श्रावस्ती : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राज्यसभा सदस्य सुधांशु त्रिवेदी ने यहां कहा कि देश ”जल, थल, नभ और पाताल में भी अपने लोगों की रक्षा करने में सक्षम” हैं। उन्होंने कहा, ”हमारा देश सीमा पार आतंकवादियों को मार कर देश को सुरक्षित करता है तो देश के अंदर सुरंग में फंसे अपने 41 नागरिकों को भी सुरक्षित बचा कर लाता है। त्रिवेदी ने सिलक्यारा सुरंग से सकुशल वापस लौटे श्रावस्ती जिला निवासी छह श्रमिकों तथा उनके बचाव में लगाये गये राज्य समन्वयक को उनके साहस के लिए यहां सम्मानित किया।
केन्द्र सरकार द्वारा चलाई जा रही ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ के तहत आयोजित चौपाल के मुख्य अतिथि के तौर पर त्रिवेदी शनिवार को जिले में नेपाल सीमा से सटे सिरसिया क्षेत्र के बभनी गांव पहुंचे थे। त्रिवेदी ने इस अवसर पर कहा, ”अब हम जल, थल, नभ और पाताल में भी अपने लोगों की रक्षा में सक्षम हैं। हमारा देश सीमा पार आतंकवादियों को मार कर देश को सुरक्षित करता है और देश के अंदर सुरंग में फंसे अपने 41 नागरिकों को भी सुरक्षित बचा कर लाता है।’
गौरतलब है कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बन रही सिलक्यारा सुरंग में काम कर रहे 41 मजदूर बीते माह सुरंग धंसने से मलबे के पीछे फंस गये थे। इन 41 में से छह श्रमिक सत्यदेव, अंकित, राम मिलन, संतोष, जय प्रकाश व रामसुंदर श्रावस्ती के मोतीपुर कलां गांव के हैं। केन्द्र एवं राज्य सरकार ने सफल राहत व बचाव अभियान चलाकर सभी 41 श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकाला था।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उत्तरकाशी भेजे गये राज्य समन्वयक अरुण मिश्र ने राज्य के सभी मजदूरों और उनके परिवारों के बीच समन्वय स्थापित किया और उन्हें हिम्मत बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित किया।
त्रिवेदी ने कार्यक्रम में स्थानीय जिला पंचायत अध्यक्ष दद्दन मिश्रा, विधायक राम फेरन पांडेय, अन्य जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों की मौजूदगी में विभिन्न सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों को योजनाओं के प्रमाण पत्र एवं चेक आदि वितरित किए। पत्रकारों ने भाजपा नेता से सवाल किया कि विपक्ष संसद की सुरक्षा में हाल में हुई चूक को ”बेरोजगारी से जोड़ रहा है”, ऐसे में उनकी क्या प्रतिक्रिया है। त्रिवेदी ने इसके जवाब में कहा, ”देश में विकास की गंगा बह रही है।” उन्होंने किसी नेता का नाम लिए बगैर कहा, ”सवाल पूछने वाले नेता बताएं कि बेरोजगारी कहां है?” उन्होंने कहा कि संसद की घटना पर बेरोजगारी की आड़ में राजनीति चमकाने की कोशिश की जा रही है और यह एक संवेदनशील मुद्दा है जिस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।