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उ0प्र0 मंत्रिमंडल व अन्य ने आनंद बिष्ट को ​दी भावभीनी श्रद्धांजलि

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए एक समन्वित व संयुक्त रणनीति बनाने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के सरकारी आवास पर बुधवार को बैठक सम्पन्न हुई। इस बैठक में मंत्रिमण्डल के सदस्य, संगठन के पदाधिकारी व अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कोविड-19 से निपटने के लिए सम्मिलित प्रयासों पर बल देते हुए कहा कि प्रदेश सरकार प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में प्रभावी कार्यवाही कर रही है। चिकित्सा सुविधा को सुदृढ़ करने के साथ-साथ लाॅक डाउन का कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराया जा रहा है। सोशल डिस्टेंसिंग पर पूरा बल दिया जा रहा है। समाज के गरीब व कमजोर वर्गों के हितार्थ अनेक कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। भारत सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए कोरोना से अप्रभावित जनपदों में औद्योगिक गतिविधियों को प्रारम्भ कराया गया है।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के लौकिक पिता श्री आनन्द सिंह बिष्ट जी के देवलोकगमन पर प्रदेश मंत्रिमण्डल के सदस्यों एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की तथा मुख्यमंत्री जी के प्रति संवेदना व्यक्त की।  विधान सभा अध्यक्ष श्री हृदय नारायण दीक्षित, उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य एवं डाॅ0 दिनेश शर्मा तथा विधान परिषद सदस्य श्री स्वतंत्रदेव सिंह ने इस अवसर पर स्व0 श्री आनन्द सिंह बिष्ट जी को भावसुमन अर्पित किए।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज सम्पूर्ण विश्व कोरोना वायरस कोविड-19 की महामारी से जूझ रहा है। ऐसे कठिन समय में उत्तर प्रदेश की 23 करोड़ जनता की सेवा को सर्वोच्च वरीयता देते हुए उन्होंने अपने पूज्य पिताजी के अन्तिम संस्कार में न सम्मिलित होने का निर्णय लिया। पूजनीया माँ तथा पूर्वाश्रम से जुड़े सभी सदस्यों से यह अपील भी की कि लाॅकडाउन का पालन करते हुए कम से कम लोग अन्तिम संस्कार में सम्मिलित हों।

मुख्यमंत्री जी ने स्मृतियों को साझा करते हुए कहा कि उनके पूर्वाश्रम के जन्मदाता श्रद्धेय श्री आनन्द सिंह बिष्ट जी ने उन्हें ईमानदारी, कठोर परिश्रम तथा निःस्वार्थ भाव से लोक हित और लोक मंगल के लिए समर्पण के साथ कार्य करने तथा महिलाओं का सम्मान करने के संस्कार बचपन में दिए।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उनके लौकिक पिताजी अनेक सामाजिक एवं आध्यात्मिक गतिविधियों से सम्बद्ध रहे थे। शिक्षा के प्रसार के प्रति उन्होंने आजीवन कार्य किया। उन्होंने ग्राम पंचायत में अपनी भूमि पर प्राइमरी स्कूल का निर्माण करवाकर तत्पश्चात जूनियर हाईस्कूल का निर्माण करवाया। सन् 1998 में अपनी सम्पत्ति से एक महाविद्यालय की स्थापना करवाई। उन्होंने इसे भी उत्तराखण्ड सरकार को समर्पित कर दिया।

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