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मणिपुर और संभल हिंसा पर चर्चा के लिए राज्यसभा में हंगामा, कार्यवाही फिर स्थगित

नई दिल्ली : राज्यसभा की कार्यवाही गुरुवार को भी सुचारू रूप से नहीं चल सकी। मणिपुर और उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा पर विपक्ष के सांसदों ने चर्चा की मांग की। अनुमति न मिलने पर सदन में जमकर हंगामा हुआ। हंगामा बढ़ने पर सदन की कार्यवाही शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी गई। शीतकालीन सत्र में यह लगातार तीसरा दिन है, जब विपक्ष के सांसद मणिपुर और संभल हिंसा जैसे विषयों पर चर्चा को लेकर सदन में अपनी मांग उठा रहे हैं। गुरुवार को राज्यसभा की कार्यवाही प्रारंभ होते ही विपक्ष ने अपनी यह मांग फिर से सभापति के समक्ष रखी। विपक्ष के सांसद सदन की अन्य सभी कार्यवाहियों को स्थगित कर के इन मुद्दों पर नियम 267 के तहत चर्चा चाहते थे। सभापति ने इस मांग को एक बार फिर अस्वीकार कर दिया। इसके बाद विपक्षी सांसदों ने अपनी मांग को लेकर सदन में हंगामा प्रारंभ कर दिया। हंगामा के कारण सदन की कार्यवाही गुरुवार दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।

स्थगन के बाद सदन की कार्यवाही जब दोबारा प्रारंभ हुई, तब भी हंगामा लगातार बना रहा। इस जबरदस्त हंगामे के कारण राज्‍यसभा की कार्यवाही शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी गई। इससे पहले राज्यसभा में हंगामे के बीच सभापति जगदीप धनखड़ ने सांसदों से अपील की कि वे सदन की कार्यवाही चलने दें और प्रोडक्टिव डिस्कशन होने दें। विपक्ष की मांग को लेकर उन्होंने कहा कि नियम 267 के तहत चर्चा को लेकर वे पहले ही अपना निर्णय दे चुके हैं। सभापति ने कहा कि नियम 267 के तहत चर्चा की मांग स्वीकार नहीं की जा सकती। हालांकि कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, लेफ्ट पार्टी और डीएमके आदि विपक्षी दल नियम 267 के तहत चर्चा पर अड़े रहे। विपक्ष के इन सांसदों में से कई ने संभल और मणिपुर हिंसा जैसे मुद्दों पर चर्चा के लिए सभापति को नोटिस भी दिया था।

विपक्ष के सांसद चाहते थे कि नियम 267 के तहत यह चर्चा हो। नियम 267 के तहत चर्चा होने पर सदन की अन्य सभी कार्यवाहियों को स्थगित कर दिया जाता है। इसके साथ ही इस नियम में चर्चा के बाद वोटिंग का प्रावधान भी है। वहीं सभापति ने राज्यसभा में मौजूद विपक्ष के सांसदों से अनुरोध किया कि वे प्रोडक्टिव डिस्कशन करें। सदन से जुड़े महत्वपूर्ण कार्यों को होने दें। लेकिन विपक्ष के सांसद इसके लिए राजी नहीं हुए। वे अपने स्थान पर खड़े होकर चर्चा की मांग और नारेबाजी करने लगे। इसके चलते सदन में हंगामे की स्थिति उत्पन्न हो गई। हंगामा होता देख सभापति ने सदन की कार्यवाही शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी।

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