यूपीसीए : पूर्व खिलाड़ियों के लिए ग्रेटीज की मांग, महिला क्रिकेट के संचालन की खामियों पर उठे सवाल
अपेक्स काउंसिल की बैठक में पहली बार खुल कर उठाए गए खेल और खिलाड़ियों से संबंधित मुद्दे
कानपुर, (संजीव मिश्र)। उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (यूपीसीए) की अपेक्स काउंसिल की बैठक में पहली बार सदस्यों को खुलकर बोलने का मौका मिला। यह तब हुआ जब सदस्यों ने ऐलान कर दिया कि जब तक सभी को सुना नहीं जाएगा तब तक वोट फॉर थैंक्स नहीं होने देंगे, फिर चाहे मीटिंग रात आठ बजे तक ही क्यों न चले। सदस्यों की तरफ से कई मांगें उठीं, कई अच्छे सुझाव रखे गए और उन पर अमल का आश्वासन भी मिला। मीटिंग में सदस्यों ने यूपीपीएल और अन्य आयोजनों पर किए गए खर्च का ब्यौरा भी मांगा।
वर्चुअली मीटिंग से जुड़े यूपीसीए के अध्यक्ष
कमला क्लब स्थित यूपीसीए मुख्यालय में हुई बैठक एक घंटा 10 मिनट चली। इस दौरान यूपीसीए के अध्यक्ष निधिपत सिंहानिया शहर से बाहर होने की वजह से वर्चुअली बैठक से जुड़े। इसके अलावा बीमारी व अन्य कारणों से खलीक मुख्तार खान व कुछ अन्य सदस्यों ने वर्चुअली मीटिंग अटैंड की। मीटिंग में बहस भी हुई और कुछ सवालों के जवाब न मिलने पर हल्का हंगामा भी हुआ। यूपीसीए के सीईओ पर मुद्दों पर जवाब देने की बजाय टाल मटोल करने का आरोप भी लगाया गया।
पुरुष व महिला खिलाड़ियों के लिए ग्रेटीज की मांग
प्लेयर एसोसिएशन की ओर से राहुल सप्रू और अर्चना मिश्रा ने 25 से कम रणजी मैच खेले पूर्व पुरुष व महिला क्रिकेटरों की आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए ग्रेटीज के रूप में उनकी मदद करने की मांग उठाई। अर्चना ने कहा कि ऐसा करने पर यूपीसीए को इनकम टैक्स में भी राहत मिलेगी। कई सदस्यों ने अपनी बात मजबूती के साथ रखी। मीटिंग में मौजूद एक सदस्य ने बताया कि अर्चना मिश्रा, राहुल सप्रू, संजीव कुमार सिंह, इन्दु प्रकाश मिश्र व अन्य सदस्यों ने जोरदार तरीके से मुद्दों को उठाया और सवालों के जवाब मांगे। मीटिंग के दौरान मौजूद वाइस प्रेसीडेंट एवं पूर्व टेस्ट खिलाड़ी गोपाल शर्मा किसी सवाल का जवाब देने की बजाए चुपचाप सदस्यों की बातों को सुनते रहे।
ज्ञानेन्द्र पांडे और अरविन्द कपूर की नियुक्तियों पर भी पूछा
राहुल सप्रू ने सीनियर टीम का ज्ञानेन्द्र पांडेय को निदेशक बनाने और अरविन्द कपूर को यूपीसीए में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपे जाने की वजह पूछी तो सीईओ ने कहा कि टीम को ज्ञानेन्द्र पांडेय व अरविन्द कपूर के अनुभव का लाभ मिल सके, इसलिए उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी गई। इस पर राहुल ने सवाल किया कि फिर बाहर के कोच पर क्यों भरोसा किया जा रहा है, यह जिम्मेदारी क्यों नहीं अपने ही अनुभवी पूर्व खिलाड़ियों को सौंपी जाती है? इस पर उन्हें कोई संतोष जनक जवाब नहीं मिल सका।
पूर्वांचल के खिलाड़ियों के हक में खड़े हुए राहुल
राहुल सप्रू ने पूर्वांचल के खिलाड़ियों को मौका न मिलने का मुद्दा भी जोरदार तरीके से उठाते हुए कहा कि वहां की प्रतिभाओं को क्यों नहीं मौका मिल पाता है, जबकि एक दो जिलों से कई-कई खिलाड़ी टीम में शामिल कर लिए जाते हैं। कहा कि यही वजह है कि सूर्यकुमार यादव और यशस्वी जयसवाल जैसे खिलाड़ी यूपी छोड़कर दूसरे स्टेट से खेलने को मजबूर हो गए थे।
अंकित राजपूत को हटाने के तरीके पर भी सवाल उठाया
राहुल सप्रू ने यूपी के लिए 80 मैच खेलने वाले पेसर अंकित सिंह राजपूत को हटाने के तरीके पर भी सवाल उठाया। राहुल के कहने का मतलब था कि जो खिलाड़ी अपने स्टेट के लिए इतना ज्यादा खेला हो, उसको स्टैंड बाई में रखकर बेइज्जत क्यों किया गया। उसकी सम्मानजनक विदाई होनी चाहिए थी।
यूपीपीएल और अन्य आयोजनों के खर्च का विवरण मांगा
अपेक्स काउंसिल की मीटिंग में यूपीपीएल और अन्य प्रतियोगिताओं व आयोजनों में किस मद में कितना खर्च किया गया इसका ब्यौरा मांगा गया। इस पर अध्यक्ष ने कहा कि अपेक्स के सदस्यों को इसका विवरण उपलब्ध करवाया जाए, क्योंकि क्या खर्च होता है इसकी जवाबदेही जब अपेक्स काउंसिल की भी बनती है तो इनको सारी जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने अगली मीटिंग में इसका ब्यौरा रखने को कहा गया है।
एक पदाधिकारी के खर्च पर भी उठे सवाल
एक पदाधिकारी होने वाले खर्च पर सवाल उठा उन पर हर महीने होने वाले खर्च का विवरण मांगा गया। यह भी पूछा गया कि यूपीसीए में इनका रोल क्या है, इनका टीए/डीए कितना है, ये कई पोस्ट पर क्यों काबिज हैं। इनका सलेक्शन में हस्तक्षेप क्यों है? सूत्रों के अनुसार यह पदाधिकारी एक दिन पहले सदस्यों के होटल पहुंच अपने खिलाफ बने माहौल को शांत करने के लिए सदस्यों से हंगामा न करने की गुजारिश करता रहा लेकिन बात बनी नहीं।
महिला टी-20 लीग करवाने की मांग उठाई
अर्चना मिश्रा ने यूपी में महिला टी-20 लीग करवाने की मांग की। उन्होंने पुरुष चयनसमितियों की तरह ही महिलाओं की भी अलग-अलग जूनियर और सीनियर चयन समितियों को चुने जाने और उनका कार्यकाल निर्धारित करने की मांग की। उन्होंने महिलाओं की विभिन्न प्रदेश टीमों के लिए अलग-अलग कोच और मैनेजर की नियुक्ति की मांग उठाई। इसके अलावा यूपी टीम के अच्छा परफॉर्मेंश न करने के बावजूद उसकी चीफ कोच को कई सालों से बरकरार रखने पर सवाल उठाया। यूपीसीए के अध्यक्ष निधिपत सिंहानिया अर्चना के कई बिंदुओं से सहमत नजर आए और उन्होंने उनको नोट करने को कहा।
टेलीफोनिक और मैसेजिंग से चयन बंद हो
अर्चना ने मांग रखी कि सलेक्शन के समय महिला चयन समिति की सभी सदस्यों को ट्रायल में रहना अनिवार्य किया जाए और टेलीफोनिक मीटिंग व मैसेजिंग से सलेक्शन की प्रक्रिया को रोकने की मांग की। बता दें कि पीछे कुछ टीमों के चयन ट्रायल के दौरान यह आरोप लगे थे कि सलेक्शन के समय एक या दो सलेक्टर ही खिलाड़ियों को परखती हैं बाकी सलेक्टर मैसेजिंग से टीम में किसे रखना है और किसे बाहर करना है तय कर लेती हैं। हालांकि आपकी वेबसाइट इन आरोपों की पुष्टि नहीं कर रही।
लखनऊ में क्यों लगा अंडर-19 महिला टीम का कैम्प
एक मुद्दा लखनऊ में अंडर-19 महिला टीम का कैम्प लगाने को लेकर भी उठा। पूछा गया कि जब ग्रीनपाक स्टेडियम और कमला क्लब उपलब्ध था तो लखनऊ में कैम्प लगाने और 41 खिलाड़ियों के लिए होटल बुक कराने की क्या जरूरत थी। इस पर जब कोई संतोष जनक जवाब नहीं दिया गया तो माहौल थोड़ा गरमा गया। राहुल सप्रू ने सीईओ से कहा कि आप तो कोई जवाब ही ठीक से नहीं देते हैं जैसे कि आपने टाल मटोल करने की पीएचडी कर रखी हो।
ये प्वाइंट भी अर्चना मिश्रा की तरफ से रखे गए
- फाइनल सलेक्शन के समय खिलाड़ियों का फिटनेस टेस्ट अनिवार्य हो, क्योंकि पिछले दिन एक घायल खिलाड़ी को भी टीम के साथ टूर पर ले जाया गया था।
- सवाल किया गया कि हेमलता काला कितने पदों पर एक साथ काम कर रही हैं और कोच का कार्यकाल कितने सालों का है?
- सलेक्टर, कोच और टीमों के सपोर्ट स्टाफ का कार्यकाल निर्धारित और लिखित रूप से होना चाहिए।
-कुछ सपोर्ट स्टाफ, सलेक्टर और कोच को कई साल बरकरार रखा जाता है और कुछ को एक या दो साल में ही बिना सूचना के हटा दिया जाता है, ऐसा न हो।
-सलेक्शन ट्रायल की जगह स्टेट लेवल पर सलेक्शन मैच हों और उसमें किए परफॉर्मेंस के अनुसार टीम में खिलाड़ियों का चयन किया जाए। - मेन्स क्रिकेट कोच की तरह ही वुमेन्स टीम के कोच की टीम और खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर जवाबदेही होनी चाहिए। कोच के कार्यकाल में टीम क्वार्टर फाइनल या सेमीफाइनल में कितनी बार पहुंची इसके आधार पर ही कोच का कार्यकाल बढ़ाया जाना चाहिए।
- यूपी टीम में बाहरी खिलाड़ियों की इन्ट्री तुरंत बंद होनी चाहिए, ताकि प्रदेश की लड़कियों को ज्यादा से ज्यादा मौका मिल सके।
क्यों नहीं टीम इंडिया में ली जा रहीं यूपी की खिलाड़ी
अर्चना मिश्रा ने यूपीसीए को किए गए मेल में इन बिन्दुओं का जिक्र करते हुए एक कई सालों से यूपी की खिलाड़ियों को टीम इंडिया में जगह न मिलने का भी जिक्र किया है। कहा गया है कि 8-9 सालों से इंडिया की सलेक्शन कमेटी की चेयरपर्सन यूपी से ही हैं, फिर भी अपने राज्य की खिलाड़ियों को भारतीय टीम में जगह नहीं मिल पाती है।
नौ साल पहले पूनम, एकता और दीप्ती को मिला था मौका
अर्चना मिश्रा ने यह भी कहा है कि 5 वर्ष इंडिया की सलेक्शन कमेटी की चेयरपर्सन हेमलता काला रहीं, जबकि लगभग 4 सालों से नीतू डेविड चेयरपर्सन हैं लेकिन फिर भी यूपी की खिलाड़ियों को इंडिया टीम में जगह नहीं मिल पा रही। उन्होंने आश्चर्य जताया कि पूनम यादव, एकता बिष्ट और दीप्ति शर्मा के बाद कोई खिलाड़ी इंडिया टीम से नहीं खेली। उनका कहना था कि ये खिलाड़ी रीता डे के कार्यकाल में टीम इंडिया में सलेक्ट हुई थीं। इसके बाद यूपी की किसी खिलाड़ी को इंडिया की सीनियर टीम के लायक नहीं समझा गया। अर्चना ने जोर देकर कहा कि अगली बैठक में इन सभी बिन्दुओं पर क्या किया गया उसका जवाब रखा जाए। हालांकि यहां यह भी गौरतलब है कि जब यूपी की सीनियर टीम प्रतियोगिताओं के नॉक आउट दौर में भी नहीं पहुंच पा रही हो तो मौजूदा चेयरपर्सन नीतू डेविड किस आधार पर अपनी खिलाड़ियों के लिए लड़ाई लड़ सकती हैं।