UP: शहीद पति का शव देख बेकाबू होकर फफक पड़ी पत्नी, चेक तक पकड़ने की भी नहीं थी हिम्मत
बुलंदशहर. जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में आतंकियों के साथ हुए मुठभेड़ में बुलंदशहर के स्याना निवासी ब्रह्मपाल सिंह भाटी (35) सोमवार को शहीद हो गए थे। बुधवार को उनका पार्थिव शरीर जैसे ही उनके पैतृक गांव सोझना रानी पहुंचा कोहराम मच गया। बुजुर्ग मां और उनकी पत्नी सहित सभी का रो-रोकर बुरा हाल था। शहीद की पत्नी का हाल ऐसा हो गया था कि मंत्री की ओर से दिए गए चेक भी पकड़ने की हिम्मत नहीं थी।
अंतिम संस्कार में मंत्री-विधायक सहित जुटे भारी संख्या में लोग…
-बता दें, बुधवार को शहीद ब्रह्मपाल सिंह का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव सेना की बटालियन पूरे सम्मान के साथ लेकर पहुंची। गांव के लोग और परिजन पिछले 36 घंटे से उनका पार्थिव शरीर का इंतजार कर रहे थे।
-हालांकि, पूरे एनसीआर में धुंध के चलते पार्थिव शरीर लगभग 12 घंटे देरी से गांव पहुंचा। इसकी जानकारी होते ही जिला प्रशासन और आसपास के भारी संख्या में लोग शहीद के पैतृक गांव सोझना रानी पहुंचे।
-राज्य सरकार के गन्ना मंत्री सुरेश राणा के साथ बुलंदशहर के 4 विधायक भी शहीद की आंतिम विदाई में शामिल रहे। पूरे राजकीय सम्मान के साथ शहीद का अंतिम संस्कार किया गया। ब्रह्मपाल सिंह के बेटे आशु (5) ने उन्हें मुखाग्नि दी।
शहीद का भाई बोला- दुख है, लेकिन गर्व है
– शहीद ब्रह्मपाल सिंह के ओमप्रकाश ने कहा, ”हमें गर्व है कि मेरे भाई ने देश के लिए अपने जान न्यौछावर किया है। हालांकि, परिवार के लिए यह दुखद है। इस सदमे से उबरने में समय लगेगा। लेकिन गर्व है कि भाई के प्राण देश के लिए काम आया।”
-बेटे के पार्थिव शरीर को देखते ही मां बलवीरी देवी और उनकी पत्नी संगीता का रो-रोकर हाल बेहाल हो गया। क्योंकि जब उनके शहीद होने की खबर मिली तो इन दोनों ये बात छिपाई गई थी।
-शहीद ब्रह्मपाल सिंह अपने पीछे दो बेटी और एक बेटा छोड़ कर गए हैं। बड़ी बेटी करीब 9 साल की है, जबकि सबसे छोटा बेटा आशू 5 साल का है।
पीड़ित परिजन से मिले गन्ना मंत्री, लोगों ने शहीद के नाम पर पुल बनवाने की मांग
-शहीद के परिजनों से मिलने पहुंचे गन्ना राज्यमंत्री सुरेश राणा ने कहा, देश का एक वीर आज कम हो गया इस बात का हमें दुख हैं, लेकिन आज पूरे देश को शहीद ब्रह्मपाल सिंह भाटी पर गर्व है। उनकी कुर्बानी जाया नहीं जाने दी जाएगी।
-उन्होंने बताया, सरकार की तरफ से शहीद के परिवार को 20 लाख रुपए का चेक दिया गया है। वही, इस दौरान मंत्री सुरेक्ष राणा से लोगों ने शहीद की याद में गंगा पर पुल बनवाने की मांग की है।
2003 में सेना में हुए थे भर्ती
– भाई ओमप्रकाश ने कहा, ”मुझे बताया गया कि सोमवार को पुलवामा जिले में आतंकवादियों के साथ सेना के जवानों की मुठभेड़ हुई जिसमें ब्रह्मपाल शहीद हो गए।”
– ”वे 2003 में सेना में भर्ती हुए थे। उनकी पहली पोस्टिंग जम्मू कश्मीर में हुई थी। उसके बाद वह अन्य स्थानों पर भी तैनात रहे।”
– ”करीब 3 महीने पहले ब्रह्मपाल सिंह छुट्टी पर गांव आए थे। उसके बाद वह वापस ड्यूटी पर चले गए थे। इस समय वह 22 राजपुताना राइफल्स में तैनात थे।”