अमेरिकी अधिकारियों ने कहा- तालिबान को लेकर पाक पीएम इमरान खान को जवाबदेह ठहराने की जरूरत
वॉशिंगटन: अमेरिकी रिटायर्ड जनरल एच आर मैकमास्टर ने कहा है कि काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद से पाकिस्तान के पीएम इमरान खान को जवाबदेह ठहराने की जरूरत है। उन्होंने कहा है कि यह सोचना ही गलत है कि मानवीय उद्देश्यों के लिए अफगानिस्तान भेजे जा रहे पैसे आम लोगों तक पहुंचेंगे। तालिबान उन पैसों को खुद को और मजबूत करेगा और दुनिया के लिए और बड़ा खतरा बनकर उभरेगा। हम वाकई एक असाधारण दुविधा का सामना कर रहे हैं कि तालिबान को सशक्त किए बिना मानवीय संकट को कम करना हमारे लिए मुश्किल होगा।
मैकमास्टर ने कहा है कि मुझे नहीं लगता है कि पाकिस्तान को किसी भी तरह की मदद देनी चाहिए। पाकिस्तान ने दोनों ओर से खेला है। पाकिस्तान को अपने रवैये का सामना करना चाहिए जिसके नतीजे सामने हैं। बता दें कि डॉनल्ड ट्रंप प्रशासन के दौरान ही अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली सभी सुरक्षा सहायता पर रोक लगा दी थी। जो बाइडन प्रशासन ने भी अभी तक सुरक्षा सहयोग को फिर से शुरू नहीं किया है।
मैकमास्टर ने कहा है कि तालिबान को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का समर्थन प्राप्त है और इसलिए उन्होंने अफगानिस्तान पर फिर से कब्जा कर लिया। उन्होंने आगे कहा है कि मुझे लगता है कि काबुल पर तालिबान के कब्जे के लिए हमें इमरान खान को जिम्मेदार ठहराना चाहिए। हमें पाकिस्तान को एक पैसा भी नहीं भेजना चाहिए। पाकिस्तान को जिहादी आतंकियों को समर्थन करने के लिए अलगाव का सामना करना चाहिए। पाकिस्तान स्थित हक्कानी नेटवर्क, लश्कर-ए-तैयबा और तालिबान जैसे संगठन मानवता के लिए खतरा हैं।
कांग्रेसी बिल कीटिंग ने कहा कि पाकिस्तान एक समस्या बना हुआ है और अमेरिका को इसका आकलन करने की जरूरत है। उन्होंने पाकिस्तान को एक प्रमुख नॉन-नाटो सहयोगी देश के रूप में पाकिस्तान को हटाने की मांग की है। कहा है हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि पाकिस्तान पहला देश है जिसने 1996 में तालिबान के शासन को मान्यता दी थी। पाकिस्तान ने तालिबान को लगातार हर तरह से मदद की है। पाकिस्तान के साथ हमारे संबंध भारत के साथ संबंधों को प्रभावित कर सकते हैं। पाकिस्तान में अमेरिका के पूर्व राजदूत रेयान क्रोकर ने माना है कि पाकिस्तान ने तालिबान का समर्थन करने के साथ ही कुछ मामलों में अमेरिका के खिलाफ काम किया है।