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UP में फसलों के लिए मुसीबत बन गई हैं गायें, किसान रात-दिन दे रहें पहरा

एक जमाना था जब गाय-बैल देश के किसानों की सबसे बड़ी पूंजी होते थे. मशीनों के आने के साथ बैल बेकार हुए और अब तो गायें भी जब दूध देना बंद कर देती हैं किसान के लिए बेकार हो जाती हैं. लेकिन क्या नौबत यहां तक आ गई है कि गाय और बैल किसानों के दुश्मन ही बन जाएं.

 

उत्तर प्रदेश के बहराइच में अचौलिया गांव में अब लोग आधी रात को सोते नहीं बल्कि अपने खेतों की पहरेदारी करते हैं. ताकि कोई गाय-बैल उनकी फसलों को नुकसान ना पहुंचा दे. इस इलाके में कई बार ऐसा हुआ है कि रात को गाय-बैल के झुंड ने फसलों को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है.

दरअसल, इस क्षेत्र में एक-दो-दस-बीस या सौ पचास नहीं इलाके में ऐसे हजारों लावारिस गोवंश का झुंड तैयार हो गया है जिनका कोई मालिक नहीं है ना ही कोई ठिकाना है.

इसमें ज्यादातर ऐसे बैल हैं जो खेती किसानी में उपयोगी नहीं रहे, ऐसी गायें भी हैं जो अब दूध नहीं दे सकती, ऐसे में इनके खाने का खर्च किसानों पर बोझ बन गया तो इन्हें लावारिस छोड़ दिया गया. लिहाजा गोवंश का ये झुंड एक गांव से दूसरे गांव खाने की तलाश भटकता रहता है और जहां भी फसल मिलती उस पर टूट पड़ता है.

ये हालात सिर्फ अचौलिया गांव के नहीं है, बल्कि पूरे बहराइच जिले में आवारा मवेशियों का आतंक है. न सिर्फ बहराइच बल्कि इससे सटे गोंडा, पीलीभीत, और लखीमपुर खीरी में भी यही हाल है.

लावारिस गोवंश का ये झुंड रात के वक्त ही खेतों पर धावा बोलता है, लिहाजा किसान रात-रात भर जागकर अपने खेतों में मचान पर चढ़कर पहरा देते हैं. आधे घंटे की चूक भी इनकी महीनों की मेहनत को मिट्टी में मिला सकती है. इसलिए घर के बुजुर्गों से लेकर बच्चे तक बारी-बारी से इस पहरेदारी में शामिल होते हैं.

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