UP: राज्यपाल को सौंपी गई कुलपति की जांच रिपोर्ट
गौरतलब है, नाईक ने 1 मई 2015 को प्रो. मुन्ना सिंह को निलंबित करते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति कार्यालय से संबद्ध किया था जहां वे 27 मई तक उपस्थित नहीं हुए थे।
28 मई को प्रो. मुन्ना सिंह द्वारा हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में दायर याचिका पर अदालत ने कुलाधिपति के आदेशों के क्रियान्वयन को इस शर्त पर स्थगित कर दिया कि प्रो. सिंह को जांच के दौरान अवकाश पर रखा जाए।
कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ कुलाधिपति कार्यालय ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की। 21 अगस्त 2015 को उच्चतम न्यायालय ने हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के आदेश पर रोक लगाते हुए प्रो. मुन्ना सिंह को फिर से निलंबित करने का आदेश पारित किया।
निलंबन के बाद उन्हें सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय मेरठ से संबद्ध किया गया लेकिन प्रो. सिंह वहां भी उपस्थित नहीं हुए।
कुलाधिपति ने पूर्व में लखनऊ विश्वविद्यालय और बाद में कृषि विश्वविद्यालय मेरठ में उपस्थित होने के आदेशों की अवहेलना की जांच के लिए समिति का गठन किया था। समिति ने प्रो. मुन्ना सिंह को सुनवाई का अवसर दिया था।