिंग का वल्र्ड रिकार्ड
तीसरा वल्र्ड रिकॉर्ड हैंड पेंटिंग को लेकर बना है, जहां 10,102 लोगों ने एक साथ पेंटिंग की। ये पेंटिंग लोगों द्वारा एक सामूहिक प्रयास था, जिसमें लोगों ने अपना कौशल दिखाया। इससे पहले यह रिकॉर्ड 7660 लोगों का था। गंगा पंडाल में आयोजित इस कार्यक्रम में लोगों ने अपने हाथों के निशान एक विशाल कैनवास पर बनाए, जो 80 फीट लंबा और 5 फीट चौड़ा था। यह पेंटिंग सिर्फ रिकॉर्ड बनाने तक सीमित नहीं थी, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक भी बनी।
वल्र्ड रिकॉड्र्स के प्रतिनिधि रहे मौजूद
इस अभियान को देखने के लिए गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉड्र्स के प्रतिनिधि भी मौजूद थे। इस प्रक्रिया को संपन्न कराने के लिए प्रत्यक्षदर्शी के रूप में इनवॉयरमेंटलिस्ट और एमएनआईटी के प्रोफेसर भी मौजूद थे। इन रिकार्डों का उद्देश्य केवल गिनीज बुक में नाम दर्ज कराना नहीं है बल्कि नदियों के संरक्षण के लिए महाकुंभ के समर्पण को दुनिया के पटल पर लाना है। भले ही महाकुंभ का समापन हो गया हो लेकिन इसकी यादें सालों साल लोगों के दिलो-दिमाग़ में रहेंगी। आध्यात्मिकता और आस्था के सागर में डुबकी लगाकर हमारी अर्थव्यवस्था को एक नई ऊंचाई मिल गई है।