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गर्मी के मौसम में घर रहकर भी करे सनस्‍क्रीन का इस्तेमाल…

गर्मी के मौसम में सूरज की हानिकारक किरणों से खुद को बचाने के लिए सनस्क्रीन लगाने की जरूरत होती है। सूरज की हानिकारक अल्ट्रा वॉयलेट यानी यूवी किरणें न केवल सनटैन का कारण बनती हैं, बल्कि त्वचा को समय से पहले बूढ़ा कर देती हैं। घर से निकलने के पहले सनस्क्रीन जरूर मुंह, हाथ और पैर समेत शरीर के उन हिस्सों पर लगाना चाहिए जो खुले हुए हो। यही नहीं हर दो या तीन घंटे बाद जरूर लगाएं अगर त्वचा संवेदनशील हो।

पराबैंगनी किरणें सूर्य से निकलने वाली ऊर्जा का एक प्रकार है। कुछ कृत्रिम स्रोत से भी यह ऊर्जा निकलती है। पराबैंगनी किरणों का दुष्प्रभाव त्वचा के रंग और उसके टैन होने की क्षमता पर भी निर्भर करता है। अगर यह सोचते हैं कि सनस्क्रीन केवल तब ही अप्लाई करनी है जब घर से बाहर निकल रहे हैं तो ऐसा नहीं है।

सनस्क्रीन का इस्तेमाल बाहर जाते समय ही नहीं बल्कि घर में भी करना ठीक होगा। इसका कारण यह है कि आर्टिफिशयल लाइट्स भी त्वचा को नुकसान पहुंचाती हैं। यही नहीं हर व्यक्ति आजकल सोते या बैठते समय लैपटॉप, मोबाइल या टैबलेट का इस्तेमाल करते हैं और इससे निकलने वाली हानिकारक किरणें त्वचा को नुकसान पहुंचाती है। स्क्रीन से निकलने वाली नीली किरणें सूरज की किरणों की तुलना में कहीं ज्यादा घातक हैं। अगर इन किरणों से त्वचा को न बचाया गया तो चेहरे पर समय से पहले ही बुढ़ापे के निशान नजर आते हैं। ऐसे में झुर्रियां, त्वचा ढीली पड़ जाना और हाइपरपिगमेंटेशन की समस्या भी हो सकती है। इससे त्वचा को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी है कि घर में भी सनस्क्रीन का इस्तेमाल हो। घर के अंदर आर्टिफिशल लाइट की रेडिएशन से त्वचा का बचाव करने के लिए एसपीएफ 15 तक का सनस्क्रीन चुन सकते हैं।

सनस्क्रीन के फायदे-

सनस्क्रीन त्वचा पर सुरक्षा कवच की तरह काम करती है। इसके इस्तेमाल से उम्र से पहले होने वाली दिक्कतें जैसे रिंकल्स और फाइन लाइन्स भी दूर होती हैं। रोजाना सनस्क्रीन लगाने से स्किन कैंसर के जोखिम को कम कर सकते हैं, खासकर मेलेनोमा कैंसर जो कि 20 साल की उम्र की महिलाओं को होता है। सनबर्न से बचाने के अलावा सनस्क्रीन टैनिंग से भी बचाती है। यही नहीं, जरूरी स्किन प्रोटीन जैसे कोलेजन, केराटीन और इलास्टिन सनस्क्रीन से सुरक्षित रहते हैं। हमेशा सनस्क्रीन पैकेज पर लिखे एसपीएफ कैटेगरी की जांच जरूर करें। एसपीएफ 15 से ऊपर सनस्क्रीन सुरक्षित मानी जाती है। लेकिन अगर पूरी तरह सुरक्षा चाहते हैं तो एसपीएफ 30 या उससे ज्यादा एसपीएफ की क्रीम लें।

सनस्क्रीन का चुनाव करने के लिए केमिकल युक्त सनस्क्रीन की जगह ऑर्गेनिक सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें। लंबे समय तक त्वचा पर केमिकल युक्त सनस्क्रीन का इस्तेमाल हानिकारक होता है। वहीं ऑर्गेनिक सनस्क्रीन में काओलिन क्ले, एलोवेरा, बादाम के तेल, नारियल का तेल, ऑलिव ऑयल आदि का इस्तेमाल किया जाता है, यह सभी उत्पाद त्वचा के लिए बहुत सुरक्षित होते हैं। गर्मी के मौसम में वाटर बेस्ड सनस्क्रीन सबसे अच्छा माना जाता है।

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