मध्य प्रदेश

प्रदेश के 700 निजी कॉलेजों की फीस, अब तक तय नहीं कर पाए विश्वविद्यालयों

भोपाल: उच्च शिक्षा विभाग ने प्रदेश के 700 निजी कॉलेजों की फीस निर्धारित करने के लिए विश्वविद्यालयों को जिम्मेदारियां सौंपी हैं। पांच में विवि अपनी तरफ से फीस निर्धारित करने वाली कमेटियां तक गठित नहीं कर पाए हैं। जबकि आधा सत्र बीत चुका है और आगामी सत्र की प्रवेश प्रक्रिया को छह माह शेष हैं। उक्त पांच साल की समय अवधि में विवि फीस निर्धारित नहीं कर सके हों, लेकिन कुलपतियों रवानगी जरूर हो गई है।

उच्च शिक्षा विभाग के मुताबिक विश्वविद्यालयों को नया सत्र शुरू होने से पहले निजी कॉलजों की फीस तय करना है। सत्र में प्रवेश शुरू होने में महज छह माह ही बचे हैं, लेकिन विवि अभी तक फीस निर्धारित करने के लिए समितियां तक नहीं बना सके हैं। जबकि विभाग ने समस्त विश्वविद्यालयों को 28 दिसंबर 2017 को फीस तय करने का दायित्व दिया था। पांच सालों में सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति भी बदल चुके हैं। इसके बाद विवि ने फीस तय करने के आदेश को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। हालांकि कुछ विवि ने फीस निर्धारित कमेटी बनाई जरूर थी, लेकिन कुलपतियों की विदाई के बाद कॉलेजों की फीस निर्धारित करने की प्रक्रिया चलन में ही नहीं आ सकती है।

प्राचार्य नहीं होते थे गंभीर
विश्वविद्यालयों से संबंद्ध कॉलेजों में बीए, बीकॉम, बीएससी, एमए, एमएससी, एमकॉम कोर्स की फीस नॉडल कॉलेज तक करते हैं। निजी कॉलेज फीस वृद्धि संबंधी प्रपोजल नोडल कॉलेज को देते हैं। प्रार्चाय बिना किसी जांच-पड़ताल के उनकी फीस पर सहमति प्रदान दे देते थे। शासन ने संबद्धता के साथ-साथ फीस निर्धारण का अधिकारी भी विश्वविद्यालयों को दे दिया।

फर्जीवाड़े पर लगाया जा सकेगा अंकुश
फीस तय कराने टीचर्स व स्टाफ की जानकारी ली जाएगी। इसमें उनका वेतन और कॉलेज संचालन के खर्च को शामिल किया जाएगा। 60 फीस कॉलेजों में कोड 28 के तहत फैकल्टी ही नहीं है। विवि द्वारा फीस तय होने से फर्जीवाड़े पर अंकुश लगेगा। कालेज उन्हीं को वेतन दे पाएंगे, जो दस्तावेजों में शिक्षक के तौर पर पदस्थ होंगे। शिक्षकों को 25 हजार की जगह 4 से 5 हजार रुपए तक दिए जाते हैं। अब उन्हें वहीं वेतन दिया जाएगा, जो विवि को बताया जाएगा।

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