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मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को यूएस कोर्ट ने दी मंजूरी

देहरादून ( विवेक ओझा) : मुंबई आतंकी हमलों को कौन भूल सकता है। देश की वित्तीय राजधानी मुंबई में जन धन की जो हानि इस हमले में हुई उससे देश दुनिया हतप्रभ रह गई थी । उसी मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा को लेकर अब बड़ी खबर सामने आई है। अमेरिकी कोर्ट ने अब पाकिस्तानी मूल के कनाडाई बिजनेसमैन तहव्वुर राणा का भारत को प्रत्यर्पण करने का रास्ता साफ कर दिया है।

अमेरिकी कोर्ट ने कहा है कि तहव्वुर भारत प्रत्यर्पित किए जाने योग्य है। अमेरिकी कोर्ट ने तहव्वुर राणा को भारत प्रत्यर्पण किए जाने की मांग को मंजूर कर लिया है और राणा की अपील को खारिज कर दिया है। राणा ने डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए प्रत्यर्पण रोकने की मांग की थी। 63 वर्षीय राणा ने कैलिफोर्निया के सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए अमेरिका के अपीलीय न्यायालय में याचिका दायर की थी।

गौरतलब है कि वर्तमान में लॉस एंजिल्स की जेल में बंद राणा पर 26/11 के मुंबई हमले में शामिल होने के आरोप हैं और उसके पाकिस्तानी-अमेरिकी लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली के साथ संबंध माने जाते हैं। हेडली को कई आतंकवादी घटनाओं का मुख्य साजिशकर्ता माना जाता है।

भारत को सौंपे जाने से बचने के लिए पाकिस्तानी मूल के तहव्वुर राणा ने अमेरिका की कोर्ट में हेबियस कॉर्पस यानी बंदी प्रत्यक्षीकरण दायर की थी। बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का इस्तेमाल उस समय किया जाता है जब किसी व्यक्ति को अवैध रूप से कस्टडी में रखा जाए। हालांकि लॉस एंजिलिस के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि जिन आरोपों को आधार बनाकर भारत ने तहव्वुर के प्रत्यर्पण की मांग की है, उन्हें देखते हुए उसके प्रत्यर्पण की इजाजत दी जा सकती है। अपने खिलाफ फैसला आने के बाद राणा ने नाइंथ सर्किट कोर्ट में एक और याचिका दायर की थी।

कोर्ट ने तहव्वुर राणा को एक विदेशी आतंकवादी संगठन को मदद करने और डेनमार्क में आतंकवादी हमलों को अंजाम देने की नाकाम साजिश रचने के लिए दोषी करार दिया है। राणा पर अमेरिका के एक डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में मुकदमा भी चलाया गया जहां से उसे राहत मिल गई थी।

अमेरिका भारत का सामरिक साझेदार है और आतंकवाद निरोधक सहयोग दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों का एक प्रमुख आधार है । एक तरफ़ जहां चीन पाकिस्तानी आतंकियों और आतंकवादी संगठनों को यूएन और फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स जैसे मंचों पर बचाने के लिए हर तरीके के हथकंडे का इस्तेमाल करता है वहीं अमेरिका इस मामले में समझौता नहीं करता क्योंकि भारत के साथ उसके हित मेल खाते हैं। भारत ने 47 देशों के साथ प्रत्यर्पण संधि की है जिसमें अमेरिका भी शामिल है। इसलिए स्वाभाविक तौर पर इस मामले में अमेरिका का सहयोग अपेक्षित था।

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