साल 2023 में इस दिन रखा जाएगा वट सावित्री व्रत, जानें शुभ मूहूर्त, कथा व पूजा विधि
नई दिल्ली : हर साल रखे जाने वाले वट सावित्री व्रत की हिंदू धर्म में काफी मान्यता है. इस दिन शादीशुदा महिलाएं अपने पति के लिए व्रत रखकर उनकी लंबी आयु के लिए कामना करती हैं. यह त्योहार हर साल ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को रखा जाता है. इस बार ये व्रत 19 मई को रखा जाएगा. हालांकि, देश के कुछ हिस्सों में वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भी रखा जाता है. इसके अनुसार, यह तिथि 3 जून का पड़ रही है.
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ अमावस्या तिथि 18 मई की रात 9 बजकर 42 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन यानी 19 मई की रात 9 बजकर 22 मिनट तक रहेगी. हालांकि, उदयातिथि के अनुसार वट सावित्री व्रत 19 मई को रखा जाएगा.
वट सावित्री व्रत खासतौर पर पंजाब, दिल्ली, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, हरियाणा में रखा जाता है. यहां महिलाएं ज्येष्ठ अमावस्या के दिन व्रत करती हैं. वहीं, महाराष्ट्र और गुजरात में ज्येष्ठ पूर्णिमा को ये व्रत रखा जाता है.
वट सावित्री अमावस्या की बात करें तो इस दिन सुबह 7 बजकर 19 से 10 बजकर 42 मिनट तक का पूजा के लिए शुभ मुहूर्त है. वहीं, वट सावित्री पूर्णिमा के लिए सुहागिन महिलाएं सुबह 7 बजकर 16 से 8 बजकर 59 मिनट तक पूजा कर सकती हैं.
इस दिन वट यानी कि बरगद के पेड़ की जड़ में जल अर्पित किया जाता है. इसके बाद पेड़ के तने के चारों ओर कच्चा सूत लपेटकर 3 बार परिक्रमा की जाती हैं और मौली, रोली, भीगे हुए चने, फूल, धूप-दीप से पूजा की जाती है.
कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में सावित्री नाम की महिला की निष्ठा और पति परायणता को देखकर यमराज ने उसके मृत पति को जीवनदान दे दिया था. हालांकि, जब तक सावित्री अपने पति के प्राण वापस लेकर नहीं आईं थीं, तब तक वट वृक्ष की जटाओं ने उसके मृत पति के शरीर को सुरक्षित रखा था, इसलिए इस दिन वट वृक्ष की पूजा की जाती है.