स्पोर्ट्स

विनेश भारत की बेटियों के लिए प्रेरणा, CAS से मिल सकती है खुशी की खबर

नई दिल्ली : भारत की जिस बेटी ने सरकार के बेटी बचाओ-बेटी बढ़ाओ अभियान को आगे बढ़ाने के लिए शादी में आठवां फेरा लिया हो, उन्होंने इस अभियान को बखूबी आगे भी बढ़ाया और देश की बेटियों के लिए भी प्रेरणा बनी। वह बेटी आज अपने ही खेल कुश्ती से हार गई। इतने कटु अनुभव के साथ किसी खिलाड़ी का खेल जगत से संन्यास लेना देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। विनेश फोगाट को 50 किलोग्राम वर्ग के फाइनल खेलने से पहले ही अयोग्य घोषित किया जाना भारतीय खिलाड़ियों के साथ गए सपोर्टिंग स्टाफ पर सवाल खड़े करता है, क्योंकि कोई भी खिलाड़ी अपने कोच, डाइटिशियन, फिजिशियन व फिजियोथेरेपिस्ट की अनुमति के बगैर एक भी अतिरिक्त खाने की वस्तु ग्रहण नहीं सकता। ऐसे में विनेश का तीन विनिंग बाउट के बाद एक ही दिन में एक किलो 700 ग्राम वजन बढ़ना खेल प्रेमियों ही नहीं पूरे जगत को अचंभित करने वाला है।

जैसा कि विदित है, 50 किलोग्राम कैटेगरी में विनेश का वजन मंगलवार को 49.90 किलोग्राम था। उसी दिन विनेश ने तीन मुकाबले खेले और तीनों में ही विजय हासिल की। भारतीय समय अनुसार 10.50 पर सेमीफाइनल जीतकर विनेश ने हल्का-फुल्का ही खाया बल्कि पानी पिया, क्योंकि उसे पता था कि वह वजन की बाउंड्री लाइन पर खड़ी है। रात रात में ही एक किलो 700 ग्राम वजन का बढ जाने को कोई थोड़ी सी भी सूझबूझ रखने वाला व्यक्ति हजम हजम नहीं कर पा रहा। बढे हुए वजन को कम करने के लिए विनेश ने सारे प्रयास किए जो किया जा सकते थे। इस सबके बावजूद 100 ग्राम वजन ज्यादा ही रहा। इस पर उनके डॉक्टर ने कहा कि ज्यादा कोशिश करने पर स्वास्थ्य बिगड़ने का खतरा है।

विनेश इस मुकाम पर पहुंच चुकी थी कि वह सेहत बिगड़ने का खतरा माल ले सकती थी। कोई भी खिलाड़ी जब गोल्ड जीतने के पायदान पर पहुंच चुका हो वह अपनी सेहत का नहीं बल्कि अपनी जीत और देश का माथा ऊंचा करने की ही सोचता है। यदि विनेश की सेहत बिगड़ी या कोई इंजरी होती है तो उनके खिलाफ फाइनल में लड़ने वाली रेसलर को वाक-ओवर मिल सकता था, जिससे विनेश का रजत पदक पक्का होता। खेलों में वाक-ओवर का प्रावधान होता है। नियम के अनुसार अगर कोई पहलवान पहले दिन प्रतियोगिता के दौरान चोटिल हो जाता है तो उसे दूसरे दिन वजन कराने के लिए उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि अगर कोई पहलवान पहले दिन प्रतियोगिता के बाद चोटिल हो जाता है या उसे कोई बीमारी या बुखार हो जाता है तो उसे वॉक ओवर देने से पहले वजन कराने के लिए उपस्थित होना होता है।

विनेश फोगाट चोटिल व बीमार हालत में वजन के लिए उपस्थित होती तो इसमें कोई भी शक-सुबा नहीं कि उनका वजन 50 किलोग्राम से कम होता है। इस मामले की खेल पंचाट न्यायालय (CAS) मैं सुनवाई हो चुकी है। भारत के वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट में विनेश फोगाट का पक्ष रखा है। मामले में खेल पंचाट न्यायालय (CAS) से आज भारत को खुशी की खबर मिल सकती है। विनेश फोगाट के ओलंपिक रेसलिंग में डिसक्वालीफाई होने की घटना में षड्यंत्र की भी बू आ रही है। अब भारत में यह एक राजनीतिक मुद्दा बन चुका है।

देश में शायद यह पहली घटना है कि ओलंपिक खिलाड़ी की योग्यता को लेकर विपक्ष सत्ता पक्ष के पदाधिकारियों पर आरोप लगा रहा है। विपक्ष के ये आरोप इसलिए भी पुख्ता नजर आ रहे हैं कि सोशल मीडिया पर चल रही खबरें यह बताती है कि विनेश फोगाट के हारने की पटकथा तो उस समय लिखी जा चुकी थी, जब विनेश फोगाट और उसके साथी पहलवान अपनी ही एसोसिएशन के अध्यक्ष के खिलाफ दिल्ली के जंतर मंतर धरने पर बैठे थे। धरने पर बैठे इन खिलाड़ियों को किस बेरहमी, बेदर्दी और बेहैया से खदेड़ा गया था, यह भी देश ने देखा है।

इस पटकथा को एक और वाकया पूखता करता है। जब पहले ओलंपिक में विनेश फोगाट 53 किलो भार वर्ग में कुश्ती लड़ती थी, लेकिन इस बार उसे 53 किलो वर्ग में ओलंपिक की एंट्री नहीं मिली। इसलिए उसे 50 किलोग्राम भार वर्ग में कुश्ती लड़ने का निर्णय लेना पड़ा और उसके लिए जिस जज्बे मेहनत और दृढनिश्चय से काम किया है वही जज्बा ओलंपिक के फाइनल तक ले गया। इस मामले में किस प्रकार से भारत सरकार व भारतीय कुश्ती संघ के अधिकारी पी आर एक्सरसाइज कर रहे हैं। यह समझने वाली बात है।
केंद्रीय खेल मंत्री द्वारा संसद में विनेश फोगाट पर खर्च की गई धनराशि का विस्तृत रूप से ब्योरा देने से लगता है कि यह भारतीय कुश्ती संघ के करे-धरे पर स्पष्टीकरण देना है। विनेश फोगाट, भारतीय कुश्ती का एक चमकता हुआ सितारा, जिनके संघर्ष, समर्पण, और दृढ़ संकल्प ने उन्हें विश्व मंच पर अपनी पहचान बनाई, ने हाल ही में कुश्ती से संन्यास लेने की घोषणा की। यह खबर न केवल उनके प्रशंसकों के लिए, बल्कि समूचे खेल जगत के लिए एक बड़ा झटका है। पेरिस ओलंपिक 2024 भारत के खेल जगत के इतिहास में काले अक्षरों में लिखा जाएगा।

विनेश फोगाट का कुश्ती करियर प्रेरणादायक रहा है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत से ही अद्वितीय प्रतिभा का प्रदर्शन किया। विनेश का संन्यास लेना खेल में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी और उनके उत्थान के लिए एक बड़ा धक्का है। उनके संन्यास के पीछे जो भी कारण हों, वे हमारे लिए चिंतन का विषय हैं। क्या हम अपने खिलाड़ियों को वह सम्मान और समर्थन दे पा रहे हैं जिसके वे हकदार हैं? इस मामले में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने खेल प्रेमियों की भावनाओं पर मरहम लगाने का काम किया है। उन्होंने घोषणा की है कि विनेश फोगाट का प्रदेश सरकार द्वारा एक ओलंपिक रजत पदक विजेता खिलाड़ी की तरह ही सम्मान किया जाएगा। आशा है कि विनेश फोगाट अपने संन्यास के बाद भी खेल जगत से जुड़े रहेंगी और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनी रहेंगी।

Related Articles

Back to top button