नई दिल्ली: भारत में ओमिक्रॉन वेरिएंट के कारण कोरोना महामारी की तीसरी लहर का पीक फरवरी में आ सकता है. अमेरिका के एक हेल्थ एक्सपर्ट्स ने यह अनुमान जताया है. इनके अनुसार फरवरी में देश में रोजाना कोविड-19 के 5 लाख मामलों के आने की संभावना है. हालांकि उन्होंने यह कहा है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट से जुड़ी गंभीरता डेल्टा वेरिएंट की तुलना में कम होगी. यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन में इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवेल्युएशन के निदेशक डॉ क्रिस्टोफर मुर्रे ने यह अनुमान जताया है.
डॉ मुर्रे ने कहा कि, दुनिया के कई देश ओमिक्रॉन की लहर में प्रवेश कर गए हैं. भारत में पिछले साल डेल्टा वेरिएंट की वजह से आई कोरोना महामारी की दूसरी लहर की तुलना में तीसरी लहर में कोविड-19 संक्रमण के ज्यादा मामले देखने को मिल सकते हैं लेकिन ओमिक्रॉन वेरिएंट कम घातक है. उन्होंने बताया कि भारत में कोरोना संक्रमण के मामलों रिकॉर्ड तेजी आएगी लेकिन बीमारी की गंभीरता के लिहाज से यह ज्यादा प्रभावी नहीं होगी. हमारे पास इससे संबंधित एक मॉडल है जिसे हम बाद में जारी करेंगे. इस मॉडल के अनुसार, भारत में कोरोना महामारी की तीसरी लहर के पीक के दौरान कोविड-19 संक्रमण के मामलों की संख्या रोजाना करीब 5 लाख होगी.
भारत में कई हेल्थ एक्सपर्ट्स यह कह रहे हैं कि देश में हाइब्रिड इम्युनिटी विकसित हो चुकी है इसलिए ओमिक्रॉन वेरिएंट का प्रभाव कम है. डॉ क्रिस्टोफर मुर्रे ने बताया कि कोरोना वैक्सीनेशन से लोगों को पर्याप्त सुरक्षा मिली है. जिसकी वजह से लोग गंभीर रूप से बीमार नहीं हुए हैं और अस्पताल में भर्ती होने, ऑक्सीजन सपोर्ट की जरुरत व मृत्यु दर में कमी देखने को मिली है. जबकि डेल्टा वेरिएंट के चलते पिछले साल अप्रैल में हालात खराब हो गए थे.
डॉ क्रिस्टोफर मुर्रे ने कहा कि ओमिक्रॉन वेरिएंट 90 से 95 फीसदी कम गंभीर है फिर भी कुछ लोग इससे प्रभावित हो रहे हैं. इसलिए आने वाले दिनों में कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या बढ़ सकती है. लेकिन इससे अस्पताल में भर्ती होने की जरुरत बहुत ही कम होगी.