US: संसद में घुसे यहूदी कार्यकर्ता, गाजा में युद्धविराम की मांग को लेकर किया प्रदर्शन
वाशिंगटन : इस्राइल और हमास के बीच पिछले 12 दिनों से संघर्ष जारी है। इस्राइल (Israel) पर फलस्तीनी आतंकी संगठन हमास के हमले के बाद शुरू हुए इस युद्ध में अब तक करीब पांच हजारों लोगों की जान जा चुकी है। लेकिन अभी तक युद्धविराम की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है। इस बीच, गाजा में युद्धविराम की मांग को लेकर प्रगतिशील यहूदी-अमेरिकी कार्यकर्ताओं ने वॉशिंगटन में यूएस कैपिटल (अमेरिकी संसद भवन) के अंदर घुसकर धरना दिया। उन्होंने अमेरिकी संसद ने गाजा में युद्धविराम का आह्वान करने की मांग की।
वहीं, यहूदी संगठनों द्वारा व्हाइट हाउस के पास भी घंटों तक इसी तरह का विरोध प्रदर्शन किया गया। सैकड़ों प्रदर्शनकारी बुधवार को वॉशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के निवास के बाहर जुटे और युद्ध को रोकने का आग्रह किया। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि कांग्रेस को गाजा में युद्धविराम के लिए आह्वान करना चाहिए। यहूदी वॉयस फॉर पीस के अनुसार, हजारों अमेरिकी यहूदियों ने संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन किया, जबकि 350 से अधिक अंदर थे।
यहूदी संगठन ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, हमें गिरफ्तार किया जा रहा है, लेकिन हम तब तक यहां से नहीं हटेंगे, जब तक हमें युद्धविराम के संबंध में आश्वासन नहीं मिल जाता है और गाजा में फलस्तीनियों का नरसंहार बंद नहीं हो जाता है। संगठन ने कहा कि पिछले 75 वर्षों से इस्राइली सरकार फलस्तीनी भूमि पर अवैध रूप से कब्जा कर रही है और फलस्तीनियों के समुदायों का सफाया किया जा रहा है। अब, गाजा में अमेरिका के पूर्ण समर्थन के साथ नरसंहार किया जा रहा है।
यूएस कैपिटल हिल पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने संसद भवन के अंदर कब्जा कर लिया है। गाजा में युद्धविराम की मांग कर रहे इन प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया गया और यूएस कैपिटल में आने पर प्रतिबंध लगा दिया है। पुलिस ने कहा, सड़कों को बंद करने का काम जारी है। इनमें से तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जिन पर कार्रवाई के दौरान एक पुलिस अधिकारी पर हमला करने का आरोप है। वहीं, अमेरिका के शिकागो में फलस्तीन समर्थक संगठनों ने गाजा में शरणार्थियों के अस्पताल पर इस्राइली सेना की कथित बमबारी के खिलाफ प्रदर्शन किया और हमले की निंदा की। साथ ही प्रदर्शनकारियों ने युद्धविराम की मांग की।
इधर, गाजा पट्टी के अल-अहली अस्पताल में धमाके के बाद वेस्ट बैंक, लेबनान और जॉर्डन में विरोध प्रदर्शन और झड़पें शुरू हो गई हैं। मध्य-पूर्व के कई देशों में लोग इस्राइल के खिलाफ भड़के और सड़कों पर उतर आए हैं। उन्हें लगता है कि गाजा के अस्पताल में उसी ने हमला किया है। गुस्साए लोगों ने अमेरिका व सहयोगियों के खिलाफ मोर्चा खोला और नारेबाजी की। वेस्ट बैंक और रामल्ला में आंसूगैस छोड़नी पड़ी। उधर, जॉर्डन प्रदर्शनकारियों ने इस्राइली दूतावास पर धावा बोलने की कोशिश की। यहां गुस्साई भीड़ ने दूतावास की इमारत को घेरते हुए जबरन अंदर जाने की कोशिश की। लेबनान में, लेबनानी आतंकवादी समूह और ईरान समर्थित हिजबुल्लाह ने अस्पताल विस्फोट की निंदा करने के लिए क्रोध दिवस का आह्वान किया। यहां सैकड़ों प्रदर्शनकारी फ्रांसीसी और अमेरिकी दूतावासों को घेरा।
सार्वजनिक सुरक्षा के मद्देनजर, सिंगापुर में इस्राइल-हमास संघर्ष को लेकर लोगों के एकत्र होने एवं कार्यक्रमों के आयोजन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। पुलिस द्वारा इस तरह के कार्यक्रमों के आयोजन के संबंध में आवेदन खारिज कर दिए जाएंगे। पुलिस मानती है कि ऐसे कार्यक्रमों से लोगों की सुरक्षा प्रभावित हो सकती है।
गाजा में अस्पताल पर धमाके में मारे गए लोगों के समर्थन में मिस्र, बहरीन, तुर्किये, यूएई समेत कई मुस्लिम देशों में भी प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों ने अस्पताल पर धमाकों को नरसंहार व क्रूर अपराध बताया। लोगों ने कहा कि इस्राइल की मंशा पहले से ही मुस्लिम विरोधी है और वह हमास के नाम पर समुदाय के साथ नरसंहार कर रहा है। प्रदर्शनकारियों का गुस्सा अमेरिका और उसके समर्थक देशों के भी खिलाफ उतरा। उनके हाथ में अमेरिका विरोधी बैनर थे। बहरीन और मिस्र में इस्राइली झंडे भी जलाए गए। द टाइम्स ऑफ इस्राइल के अनुसार, पूरे वेस्ट बैंक में सैकड़ों प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए, रामल्ला में फलस्तीनी बलों ने उन प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस छोड़ी। प्रदर्शनकारी फलस्तीनी प्राधिकरण के अध्यक्ष महमूद अब्बास के इस्तीफे की मांग कर रहे थे।
पश्चिम एशिया में इस्राइल-हमास युद्ध के चलते जर्मनी में यहूदी विरोधी घटनाओं में वृद्धि देखने को मिल रही है। बर्लिन स्थित एक उपासनागृह पर बुधवार को तड़के दो पेट्रोल बमों से हमला किया गया। जर्मनी में स्थिति यह है कि पूरे देश में सिटी हॉल के सामने एकजुटता के संकेत के रूप में फहराए गए इस्राइली झंडे फाड़ दिए गए और जला दिए गए।