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मेघालय में मतगणना के बाद हिंसा, सहसनियांग में लगाया गया कर्फ्यू,बढ़ाई गई सुरक्षा

सहसनियांग : पूर्वोत्तर के तीन राज्यों त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में गुरुवार को विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित हो गए है। त्रिपुरा और नागालैंड में बीजेपी गठबंधन की सरकार बनना तय है। वहीं मेघालय में त्रिशंकु विधानसभा है जहां पर किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है। मेघालय में चुनाव परिणाम के बाद कई हिस्सों में हिंसक घटनाएं देखने को मिली। मतगणना के बाद हुई हिंसा को देखते हुए पश्चिम जयंतिया हिल्स जिला प्रशासन ने सहस्नियांग गांव में अगले आदेश तक कर्फ्यू लगा दिया है।

मेघालय के पश्चिम जयंतिया हिल्स जिला में चुनाव परिणाम के बाद जमकर पत्थरबाजी हुई है। इतना ही नहीं उपद्रवियों ने उत्पात मचाते हुए कई कारों को आग के हवाले कर दिया गया है। हिंसक भीड़ ने सार्वजनिक संपत्ति को भी काफी नुकसान पहुंचाया। सोहरा और मायरंग जैसे क्षेत्रों में हिंसा होने के बाद प्रशासन ने धारा 144 लगा दी।

पोस्ट-काउंटिंग हिंसा के बारे में जानकारी मिलने के बाद अतिरिक्त सहस्नियांग में जिला मजिस्ट्रेट ने कर्फ्यू लगा दिया। वेस्ट जेंटिया हिल्स के डीसी ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि मेघालय के चुनावों के बाद हिंसा पर काबू नहीं पाया जाता तो ये और फैल सकती थी। इसके साथ ही सार्वजनिक संपत्ति को बड़ा नुकसान पहुंचाया जा सकता था। इस हिंसक भीड़ में लोगों की जान जा सकती थी। इसलिए कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कर्फ्यू लगाया गया है।

बताया गया है कि सोहरा में एक स्थानीय समाचार चैनल ने गलत खबर चला दी थी कि एनपीपी उम्मीदवार ग्रेस मैरी खारपुरी को शेला विधानसभा क्षेत्र से जीत गए। लेकिन वह बढ़त बनाए हुए थे। बाद में इस सीट से यूडीपी के उम्मीदवार बालाजिद सिंक जीते। इसके बाद एनपीपी के कार्यकर्ता हिंसा पर उतारू हो गए और जमकर पत्थरबाजी की। घटना के बारे में जानकारी देते हुए जिला मजिस्ट्रेट बीएस सोहलिया ने कहा कि हिंसा को रोकने और क्षेत्र में सार्वजनिक शांति को बहाल करने के लिए धारा 144 सीआरपीसी के तहत कर्फ्यू लगा गया है।

मेघालय में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बन रही है। यहां किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है। नेशनल पीपुल्स पार्टी यानी एनपीपी 26 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप मे सामने आई है, वहीं भाजपा को केवल दो सीटों पर जीत हासिल हुई।

यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (यूडीपी) ने 11 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि कांग्रेस और टीएमसी को पांच-पांच सीटें मिलीं। वॉयस ऑफ द पीपल पार्टी को चार, हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट को दो-दो सीटों पर जीत हासिल हुई। इसके अलावा, दो निर्दलीय प्रत्याशी भी जीत दर्ज करने में सफल रहे।

एनपीपी की सीटों में इस बार इजाफा देखने को मिला है। पिछली बार उसे केवल 19 सीटों पर जीत मिली थी। अब इसे सरकार बनाने के लिए किसी अन्य दल का सहयोग चाहिए। पिछली बार कोनराड संगमा ने भाजपा समेत कई दलों के साथ सरकार बनाकर मुख्यमंत्री बने थे। इस बार भाजपा ने अलग होकर चुनाव लड़ा है। हालांकि, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने दावा किया है कि संगमा ने सरकार बनाने के लिए भाजपा का समर्थन मांगा है।

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