देहरादून (गौरव ममगाईं)। भारतीय जनता पार्टी ने कल 10 दिसंबर को छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री पद पर पूर्व सीएम रमन सिंह के बजाय विष्णुदेव साय के रूप में नये चेहरे का एलान किया था, आज शाम (11 दिसंबर) मध्य प्रदेश में भी कई बार के सीएम रहे शिवराज सिंह चौहान के स्थान पर मोहन यादव जैसे नये चेहरे को मुख्यमंत्री घोषित कर दिया है। इसी के साथ छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भाजपा अब नये चेहरे के साथ आगे बढ़ गई है। इस फैसले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अहम भूमिका रही है। छत्तीसगढ़ व एमपी में भाजपा के इस प्रयोग को उत्तराखंड में किये गये ‘धामी प्रयोग’ से जोड़कर देखा जा रहा है। वहीं, अब चर्चा है कि उत्तराखंड की तर्ज पर छत्तीसगढ़ व एमपी के बाद अब पीएम मोदी राजस्थान में भी बड़ा प्रयोग कर सकते हैं।
क्या है उत्तराखंड का ‘धामी प्रयोग’ ? क्यों है चर्चाओं में ?
दरअसल, उत्तराखंड में भाजपा पुष्कर सिंह धामी के सीएम बनने से पहले तक वरिष्ठ नेताओं को ही मुख्यमंत्री बनाते आई है। उत्तराखंड में भाजपा के पहले सीएम नित्यानंद स्वामी व उनके बाद भगत सिंह कोश्यारी, बीसी खंडूड़ी, रमेश पोखरियाल निशंक, बीसी खंडूड़ी, त्रिवेंद्र सिंह रावत व तीरथ सिंह रावत तक को वरिष्ठता के आधार पर सीएम बनाया जाता रहा था, लेकिन तीरथ सिंह रावत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युवा विधायक पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री घोषित कर सबको हैरान कर दिया था। जबकि, सीएम की रेस में सतपाल महाराज, धन सिंह रावत, त्रिवेंद्र सिंह रावत, रमेश पोखरियाल निशंक जैसे बड़े दिग्गजों के नाम बताये जा रहे थे।
साफ है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजनीति में बड़े प्रयोग करने के लिए जाने जाते रहे हैं। खास बात ये भी है कि उत्तराखंड में ही पीएम मोदी ने प्रदेश के बड़े दिग्गजों के युग को खत्म कर अब युवा नेताओं को आगे बढ़ाने की परंपरा शुरू की है। उत्तराखंड में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ, आर्थिक व सामाजिक न्याय के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किये हैं। वहीं, हाल ही में देश के सबसे बड़े सिलक्यारा टनल रेस्क्यू को सफलतापूर्वक पूरा कर देश ही नहीं, दुनिया में तारीफ बटोरी। ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में भी रिकॉर्ड निवेश लाकर पीएम मोदी व अमित शाह को खासा प्रभावित किया है। कुल मिलाकर पीएम मोदी का धामी प्रयोग उत्तराखंड में पूरी तरह सफल साबित हुआ है।
उत्तराखंड से प्रेरित होकर छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय व एमपी में मोहन यादव को चुना
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड में धामी प्रयोग की सफलता को देखते हुए अब छत्तीसगढ़ में रमन सिंह को दोबारा सीएम न बनाने का फैसला किया और नये चेहरे पर बड़ा दांव चला है। वहीं, एमपी में मुख्यमत्री पद पर मोहन यादव के नाम का एलान करना बेहद मुश्किल फैसला था, क्योंकि मध्य प्रदेश की राजनीति में शिवराज सिंह चौहान करीब दो दशक से सत्ता पर काबिज रहे हैं। उन्हें दरकिनार करना आसान नहीं था।
अब पीएम मोदी व पार्टी नेतृत्व ने यहां भी नये चेहरे के साथ आगे बढ़ने का मन बनाया है। हालांकि, राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यह मुश्किल फैसला था, लेकिन पीएम मोदी कड़े व बड़े फैसले लेने के लिए ही जाने जाते हैं। दरअसल, पीएम नरेंद्र मोदी अब बड़े राजनीतिक अनुभव के बजाय युवा नेताओं की दूरदर्शिता, मेहनत व ईमानदार छवि को ज्यादा महत्व देते नजर आ रहे हैं। उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी के बाद अब छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय के रूप में नये चेहरो को मुख्यमंत्री बनाकर पीएम मोदी ने फिर यही संदेश दिया है।
अब राजस्थान में भी होगा ‘धामी प्रयोग’!
उत्तराखंड के बाद कल छत्तीसगढ़ और आज मध्य प्रदेश में भाजपा नेतृत्व ने नये चेहरे के साथ आगे बढ़कर राजस्थान के लिए बड़ा सियासी संदेश भी दे दिया है। राजनीतिक जानकार कहते हैं कि राजस्थान में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे खुद को सीएम का बड़ा दावेदार मानती हैं। इसके लिए वसुंधरा के बेटे पर विधायकों को अपने पाले में लाने के लिए बाड़ेबंदी के गंभीर आरोप भी लग चुके हैं। इससे यह तो साफ है कि वसुंधरा राजे सीएम बनने के लिए पूरा जोर लगाये हुए है। बताया जा रहा है कि पार्टी नेतृत्व राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे द्वारा शक्ति प्रदर्शन किये जाने से भी खासा नाराज है और अब राजस्थान में भी नया चेहरा घोषित करके वसुंधरा राजे को भी कड़ा संदेश दिया जा सकता है। वहीं, पार्टी का मानना है कि चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कारण जीत मिली है। ऐसे में प्रधानमंत्री व पार्टी नेतृत्व प्रदेश के क्षत्रपों की मनमानी को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि राजस्थान में गजेंद्र सिंह शेखावत, सतीश पूनिया, राजेंद्र राठौड़ जैसे नामों पर विचार हो सकता है।
साफ है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तराखंड में धामी प्रयोग बेहद सफल रहने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने इसे छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश में भी लागू किया है। इससे पार्टी नई पीढ़ी को तैयार तो करना चाहेगी ही, पार्टी में एक क्षत्रप राज को भी खत्म करने में कामयाबी मिलेगी, यह पार्टी की सरकार के खिलाफ इन्कम्बेंसी को भी रोकने में कारगर रहेगा। अब देखना दिलचस्प रहेगा कि पीएम मोदी राजस्थान में भी इसी प्रयोग को जारी रखते हैं या नहीं, यह आने वाले कुछ घंटों में साफ हो जायेगा…