UP: अयोध्या मुद्दे में योगी-रिजवी की मुलाकात से मुस्लिम पक्षकार खफा, कहा…
लखनऊ.शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने गुरुवार को सीएम योगी से मुलाकात की। रिजवी ने कहा- ”मैंने राम मंदिर बनाने को लेकर मुलाकात की है। जिस स्थान पर मंदिर है, वहां मंदिर ही बनेगा। जबकि मस्जिद को अयोध्या से दूर किसी मुस्लिम क्षेत्र में बनाने पर हमने बात की है। इसके लिए मैं पक्षकारों से बात कर रहा हूं।” इस मामले पर जब मुस्लिम पक्षकारों से बात की गयी तो उन्होंने सिरे से ही वसीम रिजवी के प्रस्ताव को नकार दिया। उन्होंने कहा – रिजवी ने अभी तक हम लोगों से बात भी नहीं की है। वह जब घोटाले में फंसे हैं तो उन्हें अब राम याद आ रहे हैं।
रिजवी की औकात नहीं
-वहीं, एक मुस्लिम पक्षकार हाजी महबूब ने अपनी बात रखते हुए कहा- “घोटालेबाज वसीम रिजवी की औकात ही नहीं वह इस विवाद में अपनी बात रखेंगे।”
-उन्होंने कहा कि वह अपनी राजनीती चमकाने के लिए यह सब हथकंडे अपना रहा हैं। वह जानते हैं कि भाजपा की सरकार है। ऐसे में उसे खुश कर वह जांच से बचना चाहते हैं।
-हाजी महबूब ने कहा कि अगर वह वास्तव में कोई बेहतर पहल करना चाहते हैं तो फिर उन्हें हम लोगों से भी बात करनी चाहिए। लेकिन उन्होंने अभी तक न हमसे न ही हमारे वकीलों से ही कोई बात की है। ऐसे में उनकी बात को हम क्यों महत्व दें।
हाशिम अंसारी के बेटे ने कहा जांच से बचने की कवायद है यह पहल
-वहीं, हाशिम अंसारी की मौत के बाद अयोध्या विवाद में एक पक्षकार उनके बेटे इकबाल अंसारी भी हैं। उन्होंने वसीम रिजवी के बयान पर कहा अभी तक उन्होंने हम लोगों से बात नहीं की है।
-इकबाल ने कहा- “वह शिया हैं और मस्जिद सुन्नियों की है। मस्जिद कहां बनेगी उन्हें इसके बारे में बोलने का अधिकार ही नहीं है। उन्होंने कहा वह एक बार अयोध्या आये भी थे लेकिन वह जान बूझकर जुमे की नमाज के वक्त आये और मुस्लिम पक्षकारों से मुलाकात भी नहीं की।
-उन्होंने कहा आखिर पिछली सरकार में वसीम रिजवी क्यों चुप रहे। अब जब वह घोटाले में फंस गए हैं तो उन्हें राम याद आ रहे हैं। इकबाल ने कहा- “हमारे धर्म में इनकी कोई अहमियत नहीं है। इनका प्रस्ताव सिर्फ अखबारों तक ही सीमित है।”
सितम्बर में की थी हिन्दू पक्षकारों से मुलाकात
-सितम्बर में वसीम रिजवी ने अयोध्या का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने पक्षकार दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेश दास से मुलाकात की थी। तब वसीम रिजवी ने कहा था यह पहले चरण की मुलाकात है। महंत सुरेश दास ने तब कहा था कि शिया वक्फ बोर्ड का प्रस्ताव स्वागत योग्य है।
-महंत ने कहा कि यदि मुस्लिम पक्ष मंदिर निर्माण में और हिन्दू पक्ष मस्जिद निर्माण में सहायक बने तो इस विवाद का जल्द समाधान हो सकता है।
अयोध्या के मुस्लिम बोले राम से बढ़ेगा रोजगार
-राम के पोस्टर्स बेचकर घर का खर्च चलाने वाले मोहम्मद शाह आलम कहते हैं कि अयोध्या में तीन मेला लगते हैं जिससे हमारा व्यापार बढ़ता है। शाह कहते हैं- “राम से ही हमारा रोजगार है अगर राम मंदिर बनता है तो हमें कोई दिक्कत नहीं है कम से कम इसी वजह से हमारा रोजगार बढेगा।”
-वहीं, जुबेर कहते हैं कि अयोध्या में अगर मंदिर बनने से विकास और टूरिज्म बढ़ता है तो यह हम सबके लिए अच्छा है। लेकिन यह सब अगर राजनीति के लिए किया जा रहा है तो अयोध्या को राजनीति की आदत पड़ चुकी है।
1949 से चल रहा है विवाद
-बता दें, 1949 में विवादित ढांचे में रामलला की मूर्ति सामने आने के बाद विवाद शुरू हुआ। तब सरकार ने इस जगह को विवादित घोषित कर दिया और इस जगह ताला लगा दिया गया था।
-शिया वक्फ बोर्ड अयोध्या मामले में रिस्पॉन्डेंट (प्रतिवादी) नंबर 24 है। बोर्ड ने पहली बार सुप्रीम कोर्ट में ही एफिडेविट दायर किया है। 68 साल पुराने इस मसले को सुलझाने के लिए शिया वक्फ बोर्ड के अलावा सुप्रीम कोर्ट, इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुब्रमण्यम स्वामी भी रास्ता सुझा चुके हैं।
अब तक ये 4 फॉर्मूले सामने आए…
1) इलाहाबाद हाईकोर्ट
-30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने विवादित 2.77 एकड़ की जमीन को मामले से जुड़े 3 पक्षों में बराबर-बराबर बांटने का आदेश दिया था।
ये तीन पक्ष:
– निर्मोही अखाड़ा: विवादित जमीन का एक-तिहाई हिस्सा यानी राम चबूतरा और सीता रसोई वाली जगह।
– रामलला विराजमान: एक-तिहाई हिस्सा यानी रामलला की मूर्ति वाली जगह।
– सुन्नी वक्फ बोर्ड: विवादित जमीन का बचा हुआ एक-तिहाई हिस्सा।
2) सुप्रीम कोर्ट
– मार्च 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “राम मंदिर विवाद का कोर्ट के बाहर निपटारा होना चाहिए। इस पर सभी संबंधित पक्ष मिलकर बैठें और आम राय बनाएं। बातचीत नाकाम रहती है तो हम दखल देंगे।”
3) सुब्रमण्यम स्वामी
– मार्च में सुप्रीम कोर्ट के स्टैंड पर दिए बयान में स्वामी ने कहा था, “मंदिर और मस्जिद दोनों बननी चाहिए। मसला हल होना चाहिए। मस्जिद सरयू नदी के दूसरी तरफ बनना चाहिए। जबकि मंदिर वहीं बनना चाहिए, जहां अभी वो है। राम जन्मभूमि तो पूरी तरह राम मंदिर के लिए ही है। हम राम का जन्मस्थल तो नहीं बदल सकते। सऊदी अरब और मुस्लिम देशों में मस्जिद का मतलब होता है, वो जगह यहां नमाज अदा की जाए और ये काम कहीं भी हो सकता है।”
4) शिया वक्फ बोर्ड
8 अगस्त 2017 को शिया वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, “अयोध्या में मस्जिद विवादित जगह से कुछ दूरी पर मुस्लिम बहुल इलाके में बनाई जा सकती है। बाबरी मस्जिद शिया वक्फ की है लिहाजा वो ही ऐसी संस्था है, जो इस विवाद के शांतिपूर्ण हल के लिए दूसरे पक्षों से बातचीत कर सकती है। विवाद के हल के लिए बोर्ड को कमेटी बनाने के लिए वक्त चाहिए।”