UP के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्ती ने काबू किया उपद्रव
UP Chief Minister Yogi Adityanath: मरीज पर रासुका! आश्चर्य हुआ ना! कोई भी जल्दी नहीं मानेगा यह बात। मानने वाली बात है भी नहीं लेकिन, फिर भी लोगों ने न केवल माना बल्कि इसे सराहा भी। सभी वर्गों का एक ही सवाल था कि कुछ लोगों की गलती का दंड पूरा समाज क्यों भुगते। विवरण थोड़ा आगे क्योंकि अभी तो बात करते हैं रविवार रात नौ बजे नौ मिनट तक घर-घर मनी दीवाली की।
हफ्ते का आरंभ यदि मुख्यमंत्री की डांट के बाद नोएडा के डीएम बीएन सिंह द्वारा छुट्टी मांगे जाने की लज्जाजनक घटना से हुआ था तो समापन उतना ही प्रेरक रहा। अगर 22 मार्च की शाम ताली-थाली बजाने की घटना अभूतपूर्व थी तो पांच अप्रैल का प्रकाशपर्व भी दिलों में दर्ज हो गया।
दीवाली से पहले कुम्हारों की दीवाली हो चुकी थी। उनके मिट्टी के दीये बिक चुके थे और उन्हें ओवरटाइम करना पड़ा था। दो दिन से लोग दीयों की तलाश कर रहे थे। यूं तो मोबाइल फोन की टार्च भी जली लेकिन, उद्देश्य की पवित्रता और संघर्ष का बोध तो दीयों से ही आया। अद्भुत था यह दृश्य। लोग नौ बजने से पहले ही दीये जला चुके थे। प्रधानमंत्री का आह्वान साकार था। हिंदू मुसलमान का भेद मिट चुका था। सभी धर्म, वर्ग कोरोना को हराने के लिए प्रकाश के रथ पर आरूढ़ थे। शत्रु को ध्वस्त करने निकल पड़े थे सब। पटाखों और शंखध्वनि से वातावरण गुंजित था। खूनी वायरस जब मन में अंधेरा भर रहा था तो ऐसे कठिन समय लाखों दीपकों ने इतना उजाला कर दिया कि चीनी विषाणु का असर कम दिखने लगा। बीमारी से लड़ने का हौसला और अदम्य उत्साह दे गया यह प्रकाश। शहर शहर, गांव गांव जले दीपक एकता का संदेश दे गए। स्निग्ध प्रकाश की पावन किरणों ने संकल्पसूत्र से बांध दिया सबको।
अब रासुका के कारणों की चर्चाकोरोना से दुनिया भर में चल रहे युद्ध के बीच उत्तर प्रदेश में कुछ कड़े फैसले हुए। ऐसा ही एक निर्णय तीन अप्रैल को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तब्लीगी जमात को लेकर किया। उन्होंने डॉक्टरों और उनके सहयोगियों से अभद्र व्यवहार करने वाले जमात के लोगों पर रासुका लगाने की घोषणा की। हर मरीज हमदर्दी का पात्र होता है। लोग मन, वचन और कर्म से उनकी सहायता करते हैं। धर्म के आधार पर डॉक्टर कभी भेद नहीं करते। यही भाव तब्लीगी जमात के कोरोना रोगियों को लेकर भी सबका था लेकिन, जैसे ही यह खबर आई कि जमातियों ने गाजियाबाद के एक अस्पताल में महिला स्वास्थ्य कर्मियों के साथ अभद्रता की और डॉक्टरों पर थूका, यह भाव तिरोहित हो गया और चारों तरफ नाराजगी दिखने लगी। इससे पहले कभी ऐसी घटना देखी सुनी नहीं गई थी।
इस समय जब अनेक शहरों में डॉक्टरों और अन्य मेडिकल स्टाफ पर फूल बरसाये जा रहे हैं, सोशल मीडिया और अखबार उनकी प्रशंसा से पटे पड़े हैं, तब चंद जमातियों द्वारा उन पर थूकने की घटना ने रोष और दुख की लहर पैदा कर दी। हालांकि बाद में भी आगरा, लखनऊ और कानपुर में जमातियों द्वारा की गई ऐसी ही शिकायतें आम होती रहीं। लखनऊ कैंट में जमातियों ने इतना हंगामा किया कि शनिवार को वहां दो दिन का कफ्र्यू लगाना पड़ा। बनारस के भी चार थाना क्षेत्रों में जमातियों के कारण ही कफ्र्यू लगा। उपद्रवियों पर रासुका लगाने की घोषणा और मुख्यमंत्री द्वारा सख्ती दिखाने के बाद इन हरकतों पर अंकुश लगा। सख्ती न की गई होती तो उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमितों की संख्या अब तक बहुत बढ़ चुकी होती।
एक अच्छी बात यह रही कि बसपा प्रमुख मायावती ने अपने विधायकों को कोरोना के खिलाफ लड़ाई में एकएक करोड़ रुपये देने का निर्देश दिया तो मुख्यमंत्री योगी ने भी तत्काल फोन मिलाकर उन्हें धन्यवाद दिया। राजनीतिक सदाशयता के ऐसे उदाहरण विरल हैं लेकिन, यह जब भी घटते हैं तो आशा और भरोसे की सुंदर लकीर छोड़ जाते हैं। योगी वैसे भी इस समय भी टॉप गियर में हैं। उन्होंने दो बार भाजपा विधायकों और संगठन पदाधिकारियों के साथ बैठक की। रविवार को विभिन्न धर्मगुरुओं के साथ हुई उनकी बैठक काफी परिणामदायी रही।
बैठक में मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने जोर देकर कहा कि प्रशासन को मुस्लिम धर्मगुरुओं की अपील का वीडियो बनाकर चलाना चाहिए। मौलाना कल्बे जवाद का कहना था कि मस्जिदों में सामूहिक नमाज रोकने का निर्णय उचित है क्योंकि पहले जिंदगी जरूरी है। बीते हफ्ते योगी सरकार ने श्रमिकों के खाते में 611 करोड़ रुपये एकमुश्त भेजे थे तो रविवार को प्रदेश भर के मोची, दर्जी, नाई, सुनार और बढ़ई आदि के खातों में एक हजार रुपये भेजने की घोषणा की। इतनी दूर तक सोचने के लिए सरकार बधाई की पात्र है।