AICTE का बैन हटाने के इंतजार में सोसायटी, नये इंजीनियरिंग कालेजों की मान्यता देने पर तीन साल से है रोक
भोपाल : अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने नये इंजीनियरिंग कालेजों की मान्यता देने पर तीन साल से रोक लगा रखी है। ये बैन अगले साल भी बरकरार रहेगा। सिर्फ सरकार ही नये कालेज खोल पाएगी, जिसकी शर्तें एआईसीटीई अपनी गाइडलाइन में जारी करेगा। एआईसीटीई ने ये निर्णय देश और प्रदेश में बिगडती इंजीनियरिंग शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर लिया है। हालांकि कई सोसाइटी तीन साल से बैन हटाने का इंतजार कर रही हैं।
प्रदेश में इंजीनियरिंग कालेजों की हालात साल दर साल बिगडते जा रहे थे, जिसे बेहतर बनाने के लिए एआईसीटीई ने तीन साल से नये कालेजों पर बैन लगा है। अगले साल भी बैन बरकरार रहेगा। पिछले छह सालों में प्रदेश के कई कालेजों में ताले लग चुके हैं। यहां तक बैंक ऋण नहीं चुकाने पर उनकी कुर्की तक करा दी गई है। विद्यार्थियों को एक से दूसरे कालेज में स्थानांतरित किया जा चुका है। एआईसीटीई ने नये कालेजों की मान्यता देने पर दो साल के बाद गत वर्ष रोक को आगामी दो साल के लिये बढा दिया था, जो अगले साल तक लगी रहेगी।
प्रदेश में कई सोसायटी अपने जिलों में कालेज स्थापित करने के लिऐ बैन का हटने का इंतजार कर रही हैं। सूबे में इंजीनियरिंग के 155 कालेज संचालित हैं। प्रदेश साथ देश में इंजीनियरिंग की हालात बहुत लचर बनी हुई है। इसलिए एआईसीटीई ने इंजीनियरिंग की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए देशभर में नये इंजीनियरिंग कालेजों की मान्यता देने पर रोक लगा है, जिसके चलते प्रदेश में वर्तमान और आगामी सत्र में कोई नया कालेज इंजीनियरिंग संचालित नहीं कर पाएगा। जबकि प्रदेश से इंजीनियरिंग कालेज की कुछ ब्रांचों में प्रवेश नहीं होने की दशा में उसे बंद करने के आवेदन तकनीकी शिक्षा विभाग पहुंचने लगे हैं।
एआईसीटीई ने राज्य सरकारों को इंजीनियरिंग कालेज खोलने की इजाजत देगा। बशर्ते की वह ग्रामीण क्षेत्र में कालेज खोलने में सिर्फ अपना बजट आवंटित करेगी। सरकार पीपीपी मोड पर कालेज नहीं खोल पाएगी। सिर्फ शिवपुरी में पीपीपी मोड पर इंजीनियरिंग कालेज संचालित हो रहा है। इसके लिये एआईसीटीई जल्द ही गाइडलाइन जारी करेगा।