संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष करेगा बिहार की महिलाओं और बुजुर्गों की केयर
वी केयर सेवा की शुरूआत
नई दिल्ली: भारत में भी कोविड-19 महामारी का सामना करने के प्रयासों के तहत पूरे देश में तालाबंदी लागू है जिससे जनजीवन व्यापक रूप में प्रभावित हुआ है। भारत में संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) ने बिहार राज्य में पटना नगर निगम (PMC) के साथ मिलकर गर्भवती महिलाओं और बुज़ुर्गों की मदद के लिए ‘वी-केयर’ नाम की सहायता सेवा शुरू की है. इसके तहत बिहार की राजधानी पटना में झुग्गियों में रहने वाले कमज़ोर तबके के लोगों को मुफ़्त आपातकाल यातायात और अन्य स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएँ प्रदान की जा रही हैं।
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के समर्थन से ‘वी-केयर’ सेवा शुरू हुई जो अब एक केंद्रित और लक्षित दृष्टिकोण लेकर ग़रीब बस्तियों और अन्य क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं, वृद्धों, विकलांगों के परिवारों, स्वच्छता कर्मचारियों सहित बहुत से ज़रूरतमंदों तक पहुँच कर उन्हें परामर्श देने के अलावा घर के दरवाज़े पर ही सभी सुविधाएँ मुहैय्या करा रही है। इसके लिए पटना नगर निगम ने छह वाहन दिए हैं जो यूएनएफपीए के विशेषज्ञ प्रशिक्षकों और परामर्शदाताओं के नियंत्रण में काम करते हैं। इसके स्वास्थ्यकर्मी हर रोज़ बस्तियों में घूमकर जागरूकता पैदा करते हैं, कमज़ोर तबके के परिवारों की सूची बनाई जाती हैं और उन्हें सेवाएँ प्रदान की जाती हैं।
पटना नगर निगम में एक समर्पित कॉम्बैट सेल भी बनाया गया है जो सूचना मिलने पर 20-25 मिनट के भीतर इन घरों में वाहन और सेवाएँ पहुंचने की गतिविधियों का समन्वय करता है। झोंपड़-पट्टियों में रहने वाले लोगों के लिए कोविड-19 संकटकाल में तालाबंदी के कारण मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव हो गया है, ऐसे में यूएनएफपीए की ‘वी केयर’ नामक पहल, इन लोगों के लिए एक आशा की किरण बनकर आई है।
लगभग 10 दिनों के अंदर ही ‘वी केयर’ सुविधा के ज़रिए झुग्गियों में लगभग 8000 ग़रीब परिवारों को लाभ और 23 से अधिक गर्भवती महिलाओं को महत्वपूर्ण जीवन रक्षक सेवाएँ मिली हैं। इसके अलावा इस सेवा के माध्यम से प्रसव-पूर्व जाँच और 300 से अधिक अत्यंत ग़रीब महिलाओं को परामर्श भी दिया गया है। साथ ही अनचाहे गर्भ से बचने के लिए गर्भ निरोधकों की आपूर्ति भी की जा रही है।
यूएन जनसंख्या कोष की भारत में प्रतिनिधि अर्जेंटीना मातावेल पिक्किन कहती हैं, “यूएनएफपीए ‘वी-केयर’ पहल के ज़रिए पटना नगर निगम के साथ मिलकर ये सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है कि गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं तक महत्वपूर्ण और जीवनरक्षक सेवाएँ उपलब्ध हों। इनमें प्रसव-पूर्व और प्रसव के दौरान की सेवाएँ और पूरी आपातकालीन प्रसूति देखभाल सेवाएँ शामिल हैं।” पिक्किन का कहना है कि हम जानते हैं कि तालाबंदी के कारण, महिलाओं को गर्भावस्था में परेशानी होने पर या प्रसव पीड़ा होने पर अस्पताल पहुँचने में कठिनाई हो रही है। साथ ही, अवांछित गर्भधारण से बचने के लिए आधुनिक गर्भ निरोधकों की आसान उपलब्धता भी बेहद ज़रूरी है।
(लेखक समसामयिक मामलो के जानकार हैं।)