नई दिल्ली : हरियाणा के नूंह में हिंसक घटनाओं के बाद सोमवार को कड़ी सुरक्षा के बीच विश्व हिंदू परिषद के सदस्य महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव के साथ ब्रजमंडल शोभा यात्रा के दौरान जलाभिषेक के लिए पहुंचे (Reached) । इसे लेकर नूंह, गुरुग्राम, रेवाड़ी, पलवल और फरीदाबाद में सुरक्षा बढ़ा़ दी गई है। विहिप के आह्वान के बाद नूंह जिले के स्थानीय लोग नल्हड़ मंदिर में एकत्र हुए और सुबह 9 बजे से मंदिर के अंदर हवन-पूजन शुरू कर दिया।
नूंह के पुलिस अधीक्षक (एसपी) नरेंद्र बिजारनिया ने बताया, “नूंह के नजदीक हर जिले में भारी पुलिस तैनात की गई है। केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की भी तैनाती है। किसी को भी कानून-व्यवस्था का उल्लंघन करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।” उपायुक्त (डीसी) धीरेंद्र खड़गटा ने कहा, “जिला शांतिपूर्ण है और नूंह के किसी भी हिस्से से तनाव की कोई सूचना नहीं है।” एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “नूंह की सीमाएं पूरी तरह से सील कर दी गई हैं और पुलिस बल सोहना चौक, घमरोज टोल प्लाजा, कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी एक्सप्रेसवे), फिरोजपुर-झिरका-दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, टौरू और कई स्थानों के पास नूंह पहुंचने वाले हर एक वाहन की निगरानी कर रही है।
विभिन्न खुफिया एजेंसियों के साथ नूंह जिले की आंतरिक सिक्योरिटीज भी पिछले दो सप्ताह से कड़ी निगरानी रख रही हैं। किसी को भी कानून व्यवस्था का उल्लंघन करने की इजाजत नहीं दी जाएगी।” सोमवार को नूंह पूरी तरह से सुनसान नजर आया और लगभग सभी बाजार बंद रहे। मीडियाकर्मियों को एडवर्ड चौक (स्थानीय रूप से नूंह चौक) के पास रोक दिया गया। अधिकारियों से अनुमति नहीं दिए जाने के बावजूद धार्मिक जुलूस के दौरान किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए हरियाणा पुलिस ने कड़े सुरक्षा इंतजाम किए हैं।
नूंह के उपायुक्त धीरेंद्र खड़गटा ने कहा कि उन्होंने सभी आवश्यक इंतजाम किए हैं और कानून-व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए पर्याप्त पुलिस बल तैनात किया गया है। एहतियात के तौर पर नूंह में 26 अगस्त से 29 अगस्त तक इंटरनेट बंद हैं। डीसी ने कहा था, “हमने नूंह निवासियों से नल्हड़ मंदिर में एकत्र होने के बजाय अपने गांव के मंदिरों में प्रार्थना करने की लगातार अपील की है।”
नल्हड़ मंदिर, जहां 31 जुलाई की झड़प के दौरान सैकड़ों भक्तों ने शरण ली थी, अब अर्धसैनिक बलों द्वारा एक किले में बदल दिया गया है, जिसकी कड़ी निगरानी रखी जा रही है। हरियाणा पुलिस के एक शीर्ष अधिकारी के अनुसार 3-7 सितंबर के दौरान नूंह में होने वाली जी20 शेरपा समूह की बैठक और 31 जुलाई की हिंसा के बाद कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए शोभायात्रा की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। 31 जुलाई को एक शोभा यात्रा के दौरान दो समुदायों के बीच बड़े पैमाने पर झड़प हुई, जिसके बाद पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी। झड़प के दौरान छह लोगों की जान चली गई, जिनमें गुरुग्राम के खेड़की दौला पुलिस स्टेशन के दो पुलिसकर्मी भी शामिल थे।