बेखौफ़ कारोबारी किसके दम पर दे रहे कारगुजारियों को अंजाम
बाराबंकी: नोवेल कोरोना वाइरस से बचाव हेतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन घोषित किया था। क्योंकि कोरोना वाइरस की चेन तोडऩे के लिये सोशल डिस्टेंसिंग ही सबसे कारगर उपाय माना गया है। सोशल डिस्टेंसिंग के लिये ही लॉकडाउन का सहारा लिया गया जिसका प्रथम चरण 21 दिन और द्वितीय चरण 19 दिनों का था। जिसके दूरगामी परिणाम स्वरूप भारतवासी काफ़ी हद तक बचने में सफल रहे। जहाँ विश्व महाशक्तियों को तो इस वाइरस ने घुटनो के बल ला दिया।
वही प्रधानमंत्री द्वारा दूरदर्शितापूर्ण लिये गये निर्णय का वर्तमान में पूरा विश्व लोहा मान रहा है। लेकिन इस दौरान बंद रही शराब की दुकानों के चलते इसके शौकीनों को काफ़ी परेशानिया झेलनी पड़ी। पूरे देश में लागू लॉकडाउन में दो लोग सबसे अधिक परेशान हुऐ एक गैर जनपदों में फसने वाले तो दूसरे शराब पीने वाले बाकी सबके लिये सरकार, शासन और प्रशासन ने भूख मिटाने से लेकर खाते तक में रूपये पहुंचाने का काम अंजाम देकर उन्हें राहत पहुंचाने में सफल रही। लेकिन इसके पीने के शौक़ीन लोगो की दिक्कत को देख जिला मुख्यालय के शराब व्यवसायियों ने अपना हित ढूंढ़ ही लिया।
उन्होंने क्षेत्रीय अधिकारियो के गैर जनपद में रहने का फायदा उठाते हुऐ शराब की जमकर कालाबाज़ारी करते हुऐ नगर की कई दुकानों को रातोरात खाली करते हुऐ जमकर कालाबजारी की। जिसका परिणाम ये हुआ कि सोमवार को इन दुकानों को खोले जाने का आदेश हो जाने पर खोली गयी दुकाने माल की कमी से जूझती नजऱ आयी।
जिनमें कई दुकाने खाली होने के चलते नहीं खुल सकी। जो खुली भी उनके खुलते ही लम्बी कतारे तो लगी लेकिन मन माफिक शराब की बजाय जो मौजूद रही उसी में ग्राहकों को संतोष करना पड़ा। अब यहां बात जांच की फसेंगी तो इसके लिये निरीक्षक की चरण वंदना भी आवश्यक है। क्योंकि लॉकडाउन तक स्टॉक की स्थिति और खुलने की स्थिति में बड़ा अंतर तो आना ही है अगर जाँच में पूरी ईमानदारी हुई तो इन दुकानों के अनुज्ञापियो पर लॉकडाउन उल्लंघन, महामारी एक्ट की धारा 3 के साथ कालाबाज़ारी एवं राष्ट्रद्रोह तो लगना ही चाहिये साथ ही दुकान भी निरस्त की जा सकती है।
अब रही बात खुलने पर सोशल डिस्टेंसिंग के साथ जिला आबकारी अधिकारी का क्या कहना है। वह कहते है कि एक व्यक्ति को दो से अधिक शराब की बोतल नहीं बेचीं जा सकती। लेकिन इन दुकानों पर कारो में एक साथ कई पेटिया मंगलवार को भी लादी गयी एक साथ दर्जनों क्वाटर, हॉफ और बोतले भी झोलो और डिक्कियो में ठूसी गयी।
अधिकारियो के बयान की इन्ही दुकानदारों ने खुलकर धज्जिया उड़ाई जिससे साफ हो जाता है की शराब माफियाओ को कानून का खौफ नहीं है। क्योंकि इन अनुज्ञापियो से कानून और नियमों का पालन कराने वाले ही या तो लापरवाह है या फिर पूर्णरूप से भ्रष्टाचार में लिप्त है।
फिलहाल बेखौफ़ अनुज्ञापियो को क्षेत्रीय अधिकारियो का संरक्षण प्राप्त होने की चर्चा आम है क्योंकि बीते 40 दिनों के लॉकडाउन में दो गुने से अधिक रेट पर शराब को इसके शौकीनों तक पहुंचा गया लेकिन शौक पूरा करने के लिये हर कीमत चुकाते हुऐ अपना शौक पूरा किया। फिर ज़ब सोमवार को दुकाने खुली तो फिर सरकारी रेट पर मिलने पर होड़ लग गयी थी।
मंगलवार को ज़ब हमारे संवाददाता ने जमुरिया स्थित दुकान पर ग्रे रंग की वैगन आर कार यूपी 32 एफ क्यू 7997 में शराब की पेटिया लादे जाते हुऐ फोटो की तो उसे फुसलाने की कोशिश भी नाकाम रही। कुल मिलाकर अबतक के लॉकडाउन में हुई शराब की कालाबाज़ारी की बात जगजाहिर है लेकिन अंजाम की फि़क्र ना करने वाले इन अनुज्ञापियो को अपने बचने का इतना विश्वास कहा से मिल रहा है यह बड़ा सवाल है।