आज 23वें स्थापना दिवस पर सीएम धामी ने राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के समक्ष बड़े लक्ष्यों को हासिल करने का लिया संकल्प
देहरादून (गौरव ममगाई)। 9 नवंबर 2000 का दिन, ज़ब देश के मानचित्र में एक नया हिमालयी राज्य अस्तित्व में आया. 86 प्रतिशत पर्वतीय भौगोलिक विषमता के कारण विकास को गति देना बेहद मुश्किल था, इसलिए 2001 में केंद्र सरकार ने उत्तराखंड को विशेष राज्य का दर्जे के रूप में सहारा दिया. पलायन, स्वास्थ्य, शिक्षा, क़ृषि, उद्योग, परिवहन एवं संचार जैसी विकराल समस्याएं थी, जिनसे पार पाना बेहद मुश्किल था. मगर, किसको पता था कि यह छोटा सा राज्य आने वाले सालों में विकास के पथ पर न सिर्फ सरपट दौड़ लगायेगा, बल्कि अन्य राज्यों को भी पीछे छोड़ेगा.
वैसे तो उत्तराखंड 2018 में ही वयस्क हो चुका था, लेकिन 23वें वर्ष में प्रवेश करना विशेष है, क्योंकि इस समय उत्तराखंड ने अपने सामर्थ्य एवं क्षमता को न सिर्फ पहचाना है, बल्कि उन्हें सिद्ध करने भी निकल पड़ा है. अर्थव्यवस्था, सामाजिक न्याय, उत्तराखंडियत के क्षेत्र में अनेक अनेक उपलब्धियां हासिल करने के पश्चात् उत्तराखंड यहीं नहीं रुका. उत्तराखंड इससे भी कई आगे निकल रहा है.
9 नवंबर 2023 का दिन भी ऐतिहासिक रहेगा, ज़ब राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के सामने सीएम पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड की विकासगाथा व रोडमैप साझा किया. ऐसे लक्ष्य तय किये, जो देखने में पहाड़ से विशाल नजर आते हैं, लेकिन उन्होंने उत्तराखंड के सामर्थ्य एवं क्षमता के बल पर इन्हें फ़तेह करने का संकल्प लिया है.
लक्ष्य 1-
समान नागरिक संहिताः
भारतीय संविधान में भाग-4 में राज्य के नीति-निदेशक तत्व (डीपीएसपी) का उल्लेख किया है. इसमें विभिन्न विषयों को शामिल किया है, जो लोककल्याणकारी राज्य में संविधान की मूलभावना का अनुसरण करने हेतु आवश्यक है. राज्यों को इन विषयों को स्थानीय आवश्यकता अनुरूप लागू करना चाहिए. यहीं आर्टिकल-44 में यूसीसी का उल्लेख है. इसका उद्देश्य यह है कि सभी नागरिकों के लिए एकसमान कानून हो, किसी के साथ किसी प्रकार का भेदभाव न हो सके.
लक्ष्य 2-
भूमाफियाओं पर कसा शिकंजाः
पुष्कर सिंह धामी सरकार जल्द प्रदेश को नया भू-कानून सौंपने जा रही है. इस कानून के आने से प्रदेश में औद्योगिक नीतियों का दुरुपयोग कर भूमि कब्जाने वाले बाहरी व्यक्तियों पर लगाम लग सकेगी. पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की रिपोर्ट में भी खुलासा हुआ कि उद्योगों के नाम पर लगी गई सरकारी भूमि पर उद्योग नहीं पाए गए हैं. वहीं, सख्त भू-कानून की मांग कर रहे राज्य आंदोलनकारी व युवा भी सीएम धामी के इस कदम से खासे उत्साहित हैं.
लक्ष्य 3-
भू-कानून का इतिहासः
राज्य गठन के पश्चात् यहां वर्ष 2003 में एनडी तिवारी सरकार ने उत्तर-प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि सुधार अधिनियम-1950 में संशोधन किया, जिसमें बाहरी व्यक्तियों को 500 वर्ग मीटर से ज्यादा भूमि लेने पर रोक लगाई.
- 2008 में पूर्व सीएम बीसी खंडूडी ने इस सीमा को घटाकर 250 वर्ग मी. कर दिया.
- वर्ष 2018 में भाजपा सरकार में ही पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस सीमा को हटाकर फर्म व उद्योगों को सरकारी भूमि लेने की स्वतंत्रता दे दी. इस फैसले का खासा विरोध भी देखने को मिला था. अब धामी ने जनता की आवाज को समझते हुए जनहित में भू-कानून को सख्त करने का फैसला लिया.
लक्ष्य 4-
महिला नीति से बहनों के साथ करेंगे न्यायः
राज्य बने 23 वर्ष पूरे होने को हैं, लेकिन महिलाओं को महिला नीति नहीं मिल सकी. अब धामी सरकार के कार्यकाल में ही महिलाओं को महिला नीति भी मिलने जा रही है. सीएम धामी ने राज्य महिला आयोग को शीघ्र कार्य पूरे करने को कहा है. सीएम नहीं चाहते हैं कि पूर्ववर्ती सरकारों की तरह महिला नीति को ठंडे बस्ते में डाला जाए. बता दें कि पूर्ववर्ती हरीश रावत सरकार में भी महिला नीति को लागू करने का वायदा किया गया, लेकिन कुछ प्रयासों के बाद गति मंद पड़ गई थी.
लक्ष्य 5 –
अगले 5 वर्ष में दोगुनी होगी अर्थव्यवस्थाः
सीएम धामी के नेतृत्व में प्रदेश तेजी से आर्थिक तरक्की भी कर रहा है. वर्ष 2022-23 में राज्य की अर्थव्यवस्था 3 लाख दो हजार करोड़ की दर्ज की गईए जिसका विकास दर 7.09 प्रतिशत रहा. यानी पिछली विकास दर (7.04) से भी ज्यादा. वहीं, सीएम धामी यहीं नहीं रूके. उन्होंने अगले 5 वर्षों में दोगुनी अर्थव्यवस्था का लक्ष्य तय किया है. इसके लिए वह निवेश हेतु देश-विदेश में भी दौरे कर रहे हैं.
लक्ष्य 6-
सरकारी भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी एवं जवाबदेह होगी :
प्रदेश में अनेक भर्तियों में गड़बड़ी सामने आने के बाद सीएम धामी ने दोषियों के खिलाफ सख्त एक्शन लिया. गड़बड़ी में संलिप्त उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के अधिकारी व भाजपा नेता भी जेल भेजे गए.धामी ने सरकारी भर्ती प्रक्रिया को जवाबदेह बनाने के लिए सख्त नकल रोधी कानून लागू किया, जिसमें गड़बड़ी करने पर दोषी पर 10 करोड़ रुपये तक जुर्माना लगाया जाएगा. अभ्यर्थी के पकड़े जाने पर उसे प्रतिबंधित भी किया जाएगा. ऐसा कानून लागू करने में भी उत्तराखंड शीर्ष राज्यों में है.
लक्ष्य 7-
मानसखंड से कुमाऊं की बदलेगी सूरतः
कुमाऊं क्षेत्र में मानसखंड कॉरिडोर (मंदिरमाला) के तहत प्रमुख मंदिरों को आपस में जोड़ा जाएगा. यही नहीं, मानसखंड कॉरिडोर को बद्रीनाथ-केदारनाथ से भी जोड़ने की योजना है. इससे कुमाऊं क्षेत्र के प्रमुख मंदिरों के पौराणिक इतिहास से देश-विदेश में लोगों को रूबरू कराया जाएगा. इससे यहां पर्यटन के अवसर भी पैदा होंगे.
पुराणों में है मानसखंड का उल्लेखः:: स्कंदपुराण में उत्तराखंड के क्षेत्रों को केदारखंड व मानसखंड के नाम से उल्लेखित किया है. इसमें केदारखंड को गढ़वाल व मानसखंड को कुमाऊं के रूप में जाना जाता है. पुराणों के अनुसारए कुमाऊं में भगवान विष्णु भी कुर्मू अवतार (कछुआ) के रूप में रहे हैं. कालांतर में कुर्मू के उच्चारण में परिवर्तन के कारण ही यहां का नाम कुमाऊं पड़ा है. यहां से भगवान शिव का भी विशेष संबंध रहा है. पीएम मोदी भी आदिकैलाश यात्रा समेत अन्य मौकों पर मानसखंड के महत्त्व का कई बार जिक्र कर चुके हैं.
लक्ष्य 8-
निर्यात में भी उत्तराखंड शीर्ष पर:: सीएम धामी उत्तराखंड को निर्यात में अग्रणी राज्य बनाना चाहते हैं. बता दें कि निर्यात तैयारी सूचकांक (एक्सपोर्ट प्रिप्रेशन इंडेक्स) में उत्तराखंड ने देश में नौवां स्थान हासिल किया. इस बार पिछली बार से 7 रैंक का सुधार दर्ज किया है, जबकि हिमालयी राज्यों में उत्तराखंड वर्ष 2022-23 में भी टॉप पर रहा है. बता दें कि उत्तराखंड कई देशों में फार्मा, धातु व अन्य उत्पाद बड़े स्तर पर निर्यात कर रहा है. सीएम धामी निर्यात प्रोत्साहन पर विशेष ध्यान दे रहे हैं.
उत्तराखंड ने कम समय में अभूतपूर्व प्रगति की है. विषम भौगोलिक परिस्थिति होने के बावजूद उत्तराखंड ने दिखाया है कि मजबूत हौसले व दूरदर्शी सोच के बल पर हर लक्ष्य हो हासिल किया जा सकता है. राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आगामी वर्षों के लिए कई लक्ष्य तय किये हैं, मुझे पूर्ण विश्वास है कि सीएम धामी के नेतृत्व में उत्तराखंडवासी इन उपलब्धियों को हासिल कर लेंगे…. द्रोपदी मुर्मू, भारत की राष्ट्रपति