उत्तराखंड की धरती से पहली बार इकोनामिक पैराडिप्लोमेसी की शुरुआत
धामी ने ब्रिटेन के लंदन की राह चुनी। उसी लंदन की जिसे ब्रिटेन की वित्तीय राजधानी के रूप में देखा जाता है। उसी ब्रिटेन की जहां कभी भारत से धन का पलायन होता था, जिस ड्रेन ऑफ वेल्थ की बात दादा भाई नौरोजी करते थे, उसी ब्रिटेन से उत्तराखंड के विकास के लिए पूंजी निवेश को आकर्षित करने के लिए मुख्यमंत्री धामी अति उत्साह और रणनीति के साथ गये और उत्तराखंड की धरती से पहली बार किसी नेतृत्व द्वारा इकोनामिक पैराडिप्लोमेसी की शुरुआत की गई। एक राज्य, एक देश के साथ आर्थिक संपर्क स्थापित करने में लग गया और उसे अत्यन्त सकारात्मक परिणाम मिले।
-राम कुमार सिंह
भारत एक आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है। एक तरफ जहां मोदी सरकार ने 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनामी और तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का प्रण लिया है, वहीं भारतीय राज्यों के मन में यह जज्बा उभरा है कि वे आर्थिक प्रगति के नए मानक गढ़ें और इस दिशा में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एक नए आर्थिक विजन के साथ आगे आए हैं। सबसे पहले तो उन्होंने उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था की सीमितता की बात करने वालों को जवाब दिया कि संभावनाओं की राह तलाशने वाले सीमितता का भंवर नहीं, प्रयासों के महासागर देखते हैं। उत्तराखंड की जीडीपी कैसे बढ़ेगी, उसकी प्रति व्यक्ति आय कैसे बढ़ेगी, केवल पर्यटन पर आधारित अर्थव्यवस्था है, कौन निवेश करेगा? ऐसे ढेरों सवाल उठाए जा रहे थे लेकिन मुख्यमंत्री धामी ने शांत चित्त से इन प्रश्नों का जवाब देश-दुनिया को देने का मन बनाया। उन्होंने सोचा कि उत्तराखंड को ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के जरिए एक नए आर्थिक कायाकल्प से गुजारा जा सकता है, लेकिन इन्वेस्टर मीट ही जरूरी नहीं है, निवेशकों के मन में यह भरोसा पैदा करना भी जरूरी है कि उनके लिए उत्तराखंड के विविध क्षेत्रों में निवेश करना घाटे का सौदा नहीं होगा जिससे वो मुक्त हृदय से उत्तराखंड के आर्थिक विकास में साझेदार बन सके। नेचुरल इकोनॉमिक पार्टनर के रूप में देवभूमि की प्रगति के शेयर धारक बन सकें।
इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ब्रिटेन के लंदन की राह चुनी। उसी लंदन की जिसे ब्रिटेन की वित्तीय राजधानी के रूप में देखा जाता है। उसी ब्रिटेन की जहां कभी भारत से धन का पलायन होता था, जिस ड्रेन ऑफ वेल्थ की बात दादा भाई नौरोजी करते थे, उसी ब्रिटेन से उत्तराखंड के विकास के लिए पूंजी, निवेश को आकर्षित करने के लिए मुख्यमंत्री धामी अति उत्साह और रणनीति के साथ गए और उत्तराखंड की धरती से पहली बार किसी नेतृत्व द्वारा इकोनामिक पैराडिप्लोमेसी की शुरुआत की गई। एक राज्य एक देश के साथ आर्थिक संपर्क स्थापित करने में लग गया और उसे अत्यन्त सकारात्मक परिणाम मिले। राज्य सरकार ने 27 नीतियां बनाई हैं जिससे उत्तराखंड को एक वैश्विक सोच और संभावना से जोड़ा जा सके। उत्तराखंड ने लैंड बैंक भी तैयार किया है। मुख्यमंत्री धामी ने विदेशी निवेशकों से उत्तराखंड में आकर निवेश करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हर प्रकार का सहयोग निवेशकों और उद्यमियों को देगी। उत्तराखंड राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से कुछ ही दूरी पर है। बेहतर रोड, रेल और एयर कनेक्टिविटी से सीधा जुड़ा है। ऐसे में उत्तराखंड में निवेश की अपार संभावनाएं हैं। ब्रिटेन दौरे पर लंदन और बर्मिंघम में हुए रोड शो और बैठकों में मुख्यमंत्री धामी के कुशल नेतृत्वकारी विजन में कुल 12500 हजार करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों पर हस्ताक्षर किए गए। मुख्यमंत्री धामी ने शिक्षा आइटी स्वास्थ्य व विनिर्माण क्षेत्र से जुड़े 250 से अधिक प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की। इनमें अगर टेक्नालॉजी के साथ लिथियम बैटरी प्लांट में निवेश के लिए 2000 करोड़ और कन्वेंशन सेंटर व इवेंट मैनेजमेंट का कार्य करने वाली कंपनी फिरा बार्सिलोना के साथ 1000 करोड़ के निवेश प्रस्ताव शामिल हैं। इसके साथ ही इज माई ट्रिप के साथ भी दो करार किए गए। उषा ब्रेको कंपनी के साथ एक हजार करोड़ के एमओयू पर हस्ताक्षर किए थे। उन्होंने सभी को दिसंबर में आयोजित होने वाले निवेशक सम्मेलन में सम्मिलित होने के लिए आमंत्रित किया।
प्रदेश में होने वाले वैश्विक निवेश सम्मेलन की थीम को पीस टू प्रोसपेरिटी नाम दिया गया है। भारत में निवेश करने वाले देशों में ब्रिटेन छठवें नंबर पर है। उसकी 600 से अधिक औद्योगिक इकाइयां पूरे देश में कार्य कर रही हैं। उन्होंने बर्मिघम में मौजूद भारत के प्रमुख कौंसुलावास का भी आभार प्रकट किया। इससे पहले, धामी के इंग्लैंड दौरे में उत्तराखंड रोपवे क्षेत्र की दिग्गज कंपनी पोमा समूह सहित कई अन्य कंपनियों के साथ छह-सात हजार करोड़ रुपए के निवेश एमओयू पर दस्तखत कर चुके हैं।उत्तराखंड में होने वाले ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के तहत 2 रोड शो अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर एवं 6 रोड शो राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तावित हैं। इसके अलावा मसूरी एवं रामनगर में मिनी कॉन्क्लेव का आयोजन भी प्रस्तावित है। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के तहत राज्य में पर्यटन, उद्योग, आईटी, स्वास्थ्य, उच्च शिक्षा एवं अन्य विभिन्न क्षेत्रों में राज्य में निवेश के लिए रोड शो एवं अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कुछ ही समय पहले 8 व 9 दिसंबर को प्रस्तावित वैश्विक निवेशक सम्मेलन के प्रतीक चिन्ह (लोगो) और वेबसाइट का शुभारंभ किया था। उनका मानना है कि निवेशक सम्मेलन किसी एक विभाग का नहीं है। यह पूरे राज्य का सम्मेलन है। राज्य के विकास और रोजगार के लिए निवेशक सम्मेलन राज्य के लिए एक अवसर है। उत्तराखंड शांति, योग और पर्यटन के साथ ही निवेश का डेस्टिनेशन बन रहा है। प्रदेश में उद्योगों और निवेश के लिए अनुकूल माहौल होने से देश-दुनिया के निवेशक उत्तराखंड में उद्योग लगाने को लेकर उत्साहित हैं। निवेश को लेकर हमसे ज्यादा कई बड़े निवेशक उत्तराखंड के बारे में सोच रहे हैं। निवेशक सम्मेलन के लिए तय 2.50 लाख करोड़ के लक्ष्य से अधिक निवेश की उम्मीद है। धामी सरकार ने आने वाले पांच वर्षों में जीडीपी को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। इसे हासिल करने के लिए क्षेत्रवार निवेश को प्रोत्साहित किया जा रहा है। निवेशक सम्मेलन के लिए सरकार उद्योग जगत और प्रमुख औद्योगिक संगठनों से लगातार संपर्क कर सुझाव ले रही है। उद्योग जगत से मिल रहे सुझावों को बहुत ही प्रमुखता से लिया गया है। उसी आधार पर औद्योगिक नीतियों में सुधार भी किया गया है।
जेएसडब्ल्यू नियो एनर्जी के साथ 15 हजार करोड़ समेत 19.39 करोड़ के एमओयू
नई दिल्ली में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर समिट 2023 के रोड शो के दौरान विभिन्न संस्थाओं से 19385 करोड रुपए के एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। जिन संस्थाओं से इस अवसर पर टडव हस्ताक्षरित किए गए उनमें जेएसडब्ल्यू नियो एनर्जी से 15000 करोड रुपए तथा यथार्थ हॉस्पिटल ने चिकित्सा में, डीएस ग्रुप फूड प्रोसेसिंग में, डिक्सन टेक्नोलॉजीज ने इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण तथा रेडिशन ग्रुप ने होटल व रिसोर्ट में ओबरोय ग्रुप, एसएलएमजी ने वेलनेस में, टीडब्ल्यूआई, बीएसएस ने कुल 4385 करोड़ रुपये के एमओयू किये। एमओयू हस्ताक्षरित होने वाले संस्थानों में जेएसडब्ल्यू नियो एनर्जी रिन्यूएबल एनर्जी, यथार्थ हॉस्पिटल चिकित्सा, ओबेरॉय ग्रुप हॉस्पिटैलिटी इन्वेस्टमेंट, एसएलएमजी वेलनेस, डीएस ग्रुप फूड प्रोसेसिंग, डिक्सन टेक्नोलॉजीज, इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण तथा रेडिएशन ग्रुप होटल तथा रिसोर्ट के क्षेत्र में निवेश करेंगे। इससे प्रदेश में हजारों लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।
अब यह कहना सही होगा कि उत्तराखंड निवेश का नया डेस्टीनेशन बन रहा है। यहां के प्राकृतिक वातावरण, प्रभार्वी सिंगल विंडो सिस्टम, निवेश अनुकूल नीतियों, राष्ट्रीय राजधानी से निकटता, अवस्थापना विकास से राज्य निवेश केंद्र बन रहा है। इज आफ डूइंग बिजनेस में राज्य एचीवर्स श्रेणी में है। नीति आयोग की निर्यात तैयारी सूचकांक में उत्तराखंड हिमालयी राज्यों में प्रथम स्थान और देश में 9वें स्थान पर है। राज्य की जीडीपी में 40 प्रतिशत योगदान सर्विस सेक्टर का है। राज्य में सर्विस सेक्टर में निवेश की काफी संभावनाएं है। इसे देखते हुए पर्यटन, योग, वैलनेस, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और बागवानी पर सरकार का फोकस है। प्रदेश में बेरोजगारी और गरीबी को दूर करने के लिए निवेश महत्वपूर्ण है। सरकार राज्य के नागरिकों की लाइफ स्टाइल में सुधार करने का प्रयास कर रही है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जिस उम्मीद के साथ ब्रिटेन दौरे पर गए थे, लौटते हुए कई बड़ी सौगात लेकर पहुंचे हैं। ब्रिटेन की धरती पर जिस प्रकार से उनको वहां के निवेशकों से रिस्पांस मिला, उससे तो यही लगता है कि उनका दौरा काफी सफल रहा है। सीएम धामी वहां से करीब 12500 हजार करोड़ के निवेश के एमओयू साइन करके लौटे हैं।
मुख्यमंत्री का यह दौरा इसलिए भी सफल माना जा सकता है कि जिस प्रकार से ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से पहले ही दिल्ली और ब्रिटेन के एमओयू को देखें तो अब तक 16 हजार करोड़ के निवेश के लिए एमओयू हो चुके हैं। आप इसको वर्ष 2018 के इन्वेस्टर्स समिट के आलोक में देखें तो तब महज 30 हजार करोड़ का निवेश ही धरातल पर उतरा, जबकि इस बार समिट से पहले ही जिस प्रकार से प्रदेश में आने के लिए निवेशक आतुर दिख रहे हैं, वह काबिलेतारीफ है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के ब्रिटेन दौरे लंदन और बर्मिंघम में हुए रोड शो और बैठकों में कुल 12 हजार पांच सौ करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों पर हस्ताक्षर किए गए। मुख्यमंत्री ने शिक्षा, आइटी, स्वास्थ्य व विनिर्माण क्षेत्र से जुड़े 250 से अधिक प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की। उन्होंने सभी को दिसंबर में आयोजित होने वाले निवेशक सम्मेलन में सम्मिलित होने के लिए आमंत्रित किया। मुख्यमंत्री धामी वैश्विक निवेशक सम्मेलन के लिए निवेशकों को आमंत्रित करने के उद्देश्य से ब्रिटेन दौरे पर गए थे। इस दौरान उन्होंने लंदन व बर्मिंघम में रोड शो के जरिये निवेशकों को राज्य में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया। बर्मिंघम में निवेशकों से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की शांतिप्रिय वादियां एवं काम करने के अनुकूल वातावरण इसे अन्य स्थानों से भिन्न बनाता है। प्रदेश में होने वाले वैश्विक निवेश सम्मेलन की थीम को पीस टू प्रोसपेरिटी रखा गया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से कुछ ही दूरी पर है। बेहतर रोड, रेल और एयर कनेक्टिविटी से सीधा जुड़ा है। ऐसे में उत्तराखंड में निवेश की अपार संभावनाएं हैं। इस दौरान हुए विभिन्न निवेश करार में उत्तराखंड की ओर से सचिव उद्योग विनय शंकर पांडेय ने करार पर हस्ताक्षर किए। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने बर्मिंघम में भारत के प्रमुख काउंसलर को भी धन्यवाद दिया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वैश्विक निवेशक सम्मेलन को लेकर लंदन में आयोजित रोड शो में सहयोग के लिए वहां रह रहे प्रवासी भारतीयों, खासतौर पर प्रवासी उत्तराखंडियों का आभार व्यक्त किया है। धामी ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि विदेश में रहकर भी वे अपनी संस्कृति से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि अपनी मेहनत से उत्तराखंड के प्रवासी भाइयों ने अपना खास स्थान बनाया है। विदेश में रह रहे उत्तराखंड के प्रवासी भाई-बहन राज्य के ब्रांड एंबेसडर हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि ब्रिटेन का दौरा बहुत सफल रहा है। निवेशकों से उत्साहवर्धक बात और महत्वपूर्ण एमओयू हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का उत्तराखंड से विशेष लगाव है। उनके नेतृत्व और मार्गदर्शन में राज्य का विकास हुआ है। राज्य सरकार ने 27 नीतियां बनाई है। लैंड बैंक भी तैयार किया है। मुख्यमंत्री ने निवेशकों से उत्तराखंड में आकर निवेश करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हर प्रकार का सहयोग निवेशकों और उद्यमियों को देगी। धामी सरकार का फोकस पर्यटन के साथ-साथ इकोलॉजी और इकॉनामी पर भी है। प्रदेश सरकार निवेश के लिए ऐसे रास्तों की तलाश कर रही है जिसमें विकास और पर्यावरण का संतुलन बना रहे। ऐसे में रोपवे जैसे विकल्प उत्तराखण्ड में जहां एक ओर पर्यटकों को सुगमता प्रदान करेंगे, वहीं दूसरी ओर स्थानीय लोगों की आजीविका के अवसर बढ़ने के साथ ही पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी यह बेहतर सिद्ध होगा।लंदन सर्विस सेक्टर का भी बड़ा केन्द्र है, इसलिए यहां टूरिज्म, आईटी, हेल्थकेयर के क्षेत्र के बड़े निवेशक कार्य कर रहे हैं। उत्तराखंड एक पर्वतीय राज्य होने के कारण यहां की कृषि जलवायु भी अन्य राज्यों से भिन्न है। आज के दौर में यूरोप से लेकर सभी देशों के ऑर्गेनिक उत्पादों की विशेष मांग हैं।
समिट के जरिए उत्तराखंड के उत्पादों को विदेशों में और प्रभावी रूप से पहुंचाया जा सकेगा। सरकार का लक्ष्य है कि दुनियाभर से निवेशक उत्तराखंड की ओर रुख करें, ताकि यहां की औद्योगिक गतिविधियों को और रफ्तार मिल सके। ब्रिटेन इनोवेशन एवं टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक ग्लोबल सेंटर के रूप में स्थापित है। स्किल्ड मैनपावर लंटन ब्रिटेन की उपलब्धता इस क्षेत्र को गति प्रदान करती है। उत्तराखण्ड भी इनोवेशन एवं टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भारत में अपनी एक पहचान बनाने में सफल रहा है।हेल्थ केयर एवं लाईफ साइंन्सेस के क्षेत्र में ब्रिटेन अग्रणी है। ब्रिटेन द्वारा बायोटेक, फार्मास्यूटिकल्स एवं मेडिकल टेक्नोलॉजी में निवेश को वरीयता दी जाती है। उत्तराखण्ड भी भारत के फार्मा हब के रूप में प्रतिष्ठित है। राज्य में 3 फार्मा क्लस्टर हैं, जिनमें 300 से अधिक उद्योग कार्य कर रहे हैं। रियल स्टेट बाजार आवासीय विकास से लेकर वाणिज्यिक अवस्थापना तक विविध अवसर प्रदान करता है। लंदन एवं मैनचेस्टर जैसे शहर इसके बेहतर उदाहरण हैं। उत्तराखण्ड में भी इसकी अपार सम्भावनाएं हैं। धामी कहते हैं कि राज्य में दो नये शहर बसाने की संकल्पना पर कार्य कर रहे हैं। हमारा प्रयास है कि ब्रिटेन समेत अन्य देशों के ग्लोबल इन्वेस्टर्स उत्तराखण्ड में भी निवेश करें ताकि प्रदेश में औद्यौगिक विकास की गति बढ़ सके।प्रदेश में निवेश बढ़ने से अर्थव्यवस्था मजबूत होने के साथ ही रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे। इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के अध्यक्ष पंकज गुप्ता का कहना हैं कि उत्तराखंड में औद्योगिकरण का श्रेय पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी को जाता है। उन्होंने हरिद्वार, पंतनगर, काशीपुर, सेलाकुई में सिडकुल की स्थापना कर उद्योग जगत का ध्यान उत्तराखंड की ओर खींचा। इसके बाद दूसरी कोशिश इनवेस्टर्स समिट के 2018 में तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र रावत के कार्यकाल में हुई, किंतु निवेश के क्षेत्र में कोई बड़ी उपलब्धि हासिल नहीं हो पायी। हालांकि, इस समिट में डेढ़ लाख करोड़ के एमओयू साइन हुए थे। 2023 में होने जा रही इनवेस्टर्स समिट से पहले ही हजारों करोड़ के निवेश की शुरुआत हो गई है। सीएम धामी के नेतृत्व में हो रहे इस समिट से उद्योग जगत भी उम्मीदें लगाए बैठा है।
सीएम धामी ने इस बार के समिट के लिए ढाई लाख करोड़ के निवेश का लक्ष्य रखा है, जिसे लेकर पिछले छह माह से वह लगातार अधिकारियों के साथ बैठक कर इस लक्ष्य को हासिल करने की रणनीति पर कार्य कर रहे थे। अब तक के रेस्पांस से लग रहा है कि उनको काफी हद तक इसमें सफलता मिलने की संभावनाएं दिख रही हैं। पिछले दिनों सीएम धामी ने कहा कि निवेश के लक्ष्य को पूरा करने के लिए समिट से पहले लगभग 25 हजार करोड़ रुपए के निवेश को धरातल पर उतारने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। पर्वतीय क्षेत्रों में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इससे पहाड़ों में रोजगार के साधन बढ़ने से पलायन भी रुकेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में उद्योग लगाने वालों के लिए कई विभागों से अनुमति की फाइल रुकेगी नहीं। निवेशकों को सभी अनुमति देने के लिए समय-सीमा निर्धारित की जाएगी। राज्य में औद्योगिक निवेश और रोजगार को बढ़ावा देने, राज्य की आर्थिकी में वृद्धि के लिए कार्ययोजना पर हमें कार्य करना होगा। राज्य में निवेश बढ़ाने के लिए और क्या बेहतर प्रयास किये जा सकते हैं, इसके लिए औद्योगिक जगत से जुड़े लोगों से सुझाव भी मांगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में निवेश के लिए शांति व्यवस्था के साथ ही बेहतर मानव संसाधन भी उपलब्ध हैं। उन्होंने निवेशकों से आग्रह किया कि उन्हें जिन-जिन क्षेत्रों में दक्ष मानव संसाधन की जरूरत है, वह पूरी की जाएगी। सरकार की ओर से ऐसे क्षेत्रों में युवाओं को प्रशिक्षण देने की पूरी व्यवस्था की जाएगी। शीघ्र ही अमृतसर-कोलकाता इंडस्ट्रियल कॉरिडोर का काम शुरू होने वाला है। इस कॉरिडोर के बनने से उद्योगों को सुविधा मिलेगी। निर्यात को बढ़ावा देने के लिए स्टेट ऑफ आर्ट के रूप में इंटीग्रेटेड कंटेनर डिपो स्थापित किया गया है। सरकार ने लॉजिस्टिक्स नीति लागू की है। इससे आधारभूत ढांचे के विकास में मदद मिलेगी। इन्वेस्टर्स समिट को लेकर निवेशकों ने कई सुझाव दिये, जिसमें निवेश के लिये लैंडबैंक बनाने, जड़ी-बूटी की खेती को बढ़ावा देने, राज्य में संचालित उद्योगों का सर्वे करने, उत्तराखंड में रिसर्च सेंटर बनाने, चिंतन व अध्यात्म के रूप में राज्य में निवेश की योजना पर काम करने का सुझाव दिया। सरकार ने उद्योगपतियों को आकर्षित करने के लिए करीब 30 पॉलिसियों को रिव्यू किया है। सर्विस सेक्टर और पंप वॉटर स्टोरेज जैसी कुछ नई पॉलिसियां भी लाई गई हैं। दिसंबर के दूसरे सप्ताह में होने जा रहे ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट के लिए तैयारियां जोरों पर हैं। प्रमुख सचिव, सचिव की अध्यक्षता में 14 समितियों का गठन किया गया है, सौंदर्यीकरण के लिए अकेले ऊर्जा विभाग ने ही 61 करोड़ का प्रस्ताव बनाया है। गेस्ट के लिए लोकल उत्पादों के गिफ्ट पैक बनाए जाएंगे। एयरपोर्ट और होटल में सेल्फी प्वाइंट बनाए जाएंगे। वीआईपी, वीवीआईपी गेस्ट को समिट के बाद राज्य के पर्यटक स्थलों का भ्रमण भी कराया जाएगा।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के चहुंमुखी विकास के लिए जो वादा किया था, उसे पूरा करते हुए दिखाई दे रहे हैं। इसी क्रम में लंदन के बाद नई दिल्ली रोड शो में भी मिली बड़ी सफलता उत्तराखंड के लोगों के लिए एक सुखद खबर है। देशभर के कुछ उद्योग घरानों ने जिस प्रकार से निवेश के प्रस्ताव दिए हैं, उससे आने वाले समय में युवाओं को भी इसका रोजगार के रूप में तो लाभ मिलेगा ही, साथ ही इससे राज्य के विकास की भी नई उम्मीद जगी है। दरअसल प्रदेश सरकार ने 2.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश के लक्ष्य के साथ राज्य में आठ और नौ दिसंबर 2023 को ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट आयोजित करने का निर्णय लिया है। इससे पहले नई दिल्ली में आयोजित कर्टेन रेजर कार्यक्रम में संभावनाओं का शोकेस सजाते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि उद्यमियों की सहूलियत के लिए राज्य सरकार ने कई नई नीतियां बनाई हैं। यहां सिर्फ ईज आफ डूइंग बिजनेस ही नहीं, बल्कि पीस आफ डूइंग बिजनेस भी है। इस मौके पर प्रदेश सरकार को 7600 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले। महिंद्रा होलीडेज एंड रिजार्ट इंडिया लिमिटेड अगले तीन महीने में एक हजार करोड़ के निवेश के साथ राज्य में विभिन्न स्थानों पर 4-5 रिजार्ट स्थापित करेगा। इससे 1500 व्यक्तियों के लिए रोजगार के अवसर खुलेंगे।सीएम धामी का मानना है कि वर्ष 2025 में उत्तराखंड अपनी स्थापना की सिल्वर जुबली मनाएगा। हमारी सरकार का उद्देश्य है कि 2025 तक उत्तराखंड अपने पैरों पर खड़ा एक समृद्ध राज्य हो। राज्य को इस ऊंचाई तक ले जाने के लिए ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट एक मील का पत्थर साबित होगी। इस समिट के जरिए सरकार राज्य की आवश्यकताओं के अनुरूप निवेशकों की तलाश कर रही है, उत्तराखंड सरकार ऐसे निवेशकों पर फोकस कर रही है, जिनके आने से उत्तराखंड आर्थिक रूप से समृद्ध तो हो ही, रोजगार के अवसर भी पैदा हों। जिन-जिन शहरों में सरकार रोड शो करने जा रही है, उनका चयन इसी खास मकसद के लिए किया गया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कहते हैं कि उत्तराखंड एक युवा राज्य के रूप में तेजी से उभर रहा है, जहां उद्योगों के लिए अपार संभावनाएं हैं। इसे देखते हुए हमारी सरकार ने कई पुरानी नीतियों में संशोधन करते हुए लगभग 30 नई नीतियां बनाई हैं। इनमें पर्यटन नीति, एमएसएमई नीति, स्टार्टअप नीति, लाजिस्टिक्स नीति और निजी औद्योगिक आस्थानों की स्थापना के लिए नीति प्रमुख हैं। राज्य में संचालित उद्योगों में श्रमिक असंतोष की घटनाएं न के बराबर होती हैं। यही कारण है कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट की टैग लाइन पीस टू प्रासपेरिटी बनाई गयी है। पहले से राज्य में संचालित उद्योग भी अपने कारोबार के विस्तार के लिए तैयार हैं। यही उद्यमी उत्तराखंड के ब्रांड एम्बेसडर हैं। मुख्यमंत्री का मानना है कि उत्तराखंड को प्राकृतिक विरासत के साथ राष्ट्र में सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था के रूप में विकसित करना हमारी इच्छा ही नहीं बल्कि संकल्प है। उन्होंने कहा कि राज्य में रेल, सड़क एवं हवाई संपर्क में तेजी से विस्तार हुआ है। राज्य के उद्यमी प्रदेश के ब्रांड एंबेसडर हैं। राज्य में निवेश बढ़ाने में उनकी अधिक सहभागिता है। सरकार सरलीकरण, समाधान, निस्तारण और संतुष्टि के आधार पर कार्य कर रही है। यह तभी संभव है जब उद्योग संघों से निरंतर संवाद कर उनकी समस्याओं का समाधान किया जाए।
राज्य में उत्पादित नौ उत्पादों को आज जीआई टैग मिला है। ईज आफ डूइंग बिजनेस की रैंकिंग में राज्य एचीवर्स की श्रेणी में है और निर्यात तैयारी सूचकांक में उत्तराखंड हिमालयी राज्यों में पहले नंबर है। यही नहीं, निवेशकों को उत्तराखंड में किसी भी प्रकार की परेशानी न हो और उनको एक ही स्थान पर सब कुछ मिले, इसके लिए सिंगल विंडो क्लीयरेंस पोर्टल भी बनाया है। उद्योग समूहों के सुझावों पर भी सरकार लगातार काम कर रही है। वे कहते हैं कि देवभूमि में कर्म करना हम सबका सौभाग्य है। राज्य के सभी पौराणिक स्थलों का विकास सरकार का लक्ष्य है। इसके अलावा सरकार के ग्लोबल इन्वेस्टर्स से पहले ही जिस प्रकार से देश की सबसे बड़ी कंपनी आइटीसी के साथ 5000 करोड़ रुपये, महिंद्रा होलीडेज एंड रिजार्ट इंडिया लिमिटेड के साथ 1000 करोड़ रुपये और ई-कुबेर के साथ 1600 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव पर एमओयू हुआ है। इससे यह तो कहा जा सकता है कि वैश्विक निवेशक सम्मेलन को लेकर प्रदेश सरकार अपनी तैयारियों व नीतियों से निवेशकों को आकर्षित करने में सफल हो रही है। महिंद्रा होलीडे एवं रिजार्ट, आइटीसी व ई कुबेर जैसी कंपनियों ने प्रदेश में निवेश पर अपनी सहमति जताई है। वहीं, ओबराय समूह के कारपोरेट मामलों के अध्यक्ष आर शंकर और जुबिलेंट फार्मोवा के अर्जन एस भरतिया समेत अन्य कंपनियों के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से अपने निवेश प्रस्तावों के संबंध में चर्चा की। उन्होंने मुख्यमंत्री को भरोसा दिलाया कि वे उत्तराखंड में उद्योग लगाकर राज्य को विकसित करने की दिशा में सहयोग प्रदेश करेंगे। वहीं इससे एक और बात को भी बल मिला है कि राज्य में निवेश के बेहतर माहौल के मुख्यमंत्री धामी के दावे पर अपने अनुभव साझा करते हुए महेंद्रा हॉलीडेज एंड रिजार्ट इंडिया लिमिटेड के सीईओ कविंदर सिंह, सीआईआई नार्दर्न रीजन के चेयरमैन दीपक जैन, सीआईआई उत्तराखंड के चेयरमैन बिपिन गुप्ता और आइटीसी के वेदिराज कुलकर्णी ने मुहर लगाई। नई दिल्ली के कर्टन रेजर प्रोग्राम में 7500 करोड़, लंदन में 12,500 करोड़ और पुन: नई दिल्ली में हुए रोड शो में 19 हजार करोड़ के एमओयू साइन होना पुष्कर सिंह धामी की बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। अभी दिसम्बर तक इन्वेटर्स समिट के आयोजन से पहले यह आंकड़ा एक बड़ी संख्या का रूप ले लेगा।