घातक संक्रामक रोगों से मुक़ाबले के लिए हमारे पास प्रभावी टीकों की कमी : डॉ. डेविड जी. रसेल
लखनऊ: सीएसआईआर-सीडीआरआई ने 17 फरवरी को को अपना 68 वां वार्षिक दिवस मनाया. इस अवसर पर पहले सत्र में, प्रतिष्ठित 44वां सर एडवर्ड मेलानबी मेमोरियल व्याख्यान डॉ. डेविड जी. रसेल (प्रोफेसर, कॉर्नेल यूनिवर्सिटी, इथाका,अमेरिका) ने अपने व्याख्यान में “नेक्स्ट जनरेशन एंटी-माइक्रोबियल थेरेप्यूटिक्स” की अवश्यकता के विषयमें चर्चा की. उन्होंने कहा कि एचआईवी, तपेदिक (टीबी) और मलेरिया जैसे सबसे घातक संक्रामक रोगों से मुक़ाबले किए लिए हमारे पास प्रभावी टीकों (वेक्सींस) की कमी है. अधिकांश संक्रामक बीमारियों के प्रति बढ़ते दवा-प्रतिरोध (ड्रग रेजीस्टेंस) की घटनाओं में दिन-प्रतिदिन वृद्धि देखी जा रही हैं.
सीएसआईआर-सीडीआरआई का 68वां वार्षिक दिवस समारोह आयोजित
दवा के विकास हेतु बढ़ते हुए वित्तीय बोझ के कारणनई एंटीबायोटिक दवाओं के विकास में कमी हुई है जिस से ये संकट और भी गंभीर हो गया है. बढ़ते हुए ड्रग रेजीस्टेंस की वज़ह से हमें नई पीढ़ी के ऐसे कीमोथेरेप्युटिक्स विकसित करने की आवश्यकता महसूस हो रही है जो होस्ट-डाइरेक्टेड (मरीज के हिसाब से) उपचारों एवं एंटी-माइक्रोबियल एक्टिविटीज़ को एकीकृत कर संक्रमण से लड़ने के लिए समेकित रूप से कार्य कर सकें. हालांकि अभी सभी का फोकस एमडीआर टीबी पर है पर इन अवधारणाओं की प्रासंगिकता व्यापकहै और लग-भग सभी संक्रामक बीमारियों के लिए है.
समारोह के दूसरे भाग की शुरुआत मेंप्रोफेसर तापस कुमार कुंडू, निदेशक सीएसआईआर-सीडीआरआई ने मुख्य अतिथि, अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया. कार्यक्रम में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय, लखनऊ के कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ने कहा कि सीडीआरआई में औद्योगिक क्रांति 4.0 के लिए फार्मा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम को उत्प्रेरित करने की क्षमता है. रसायन विज्ञान, जीवविज्ञान और इंजीनियरिंग के समन्वयन से औद्योगिक क्रांति 4.0 की शुरुआत की जा सकती हैं. ड्रग रिसर्च, मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्रॉस-डिसिप्लिनरी सहयोगी कार्य हमें अगली पीढ़ी के उत्पादों के सृजन की ओर ले जा सकते हैं. औद्योगिक क्रांति 2.0 और 3.0 में हमने तकनीक और चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवाओं को खरीदने में अपने आर्थिक संसाधनों को खो दिया है, लेकिन अब हम काम करने के लिए अपने क्रॉस-डिसिप्लिनरी और परस्पर सहयोगी दृष्टिकोण के माध्यम से औद्योगिक क्रांति 4.0 के लिए तैयार हैं.
सीएसआईआर-सीडीआरआई ने बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लाजिया (बीपीएच)जिसे समान्यतः प्रोस्टेट की बीमारी भी कहा जाता है की रोकथाम एवं प्रबंधन के लिए एकल पादप आधारित प्राकृतिक न्यूट्रास्युटिकल (पोषक-तत्व) उत्पाद विकसित किया है और आज नॉन-एक्स्क्लुसिव आधार पर लुमेन मार्केटिंग कंपनी, चेन्नई के साथ एक लाइसेंसिंग समझौते पर हस्ताक्षर किए/ निदेशक, प्रोफेसर तपस कुमार कुंडू ने कहा कि ल्यूमेन मार्केटिंग कंपनी, चेन्नई ने सीएसआईआर-सीडीआरआई, लखनऊ के साथ समझौता किया है, जो सीएसआईआर-सीडीआरआई टीम द्वारा बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लाजिया (बीपीएच) की रोकथाम एवं प्रबंधन के लिए विकसित इस न्यूट्रास्यूटिकल उत्पाद का विपणन करेगी.
ड्रग रिसर्च में उत्कृष्टता के लिए प्रतिष्ठित सीडीआरआई पुरस्कार-2019 की घोषणा की गई।जो इसी वर्ष 26 सितंबर को सीएसआईआर के स्थापना दिवस पर प्रदान किए जाएंगे. लाइफ साइंसेज श्रेणी में ये पुरस्कार आईआईएससी, बेंगलुरु के डॉ. अमित सिंह, और सीएसआईआर-आईआईसीबी, कोलकाता के डॉ. दीपनयन गांगुली, कोसंयुक्त रूप से दिया जाएगा। वहीं रसायन विज्ञान श्रेणी में यह पुरस्कार आईआईएसईआर, पुणे के डॉ. एस. गोपालन श्रीवत्सन, एवं जेएनसीएएसआर, बेंगलुरुके डॉ. टी गोविंद राजू को संयुक्त रूप से प्रदान किया जाएगा।