एजेन्सी/ अजमेर शहर मे हमेशा से विरासत का खजाना रहा है। पुरामहत्व से जुड़ी हजारों वर्ष पुरानी सम्पदाओं को यह शहर अबतक संजोए है। इसी का अद्भूत उदाहरण है शहर के राजकीय संग्रहालय में रखी हजारों वर्ष पुरानी प्रतिमाएं। राजस्थान के कोने-कोने से खुदाई के दौरान मिली बेहतरीन प्रतिमाओं को संग्रहालय में संरक्षित किया गया है।
प्राचीन शिल्प कला, पुराणों, देवताओं की ये प्रतिमाएं हमारी प्राचीन विरासत का प्रतीक हैं। जहां एक और संग्रहालय में इन प्रतिमाओं को सहजता से संजो कर रखा गया है। वहीं दूसरी ओर अजमेर के संस्थापक राजा के मंदिर अजयपाल में मौजूद हजारों वर्ष पुरानी मूर्तियां दुर्दशा का शिकार हैं। अगर उन मूर्तियों को भी संग्रहालय में संरक्षित किया जाए तो इन्हे आगामी वर्षों तक संजो कर रखा जा सकता है।
हो रही है दुर्दशा
अजयसर स्थित प्राचीन अजयपाल के मंदिर में भी हजारों वर्ष पुरानी प्रतिमाएं मौजूद हैं। मगर उपेक्षा के शिकार के चलते उनकी दुर्गति हो रही है। पुरातत्व विभाग लम्बे समय से इन मूर्तियों से मुंह फेरे है। ये मूर्तियों लम्बे समय से धूप व बरसात झेल रही हैं। कई मूर्तियां पूरी तरह टूट-फूट चुकी हैं, जबकि कई खंडित हैं। मगर कई मूर्तियां वहां अब भी अच्छी अवस्था में मौजूद हैं। एेसे में अगर सही समय पर उन्हे संग्रहालय में संरक्षित नही किया गया तो वे भी मिट्टी के ढेर में तब्दील हो जाएंगी।
खंडित प्रतिमाएं भी हैं महत्वपूर्ण
अजयपाल मंदिर परिसर में कई खंडित प्रतिमाएं मौजूद हैं। जिनके कुछ हिस्से टूटे हुए हैं। मगर इसके बावजूद ये प्रतिमाएं महत्वपूर्ण हो सकती हैं। राजकीय संग्रहालय में कई एेसी प्रतिमाएं हैं जो खंडित हैं मगर इसके बावजूद वे क्षेत्र के इतिहास व कला का वर्णन करती है। एेसे में जल्द से जल्द इन मूर्तियों को संग्रहालय में लाकर संग्रहालय की शोभा बढ़ानी चाहिए।
इनका कहना है
यह वित्तिय वर्ष समाप्त होते ही आगामी अप्रेल माह में निश्चित रूप से इन प्रतिमाओं को संग्रहालय में लाकर संरक्षित किया जाएगा।
मोहम्मद आरिफ, क्यूरेटर, राजकीय संग्रहालय अजमेर