उत्तर प्रदेशराज्य

UP: श्रीश्री के फॉर्मूले से सुलझेगा अयोध्या मुद्दा? Q&A में जानें क्यों अहम है उनकी मध्यस्थता

लखनऊ. अयोध्या मुद्दे पर मध्यस्थ की भूमिका निभाने के लिए आगे आए अध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर 16 नवंबर को अयोध्या पहुंच रहे हैं। यहां वो हिंदू और मुस्लिम, दोनों ही पक्षकारों से मुलाकात करेंगे। वहीं, शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने सोमवार को इलाहाबाद में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी से मुलाकात की है। UP: श्रीश्री के फॉर्मूले से सुलझेगा अयोध्या मुद्दा? Q&A में जानें क्यों अहम है उनकी मध्यस्थता

Q. किसकी पहल पर श्रीश्री रविशंकर अयोध्या आने को तैयार हुए?
A.निर्मोही अखाड़े के प्रतिनिधि प्रभात सिंह ने बताया, “दिल्ली में निर्मोही अखाड़े की तरफ से कोर्ट में पैरवी कर रहे पक्षकार राजा रामचन्द्रचार्य ने रविशंकर से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद ही श्रीश्री मध्यस्थता करने और अयोध्या आने को तैयार हुए। 11 नवंबर को निर्मोही अखाड़े के ही दिनेंद्र दास ने बेंगलुरु में श्रीश्री रविशंकर से मिलकर अयोध्या आने का आग्रह किया था।”

Q. श्रीश्री अयोध्या क्यों आ रहे हैं ?
A.अयोध्या में वे हिंदू और मुस्लिम, दोनों ही पक्षकारों से मुलाकात करेंगे। इस मीटिंग के जरिए अयोध्या विवाद को कोर्ट से बाहर सुलझाने की कोशिश करेंगे।

 
Q. श्रीश्री रविशंकर का अयोध्या विवाद पर क्या फॉर्मूला है?
A. जानकारी के मुताबिक, जब सभी पक्षों से बात हो जाएगी, तब रविशंकर अपना फॉर्मूला बताएंगे।
 
Q. कहां और किन लोगों से मिलेंगे श्रीश्री?
A. निर्मोही अखाड़े के महंत दिनेंद्र दास के मुताबिक, निर्मोही अखाड़े जाकर महंत दिनेंद्र दास से मुलाकात करेंगे। यहीं दूसरे हिंदू पक्षकारों से मुलाकात करेंगे। इसके बाद मुस्लिम पक्षकार हाजी महबूब और इकबाल अंसारी से उनके बताए स्थान पर मीटिंग करेंगे।
 
Q. अयोध्या विवाद में कौन-कौन से पक्ष हैं ?
A.निर्मोही अखाड़ा, रामलला विराजमान, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड।
 
Q. तीनों पक्षों का दावा क्या है ?
A. निर्मोही अखाड़ा:गर्भगृह में विराजमान रामलला की पूजा और व्यवस्था निर्मोही अखाड़ा शुरू से करता रहा है। लिहाजा, वह स्थान उसे सौंप दिया जाए।
रामलला विराजमान: रामलला विराजमान का दावा है कि वह रामलला के करीबी मित्र हैं। चूंकि भगवान राम अभी बाल रूप में हैं, इसलिए उनकी सेवा करने के लिए वह स्थान रामलला विराजमान पक्ष को दिया जाए, जहां रामलला विराजमान हैं।
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड: सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का दावा है कि वहां बाबरी मस्जिद थी। मुस्लिम वहां नमाज पढ़ते रहे हैं। इसलिए वह स्थान मस्जिद होने के नाते उनको सौंप दिया जाए।
 
Q. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्या फैसला दिया था?
A.30 सितंबर, 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने विवादित 2.77 एकड़ की जमीन को मामले से जुड़े 3 पक्षों में बराबर-बराबर बांटने का आदेश दिया था।
ये तीन पक्ष:
निर्मोही अखाड़ा: विवादित जमीन का एक-तिहाई हिस्सा यानी राम चबूतरा और सीता रसोई वाली जगह।
रामलला विराजमान: एक-तिहाई हिस्सा यानी रामलला की मूर्ति वाली जगह।
सुन्नी वक्फ बोर्ड:विवादित जमीन का बचा हुआ एक-तिहाई हिस्सा।
 
Q. रविशंकर के आने से अयोध्या मामले में क्या फर्क पड़ेगा ?
A. अयोध्या के सीनियर जर्नलिस्ट बीएन दास के मुताबिक रविशंकर संत हैं। उनकी बात साधु-संत सुनेंगे। उनकी बात को मुस्लिम पक्षकार भी मान सकते हैं। यही नहीं, पक्षकारों की बात को वह आसानी से पीएम या सीएम तक भी पहुंचा सकते हैं।
 
Q. क्या वसीम रिजवी (चेयरमैन शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड) को भी मीटिंग में बुलाया जाएगा ?
A. वसीम रिजवी पहले ही रविशंकर से मुलाकात कर अपना फॉर्मूला पेश कर चुके हैं। चूंकि अयोध्या में मुस्लिम पक्षकारों ने उनका विरोध किया है, ऐसे में अयोध्या में होने वाली मीटिंग में उन्हें बुलाने की संभावना कम है। वहीं, इस पूरे मामले में वह पक्षकार भी नहीं हैं।
Q. वसीम रिजवी (चेयरमैन शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड) का क्या फॉर्मूला है ?
A. 8 अगस्त, 2017 को शिया वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था, “अयोध्या में मस्जिद विवादित जगह से कुछ दूरी पर मुस्लिम बहुल इलाके में बनाई जा सकती है। बाबरी मस्जिद शिया वक्फ की है, लिहाजा वो ही ऐसी संस्था है, जो इस विवाद के शांतिपूर्ण हल के लिए दूसरे पक्षों से बातचीत कर सकती है। विवाद के हल के लिए बोर्ड को कमेटी बनाने के लिए वक्त चाहिए।”
 

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