नई दिल्ली: जुलाई में देश की सबसे वैक्सीन कॉर्बेवैक्स का रोल आउट देश में शुरू हो सकता है। बायोलॉजिकल ई कंपनी की वैक्सीन को अगर मंजूरी मिल जाती है तो ये देश में उपलब्ध होने वाली सबसे सस्ती कोरोना वैक्सीन हो सकती है। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार कॉर्बेवैक्स की दो डोज की कीमत 400 रुपए से भी कम होने की संभावना है। बायोलॉजिकल ई की मैनेजिंग डायरेक्टर महिला दतला ने एक इंटरव्यू में इसका संकेत दिया था। हालांकि अभी इस वैक्सीन की कीमत को अंतिम रूप नहीं दिया गया है। कॉर्बेवैक्स के तीसरे फेज का ट्रायल चल रहा है और इसके परिणाम सकारात्मक हैं।
भारत की सबसे वैक्सीन है कोवीशील्ड: मौजूदा समय में सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड वैक्सीन देश की सबसे सस्ती वैक्सीन है। यह वैक्सीन राज्य सरकारों के लिए 300 रुपये प्रति डोज और निजी अस्पतालों को 600 रुपये प्रति डोज की कीमत पर मिल रही है। वहीं भारत बायोटैक की कोवैक्सिन की एक डोज की कीमत स्टेट के लिए 400 रुपए जबकि प्राइवेट अस्पतालों के लिए 1200 रुपए है। डॉ रेड्डी लैबोरेट्रीज ने भी रूस की कोरोना वैक्सीन स्पुतनिक वी की कीमत 995 रुपये प्रति डोज तय की है। ये वैक्सीन सिर्फ राज्यों और प्राइवेट अस्पतालों को मिलेगी।
सिर्फ 1.5 डॉलर में बन सकती है वैक्सीन: कॉर्बेवैक्स के बेहतर परिणाम को देखते हुए भारत सरकार ने 30 करोड़ वैक्सीन डोज की प्रीबुकिंग की है। इसके लिए केंद्र ने 50 रुपए प्रति डोज के हिसाब से 1500 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया है। टेक्सास की बायलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन में नेशनल स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन की एसोसिएट डीन डॉ मारिया एलेना बोटाज़ी ने कॉर्बेवैक्स की कीमत तय करने की रणनीति का सबसे पहला संकेत दिया था। उनका कहना है कि हेपेटाइटिस बी की वैक्सीन और पारंपरिक तकनीक का इस्तेमाल करके सिर्फ 1.5 डॉलर की लागत से वैक्सीन का एक डोज तैयार किया जा सकता है।
EUA मिला को भारत में वैक्सीन की कमी नहीं: बायोलॉजिकल ई ने पिछले दो महीने में वैक्सीन का प्रोडक्शन शुरू कर दिया है। दतला का कहना है कि कंपनी अगस्त के महीने में 75-80 मिलियन डोज का प्रोडक्शन करने की स्थित में होगी। अगर कॉर्बेवैक्स को जुलाई या अगस्त तक EUA मिल जाता है तो इससे वैक्सीन की कमी को काफी हद तक कम किया जा सकेगा।